याकूब की फांसी पर जल्द फैसला मुमकिन, सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई

yakub_14तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो,नई दिल्ली। 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की ओर से डेथ वारंट के खिलाफ दायर पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई शुरू हो चुकी है। सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के बीच डेथ वारंट को गैर कानूनी बताने वाली इस पिटीशन पर सुनवाई करते हुए एक राय नहीं बन पाई थी। जिसके बाद चीफ जस्टिस ने पिटीशन को तीन जजों की लार्जर बेंच को भेजा था।
दो जज, दो राय, उलझ गई याकूब की फांसी
जस्टिस एआर दवे जस्टिस कुरियन जोसेफ
* मेमन की फांसी पर इस कोर्ट ने मुहर लगाई। रिव्यू पिटीशन, क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हुई। प्रेसिडेंट मर्सी पिटीशन ठुकरा चुके हैं।
* चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने क्यूरेटिव पिटीशन पर फैसला लेने में तय प्रोसेस का अमल नहीं किया।
* गवर्नर को एक और पिटीशन दी है। गवर्नर यदि याकूब के पक्ष में फैसला लेना चाहते हैं तो वे फांसी से पहले फैसला सुना सकते हैं। * 9 अप्रैल 2015 को रिव्यू पिटीशन खारिज हुई थी। उस बेंच में जस्टिस दवे, जे. चेलमेश्वर और मैं था। लेकिन क्यूरेटिव पिटीशन खारिज करने वाली चीफ जस्टिस बेंच में सिर्फ जस्टिस दवे थे। जस्टिस चेलमेश्वर और मैं नहीं।
* क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई में कोई गलती नहीं हुई है। सॉरी, मैं डेथ वारंट पर स्टे नहीं दे सकता। (मनुस्मृति के एक श्लोक का उल्लेख करते हुए…) यदि राजा किसी अपराध की सजा नहीं देता है तो इसका पाप उसके सिर पर चढ़ता है। * कानून व्यक्तियों के लिए है। कानून मजबूर नहीं है। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि उच्च संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करने वाले सुप्रीम कोर्ट के पास अधिकार नहीं है।
*क्यूरेटिव पिटीशन में जो मुद्दे उठाए थे, वह अप्रासंगिक थे। उनमें कुछ भी ठोस नहीं था। इन हालातों में पिटीशन खारिज की जाती है। * उक्त हालातों में मैंने पाया क्यूरेटिव पिटीशन पर ऑर्डर प्रोसेस के मुताबिक नहीं है। रूल्स 2013 के तहत फिर से रिव्यू किया जाए। डेथ वारंट रोका जाए।
जस्टिस कुरियन जोसेफ के मुताबिक, नौ अप्रैल 2015 को याकूब की रिव्यू पिटीशन खारिज हुई थी। उस बेंच में जस्टिस दवे, जस्टिस जोसेफ और जस्टिस जे. चेलमेश्वर थे। लेकिन 21 जुलाई को याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज करने वाली चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की बेंच में सिर्फ जस्टिस दवे थे। जस्टिस जोसेफ और जस्टिस चेलमेश्वर नहीं। सुप्रीम कोर्ट के 2002 में बनाए नियमों के मुताबिक, जिस बेंच ने रिव्यू पिटीशन खारिज की है, उसे ही क्यूरेटिव पिटीशन सुनना थी।
डेथ वारंट को याकूब की चुनौती पर सुनवाई के दौरान सोमवार को बेंच ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से क्यूरेटिव पिटीशन से जुड़े नियमों को स्पष्ट करने को कहा था। इस पर उन्होंने कोर्ट को बताया कि 21 जुलाई को क्यूरेटिव पिटीशन खत्म होने के बाद मेमन के लिए सभी कानूनी रास्ते बंद हो गए हैं। हालांकि, मेमन के वकील राजू रामचंद्रन ने दावा किया कि क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। याकूब ने सुप्रीम कोर्ट में जो पिटीशन दायर की है उसमें कहा गया है कि उसे फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि टाडा कोर्ट का डेथ वारंट गैर-कानूनी है। याकूब का कहना है कि 9 अप्रैल को रिव्यू पिटीशन कैंसल होने के बाद डेथ वारंट जारी किया गया जबकि उस वक्त क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग थी। एक दूसरे मामले में याक़ूब की फांसी पर रोक के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने भी सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने याकूब का डेथ वारंट जारी कर दिया है, जिसके लिए 30 जुलाई का दिन तय किया गया है।
अपनी किताब टर्निंग प्वाइंट्स (Turning Points) ने डॉ. कलाम ने कहा था,”बतौर प्रेसिडेंट मेरे लिए सबसे कठिन कार्य मौत की सजा को कन्फर्म करना था जिसे कोर्ट ने दिया था…मैं सरप्राइज था…इसमें पेंडिंग ज्यादातर केस के साथ सोशल और इकोनॉमिक भेदभाव जुड़ा हुआ था। इससे मुझे लगा कि हम ऐसे व्यक्ति को सजा दे रहे हैं जिसमें बुराई नहीं है और क्राइम में उसका डाइरेक्ट मोटिव नहीं था।” हालांकि, कलाम ने यह भी कहा था कि एक केस में उन्होंने पाया था कि दोषी ने क्राइम किया था, जिस पर कोई संदेह नहीं था। यह मामला धनंजय चटर्जी का था। डॉ. कलाम ने अपने कार्यकाल में केवल धनंजय की मर्सी पिटीशन खारिज की थी और बाकी पिटीशन पर वह फैसला नहीं ले सके थे। धनंजय कोलकाता में 18 साल की लड़की का रेप और मर्डर करने का दोषी था। कैपिटल पनिशमेंट (मौत की सजा) को लेकर लॉ कमिशन ऑफ इंडिया कंस्लटेशन पेपर में अपने रिएक्शन में डॉ. कलाम उनलोगों में से एक थे जिन्होंने ऐसी सजा को खत्म करने का समर्थन किया था।
आज रात जेल में बर्थडे मनाएगा याकूब
याकूब मेमन का 30 जुलाई को 53वां बर्थ डे है। और अगर सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन को खारिज कर दिया तो हो सकता है कि इसी दिन उसे फांसी के फंदे पर भी लटकाया जाए। नागपुर सेंट्रल जेल प्रशासन ने याकूब के परिवार को उसके जन्मदिन पर केक भेजने की इजाजत दी है। बुधवार की रात वह जेल अफसरों और कुछ कैदियों के बीच केक कटेगा। याकूब की पत्नी राहिन और अन्य रिश्तेदारों ने पिछले हफ्ते जेल में उससे मुलाकात की थी। तब उसने ही जेल प्रशासन से याकूब तक केक पहुंचाने की अपील की थी। मंगलवार शाम को याकूब से उसका चचेरा भाई उस्मान जेल में मिला। उस्मान याकूब के वकील के साथ तीन घंटे तक जेल में रहा।
 फांसी हुई तो नागपुर जेल में ही दफनाया जाएगा
सूत्रों के अनुसार, अगर याकूब मेमन को फांसी दी जाती है तो उसे नागपुर के सेंट्रल जेल में ही दफनाया जा सकता है। हालांकि पहले इस तरह की खबरें थीं कि फांसी के बाद याकूब की डेड बॉडी उसकी फैमिली को दी जा सकती है। अब जानकारी मिल रही है कि नागपुर जेल एडमिनिस्ट्रेशन उसको जेल में ही दफनाने की तैयारी कर रही हैं। इसके पीछे वजह यह है कि एडमिनिस्ट्रेशन यह नहीं चाहती कि याकूब को फांसी के बाद किसी तरह की लॉ एंड ऑर्डर की दिक्कतें आएं।
बेटी और वाइफ को मिलेगी परमिशन
एक अंग्रेजी अखबार ने नागपुर जेल के एक अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि फांसी के बाद याकूब की बॉडी उसकी फैमिली को नहीं दी जाएगी। हालांकि उसकी वाइफ राहिन और बेटी जुबैदा को याकूब को दफनाते वक्त मौजूद रहने की परमिशन दी जाएगी। हालांकि याकूब के वकील अनिल गेडाम का कहना है कि वे सरकार से याकूब की बॉडी मांगेंगे। याकूब को दफनाने के लिए गोल मैदान में एक जगह भी तय कर ली गई है। पिछले शनिवार को महाराष्ट्र की एडीजी (जेल) मीरा बोरवनकर ने नागपुर जेल का दौरा कर वहां के अरेजमेंट्स की जानकारी ली। हालांकि उन्होंने मीडिया को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
 

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