मोदी की ‘चाणक्य नीति’ जानना आपके लिए जरूरी है!
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चाणक्य की सेना ने पहली बार जब मगध की राजधानी पाटलिपुत्र पर हमला किया, तो बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। मुश्किल से जान बचाकर भागे। भागते-भागते एक बुढ़िया की झोपड़ी में पनाह मिली। वो भूखे थे। बुढ़िया गरमा-गरम खिचड़ी बना कर लायी। चाणक्य ने खिचड़ी में हाथ डाला और चिल्ला उठे। खिचड़ी बहुत गर्म थी और अंगुलियाँ जल गईं। बुढ़िया ने उन्हें धिक्कारते हुए कहा अरे मूर्ख तूने भी वही गलती की है जो उस मूर्ख चाणक्य ने की थी। (बुढ़िया चाणक्य को जानती नहीं थी) चाणक्य दंग रह गए और उस बुढ़िया से पूछा की माँ चाणक्य ने क्या गलती की थी। बुढ़िया ने बताया कि उसने बिना आसपास के राज्यों को जीते सीधे राजधानी पर हमला कर दिया और क्योंकि वो नन्द का सबसे सुरक्षित किला था इसलिए उसे हार देखनी पड़ी। तो बेटा खिचड़ी पहले ठंडे भाग यानी किनारों से खाओ। सीधे गर्म भाग में हाथ डालोगे तो जल जाओगे। मतलब साफ़ है कि पहले अच्छी तरह घेरेबंदी करो, कमजोर हिस्सों कब्जे में करो, खुद को मजबूत करो, दुश्मन को कमजोर करो और तब असली हमला करो।
आज जब मैं अपने हिंदू भाइयों को देखता हूं तो ये कहानी याद आती है। जेएनयू को ढहा दो, नक्सलियों को मारने में क्या प्रॉब्लम है? कश्मीर के आतंकवादियों को एकदम से क्यों नहीं मार देते? जैसे कि नक्सली और आतंकवादी सामने से आकर कहते हैं कि लो मुझे मार दो! जो लोग देश के खिलाफ नारे लगाते हैं उन्हें गोली से उड़ाने में क्या प्रॉब्लम है? जनाब संविधान के अनुसार किसी को भी सिर्फ इसलिए देशद्रोही नहीं माना जा सकता कि उसने देश के खिलाफ नारे लगाए हैं, जब तक कि उन नारों की वजह से हिंसा या कोई अन्य सार्वजनिक समस्या पैदा न हुई हो। इसे भी कोर्ट में साबित करना पड़ेगा। कश्मीर के पत्थरबाजों को क्यों नहीं गोली मार देते? तो जनाब सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है कि किसी भी तरह की मौत के लिए जोकि मिलिट्री फायरिंग से होती है उसमें एफआईआर जरूरी है और जांच लोकल पुलिस ही करेगी।
अब मुझे बताओ कि अगर आप के हाथ में बंदूक दें तो क्या आप गोली चला पाओगे? ध्यान रहे किसी भी मौत के लिए आप को साबित करना होगा कि आपक़ी गलती नहीं है। वैसे पिछली सरकार एक कानून भी बनाकर गई है कि अगर सामने वाले के हाथ में हथियार है तब भी आप तब तक हमला नहीं कर सकते जब तक कि आप पर गोली न चलाई जाए। तो क्या करना चाहिए? अब सरकार पैलेट गन का विकल्प लाई (ध्यान रहे ये इसी सरकार ने किया है) तो माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज साहब कहने लगे कि पैलेट गन क्यों? पानी की बौछार से आतंकवादियों को भगाओ। बाकी आप खुद ही समझ लीजिए।
कुछ लोग कहते हैं कि जेएनयू को बंद करने में क्या प्रॉब्लम है? भारत के खिलाफ बोलने वाले पत्रकारों को जेल में क्यों नहीं डाल देते? तो जनाब जेएनयू और ये पत्रकार असली समस्या नहीं हैं। ये लोग सिर्फ भोंपू हैं, जिनका काम देश को और सरकार को उलझाए रखना है। असली दिक्कत है चीन और पाकिस्तान। अरब और पश्चिमी देशों से आ रहा पैसा जो धर्मांतरण और ऐसे दूसरे कई काम में इस्तेमाल हो रहा है। इसीलिए मोदी सरकार ने पहला कदम इन एनजीओ को बंद करने का उठाया, जिनके जरिए ये धन आता था। आपकी समझ में ना आये तो अलग बात है वैसे नोटबंदी भी उसी योजना का एक हिस्सा भर थी।
हमारे यहाँ कुछ शूरवीर ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि विकास होता रहेगा पहले पाकिस्तान को सबक सिखाओ। ये वो ही शूरवीर हैं जो कि एटीएम से चार बार पैसा निकालने के बाद 20 रुपया फीस लगने पर चिल्लाने लगते हैं कि हाय-हाय हम मर गए… हमें नहीं चाहिए ऐसी सरकार जो गरीबों के पेट पर लात मारती हो। ये लड़ेंगे युद्ध? वैसे इन समझदारों को पता नहीं कि युद्ध लड़ने से पहले बहुत तैयारी करनी पड़ती है। देश में गोला बारू का पर्याप्त स्टॉक होना चाहिए। अच्छे टैंक, विमान और सैनिकों के पास अच्छी मशीनगन होनी चाहिए।
पिछली सरकार की कृपा से इन सारे मामलों में हमारी हालत खराब है। कुछ लोग कहते हैं की फोड़ दो पाकिस्तान पर परमाणु बम जो होगा देखा जाएगा। ये वो महानुभाव हैं जो बैंक की लाइन ने अगर 4 घंटे खड़े रहें तो इन्हें चक्कर आ जाते हैं और परमाणु युद्ध इन्हें बच्चों का खेल लगता है। वैसे इन्हें ये भी नहीं पता कि अगर हिंदुस्तान-पाकिस्तान आपस में परमाणु युद्ध लड़कर तबाह हो गए तो चाइना कितनी आसानी से हमारे ऊपर कब्ज़ा कर लेगा। खैर फेसबुक पर शूरवीर बनने में क्या जाता है इसमें तो एटीएम विदड्रॉल का 20 रुपया भी नही लगता और अगर लगने लग जाए तो ये शूरवीर यहाँ से भी गायब हो जायेंगे। बोलेंगे नहीं चाहिये युद्ध मुझे मेरे 20 रुपये वापस दो।
खैर ये तो हुई समस्या, अब हल क्या है? इस सरकार और पिछली सरकार में फर्क क्या है? फर्क है नीयत का और कोशिश का। ये सरकार देश में अवैध धन लाने वाले 13 हजार एनजीओ को रातों-रात बंद कर सकती है। ये सरकार फ्रांस से मोलभाव करके राफेल विमानों की खरीद में 56 हजार करोड़ रुपये बचा लेती है। इतना ही नहीं उस कंपनी से कहती है कि हमें बेचने के लिए फाइटर जेट की फैक्ट्री भी भारत में ही लगाओ। हम आपको बता दें कि राफेल वो लड़ाकू विमान है जिससे चीन भी डरता है। ये दुनिया का सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान है। ये सरकार रक्षा सौदों की रफ्तार बढ़ाती है। सैनिकों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विज़न और बढ़िया क्वालिटी के हेलमेट खरीदती है। उनके लड़ने के लिए लेज़र और बेहतर क्वालिटी की गन खरीदती है। नई तोपें खरीदी जाती हैं जोकि पिछले 30 साल में नहीं हुआ। इजराइल से समझौते करती है ताकि युद्ध की स्थिति में गोला-बारूद की सप्लाई बेरोक-टोक रहे। इरान और अफगानिस्तान में बेस बनाती है, जिससे युद्ध की स्थिति में दुश्मन के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोला जा सके। चाइना बॉर्डर पर परमाणु क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात करती है। चाइना के लगभग सारे पड़ोसी देशों से दोस्ती बढ़ाती है ताकि युद्ध की स्थिति में उसे चारों तरफ से घेरा जा सके। श्रीलंका में भारत समर्थक सरकार लाई जाती है (ये नहीं समझ सकते कि कैसे तो जाने दो)। और हाँ देश में तेल रिज़र्व भी बनाया जा रहा है जिससे कि किसी भी आपात स्थिति का सामना किया जा सके क्योंकि देश तेल के लिए अरब देशों के भरोसे है, जो किसी भी संकट में सप्लाई बंद कर सकते हैं। वैसे मोदी इन अरब देशों को भी साथ लाने में जुटे हैं। कुछ को उनका फायदा दिखाकर तो कुछ को शिया-सुन्नी की लड़ाई का फायदा उठाकर। एक बात और, इन सब चीज़ों के पैसे लगते हैं, फ्री में नहीं आतीं और इसीलिए तेल के दाम भी अभी कम नहीं होंगे और ना ही टैक्स अभी कम होगा।
तो संक्षेप में मोदी ठंडा करके खा रहे हैं क्योंकि हमें गलती करने पर दोबारा मौका नहीं मिलेगा। देश सीधी लड़ाई से हमेशा बचने की कोशिश करेगा। लेकिन सीधी लड़ाई की तैयारी भी पूरी रखेगा। जब तक तैयारी पूरी न हो कुछ बड़ा नहीं होने वाला। सीमा पर छोटी-मोटी मुठभेड़ें जारी रहेंगी। हमारे कुछ सैनिकों को वीरगति भी प्राप्त होगी और कश्मीर भी सुलगता रहेगा। कांग्रेस की रोटी खाकर मोटे हुए पत्रकार भी गला फाड़कर चिल्लाते रहेंगे, जेएनयू के झोलाछाप बुद्धिजीवी भी शोर मचाएंगे। यानी कि सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा (बल्कि ज्यादा चिल्लायेंगे)। लेकिन मोदी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। वो बिलकुल चुपचाप रहेगा और अपना काम करता रहेगा। इन सबकी चिल्लपों का काम तमाम एक झटके में होगा तब तक आपकी मर्ज़ी है कि आप भी इनकी तरह से शोर मचाएंगे या चुपचाप बैठकर तमाशा देखेंगे।
आप अपना वोट 2019 में किसी भी पप्पू, टीपू, केजरीवाल या ममता बनर्जी को देने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन मेरा वोट सिर्फ मोदी को है। क्योंकि ना मैं देश को बंगाल बनते देखना चाहता हूँ, ना योगी के आने से पहले का यूपी, ना लालू का बिहार और ना ही आज के जैसी दिल्ली। मैं देखना चाहता हूँ एक सशक्त भारत और उसके लिए मैं इंतज़ार करने को तैयार हूँ। मेरे लिए पकिस्तान के 10, 100 या फिर हज़ार सैनिको के सर से ज्यादा महत्वपूर्ण उसकी संपूर्ण हार है। मैं उस बड़ी जीत के लिए इंतज़ार करने को तैयार हूँ। जब अपनी नींव कमजोर होती है तो उसे भरने में समय लगता है। कमजोर नींव पर बने महल भरभरा कर गिर जाते हैं। इसलिए मैं ये समय मोदी को देने के लिए तैयार हूँ।
(अनाम लेखक के विचार, सोशल मीडिया से प्राप्त)
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