मुलायम के खिलाफ परिवाद तो अजं के खिलाफ एसआईटी ने की टेढ़ी नजर

लखनऊ। इन दिनों एक ओर जहां प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ फैजाबाद की एक अदालत में एक गंभीर परिवाद दाखिल होेे गया है, वहीं दूसरी ओर, एसआईटी जल निगम में 13 सौ पदों की भर्ती में हुए घोटाले के संबंध में अखिलेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे मो0 आजम खाॅ से गहन पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। इस घोटाले के समय मो0 आजम खाॅ प्रदेश जलनिगम के भी चेयरमैन रहे हैं।
पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव का यह कहना उन पर भारी पड सकता है कि दो नवंबर, 1990 कों उन्होंने देश की एकता के लिये कारसंवकों पर गोली चलवाई थी। अगर उस समय गोली न चलवाता, तोेेे देश टूट जाता। उनके इसी बयान पर फैजाबाद में रहने वाली महिला गायत्री देेेेवी ने उनके खिलाफ अपर मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट तृतीय रवींद्र द्विवेदी की अदालत में हत्या और षड्यंत्र करने का एक परिवाद दाखिल किया है। आगामी पांच दिसंबर को इसकी पोषणीयता पर सुनवाई की जायेगी।
इस संबंध में गायत्री देवी पत्नी मृत कारसेेवक रमेश चंद्र पांडेय के अधिवक्ता विशाल चंद्र श्रीवास्तव ने कोर्ट में दाखिल अपने अपने इस्तगासे की अर्जी में कहा है कि दो नवंबर 1990 की दोपहर में करीब 12 बजे गायत्री के पति रमेश कुमार पांडेय रामजन्मभूमि आदोलन में एकत्र हुई भीड को देखने हनुमान गढी चैराहे की ओर जा रहे थे। जैसे ही वह लाल कोठी के पास पहुंचे, सामने से पुलिस की ओर से चलाई गयी गोली से उनकी मौत हो गयी। उस समय मृतक की पत्नी ने यह जानने की कोशिश की थी कि उसके पति तथा अन्य कारसेवकों पर किसके कहने से गोलियां चलाई गयी थीं। लेकिन, उसे कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
अधिवक्ता श्रीवास्तव का यह भी कहना है कि उस समय गायत्री देवी ने शासन-प्रशासन को इस बाबत कई पत्र लिखे थे। लेकिन, उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। वह किसी तरह अपने चार बच्चों का भरणपोषण कर रही है। गोलीकांड के समय सपा सरकार थी और मुलायम सिंह यादव उसके मुख्य मंत्री थे।
यह कहा था मुलायम ने इस्तगासे में यह भी कहा गया है कि बीते 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव ने अपने जन्म दिन के मौके पर आयोजित सभा में कहा है कि इतनी कम सीटें तो अयोध्या में गोली चलवाने की के बाद भी नहीं मिली थीं। उनका यह बयान दर्शाता है कि 2 नवंबर 1990 को जानबूझकर परिवादिनी के पति तथा अन्य कारसेवकों पर गोििलयां चलवाकर मुलायम सिंह यादय ने साजिश के तहत हत्या करवाई है। इस उन्होंने खुद अपने भाषण में स्वीकार किया है।
भर्ती घोटाले कई जांच में तेजी
मो0 आजम खाॅ से जुडे प्रकरण में पता चला है कि जल निगम के प्रकरण में पता चला है कि एसआईटी (विशेष अनुसंधान दल) ने निगम के तत्कालीन चेयरमैन पी.के.आसूुदानी और चीफ इंजीनियर ए.के.खरे का बयान दर्ज करने के लिये इसी चार दिसंबर को बुलाया है। इस प्रकरण में इन दोनों ही अधिकारियों के बयान बेहद अहम् माने जा रहे हैं। इसके बाद वह मो0 आजम खाॅ का भी बयान दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
जल निगम मुख्यालय से पत्रावलियां मिलीं
जानकार सूत्रों के अनुसार, जल निगम में सहायक अभियंता, अवर अभियंता और नैतिक लिपिक के 13 सो पदों पर हुई भर्तियों में हुए घोेटाले की जांच अब अपने रंग पर आ रही है। इस प्रकरण में अभ्यर्थियों का आरोप है कि उनके सवालों का गलत मूल्यांकन किया गया था। उन्हें उत्तर पुस्तिकाएं भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिखाई गयी थी। मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ ने इस मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी थी, जो अब तक निगम के चार इंजीनियरों औस् कुछ अन्य बधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। इस जांच में अभ्यर्थियों के अंकों में असमानता पाई गयी है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया आननफानन में सिर्फ छह सप्ताहों में ही पूरी कर ली गयी थी। इसके लिये एसआईटी ने निगम के मुख्यालय में छापा मारकर इन भर्तियों से जूडी मूल पत्रावलियों का अपने कब्जे में ले लिया था। आॅन लाइन परीक्षा कराने वाली कंपनी की भी भूमिका की जांच की जा रही है।
122 अभियंता बर्खास्त
पता चला है कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद इस मामले की जानकारी होते ही मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ इस आरोप की जांच के लिये एक कमैटी का गठन किया था। इसने अपनी जांच रिपोर्ट में इन आरोपों की पुष्टि की है। इसके बाद 122 अभियंताओं को बर्खास्त कर दिया गया था।
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