उफा में मोदी ने आगे बढ़कर नवाज शरीफ से मिलाया हाथ, बातचीत जारी


2. जून: शरीफ ने मोदी की मां के लिए साड़ी भेजी।
3. जुलाई : एक ही महीने बाद पाकिस्तान ने बॉर्डर पर फायरिंग की। इसमें दो जवान शहीद हो गए थे।
4. अगस्त : में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर अब्दुल बासित ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात की। इसके विरोध में भारत ने इस्लामाबाद में होने वाली दोनों देशों के फॉरेन सेक्रेटरी की बातचीत ही रद्द कर दी।
5. सितंबर : नवाज शरीफ ने यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी जनरल बान की मून के साथ मुलाकात में कश्मीर का मुद्दा उठा दिया। कहा- यूएन सिक्युरिटी काउंसिल में कश्मीर का मुद्दा लंबे वक्त से पेंडिंग है। भारत ने इसका विरोध किया।
6. अक्टूबर : एलओसी और बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से जारी फायरिंग के बाद 8 नवंबर 2014 को जम्मू-कश्मीर के उड़ी में फायरिंग में एक महिला की मौत हुई थी। एक जवान शहीद भी हुआ था।
7. नवंबर : मोदी-नवाज नवंबर में सार्क समिट के दौरान मिले। लेकिन दोनों के बीच औपचारिक बातचीत नहीं हुई।
8. मार्च 2015 : फॉरेन सेक्रेटरी एस जयशंकर ने पाकिस्तान के फॉरेन सेक्रेटरी एजाज अहमद चौधरी से मुलाकात की। 2012 के बाद यह पहला मौका था जब दोनों देशों के फॉरेन सेक्रेटरी ने मुलाकात की थी।
9. जून : मोदी बांग्लादेश दौरे पर गए। वहां उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंक फैलाकर भारत की ‘नाक में दम’ कर रखा है। म्यामांर में आर्मी की कार्रवाई के बाद भारत ने कहा कि पश्चिम के पड़ोसी देशों में भी ऐसी कार्रवाई हो सकती है। इशारा पाकिस्तान की ओर था। पाकिस्तान ने इस बयान पर कड़ा एतराज जताया।
10. जुलाई : पहले परवेज मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान ने एटम बम क्या शब-ए-बारात के लिए बचाकर रखे हैं। जुलाई में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान एटम बम का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेगा।
11. 5 जुलाई : नौगाम सेक्टर में गोलीबारी में एक बीएसएफ जवान शहीद हो गया। तीन अन्य इलाकों में पाकिस्तान ने फायरिंग की।
12. 7 जुलाई : पाकिस्तान ने जम्मू से 20 किलोमीटर दूर अरनिया सेकटर में बीएसएफ की 6 पोस्ट पर फायरिंग की।
13. 9 जुलाई : मोदी-शरीफ की मुलाकात से पहले पाकिस्तान ने नॉर्थ कश्मीर के बारामूला सेक्टर में फायरिंग की। इसमें बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया। कुछ ही घंटों बाद रूस में मोदी-नवाज की डिनर पर अनौपचारिक बैठक हुई।
EXPERT VIEW : मुलाकात से ज्यादा उम्मीद न करें
विदेश मामलों के जानकार जी. पार्थसारथी ने बताया कि मोदी-शरीफ की मुलाकात में पाकिस्तान के विदेश सचिव का भारत दौरा तय हो सकता है। इस मुलाकात से इससे ज्यादा उम्मीद लगाने से पहले पाकिस्तान की अंदरूनी स्थिति देखनी होगी। वहां की फॉरेन और डिफेंस पॉलिसी आर्मी के हाथ में है। अफगानिस्तान, भारत, चीन और अमेरिका से रिश्तों पर सभी फैसले आर्मी ही लेती है। ऐसे में इस मुलाकात से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ राहिल शरीफ भारत के प्रति नफरत रखते हैं। 1965 की जंग में शरीफ ने चाचा को खोया। 1971 की जंग में भाई को। उन्हीं की फौज के दबाव में पाकिस्तान ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। शरीफ के पास कुछ करने की पॉलिटिकल पावर भी तो नहीं है। भारत में भी कोई नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान को हम कुछ राजनीतिक फायदा दें और वह आतंकवाद के रास्ते पर चलता रहे।
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