“मुस्लिम महिलाओं को पैरों की जूती समझता है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड”

लखनऊ। क्‍या ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड खुद को खुदा समझता है। क्‍या ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लगता है कि वो जो कहते हैं वही सही है। एक देश में भला दो कानून कैसे हो सकते हैं। क्‍या ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश में अपनी अलग सलतनत चलाना चाहता है। क्‍या वो मुस्लिम महिलाओं को अपने पैरों की जूती समझता है कि जब चाहा तब पहन लिया और जब मन चाहा उतार फेंका। दरसअल, ये बातें हम नहीं कर रहे हैं खुद वो महिलाएं कह रही हैं जो ट्रिपल तलाक से पीडित हैं। तीन तलाक के खिलाफ जिस मुस्लिम महिला सायरा बानो ने याचिका दायर की थी उनका कहना है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तो पहले ही दिन से ट्रिपल तलाक का पक्षधर रहा है। ये लोग नहीं चाहते हैं कि ट्रिपल तलाक खत्‍म हो।

सायरा बानो का कहना है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं चाहता है कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण हो। सायरा बानो कहती हैं कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को अपने अहम को छोड़ देना चाहिए और केंद्र सरकार की ओर से बनाए जा रहे कानून का समर्थन करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्‍यक्ष शाइस्‍ता अंबर का कहना है कि केंद्र सरकार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध को सुनना ही नहीं चाहिए। उनका कहना है कि तीन तलाक की पैरवी करने वाले मुल्‍ला अब इसका विरोध कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि जहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड केंद्र सरकार के बिल का विरोध कर रहा है। वहीं खुद बोर्ड के भीतर इसको लेकर फूट नजर आ रही है।

दरसअल, पूरे देश में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के 51 कार्यकारिणी सदस्‍य हैं। लेकिन, रविवार को बोर्ड ने लखनऊ में जो इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी उसमें 33 सदस्‍य शामिल ही नहीं हुए थे। यानी एक तरह से देखा जाए तो बोर्ड का कोरम पूरा हुए बिना ही फैसला लिया गया। इस मीटिंग में बोर्ड के उपाध्‍यक्ष मौलाना डॉ कल्‍बे सादिक भी शामिल नहीं हुए थे। जबकि ओवैसी सरीखे नेता कहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार पुरुषों के हक को खत्‍म करने की साजिश रची जा  रही है। जबकि सोशल मीडिया पर मुखर मुस्लिम महिलाओं ने अपनी आवाज बुंलद करनी शुरु कर दी है। उनका कहना है कि सालों से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और समाज महिलाओं को अपनी पैरों की जूती ही समझता रहा है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा।

दरसअल, सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दे चुका है। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो छह महीने के भीतर इस पर कानून लेकर आए। जिसके बाद मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल तैयार किया। जिसे इसी शीत कालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। वैसे तो ये बिल शुक्रवार को ही संसद में पेश हो जाता। लेकिन, कांग्रेस पार्टी के हंगामे के चलते ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद ही रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी। ना जाने क्‍यों कांग्रेस का बवाल और बोर्ड की आपातकालीन मीटिंग का आपस में कहीं ना कहीं संबंध भी दिखता है। क्‍योंकि ट्रिपल तलाक पर बिल बन चुका है और और इसे संसद में इसी सत्र में पेश भी किया जाएगा ये बात जगजाहिर थी। फिर बोर्ड चुप क्‍यों बैठा रहा।

 

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