यादव सिंह को क्लीनचिट देने वाले सीबीसीआईडी अफसरों को सीबीआई ने किया तलब

लखनऊ। सीबीआई ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के अरबपति चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह को क्लीन चिट देने वाले सीबीसीआईडी के अधिकारियों को तलब किया है। सीबीआई की चिट्ठी से अधिकारी सकते में हैं और सीबीआई से तफ्तीश की पत्रवली का जवाब देने के लिए वक्त मांगा है। जांच आगे बढ़ी तो सीबीसीआईडी के तत्कालीन बड़े अफसरों से भी सीबीआई पूछताछ कर सकती है।
आपको बता दें कि बसपा शासनकाल में सर्वशक्तिशाली रहे अभियंता यादव सिंह पर सपा सरकार ने सत्ता में आते ही कार्रवाई करते हुए सीबीसीआईडी की जांच बैठा दी थी। लेकिन कुछ ही दिनों में सपा सरकार में भी अपने समीकरण फिट कर चुके यादव सिंह को जांच एजेंसी ने क्लीन चिट दे दी। जांच के नाम पर सीबीसीआईडी की टीम ने एक बार नोएडा का दौरा किया और वापस लौट आई। इसके बाद इस मामले में टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट को आधार बनाकर फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी।
उधर, यादव सिंह के साथ-साथ उनके करीबियों की मुश्किलें जल्द ही बढ़ने वाली हैं| यादव सिंह से गठजोड़ कर करोड़ों के भूखंड सस्ते में हासिल करने वालों को अब सीबीआई के सवालों का जवाब देना होगा। उन्हें बताना होगा कि जमीन हासिल करने के इस खेल में उन्होंने कितनी ऊपरी रकम दी और कितना मुनाफा कमाया।
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो सीबीआई यह कवायद इसलिए कर रही है ताकि यह पता चल सके कि यादव सिंह ने अपने कार्यकाल में कितना कालाधन इकठ्ठा किया है| जाँच एजेंसी ने नोएडा प्राधिकरण के आला अफसरों से आवंटित भूखंडों का ब्यौरा जुटा लिया है। इसके तहत सीबीआई ने प्राधिकरण प्रशासन से संबंधित प्लाटों के मूल दस्तावेज हासिल कर लिए हैं।
सूत्रों का कहना है कि एसी-टू विंग की एक टीम यादव सिंह व उसके साथ करीबी रिश्ते रखने वालों के नाम से बनी फर्मों के लेखाजोखा की जांच में जुटी है। जाँच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश में है कि इन फर्मों में यादव सिंह ने कितनी रकम का निवेश किया और कितनी विदेश की कंपनियों को स्थानांतरित की। यह जांच यादव सिंह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग करने के अंदेशे पर की जा रही है।
वहीँ, खबर यह भी है कि नोएडा प्राधिकरण से रोजाना 60 से 70 फाइलें सीबीआई को भेजी जा रही हैं। विगत दो दिनों से दो सौ से ज्यादा फाइलें भेजी जा चुकी हैं। 1 सितंबर तक तमाम फाइलें भेजी जाएंगी। सिविल, विद्युत यांत्रिकी, उद्यान, जनस्वास्थ्य आदि विभागों के मूल दस्तावेज सीबीआई के पास जा रहे हैं, जबकि प्रतिलिपि नोएडा प्राधिकरण के रिकॉर्ड में जमा हैं।
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