यूपी विधानसभा में तो हुई चूक पर चूक,1०० में 94 कैमरे खराब 

राजेश श्रीवास्तव
इन दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा में खतरनाक विस्फोटक पीटीईएन मिलने से हंगामा बरपा हुआ है। दिलचस्प यह है कि यह विस्फोट तब हुआ जब एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने योगी सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों की सुरक्षा में भारी कटौती की थी। यह कटौती भी उन मंत्रियों की थी जो दूसरे दलों से चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी में आये थे। सबसे गंभीर सवाल है कि आखिर इस विस्फोटक के विधानसभा में लाने के मायने क्या हैं ? बिना डेटोनेटर इसका कोई इस्तेमाल नहीं हो सकता। सघन तलाशी के बावजूद कोई डेटोनेटर नहीं मिला, मतलब साफ है कि इसको लाने की मंशा केवल भय का माहौल बनाना है। अब दूसरी बात यह है कि आखिर यह विधानसभा के अति सुरक्षा घेरे में कैसे पहुंचा। जिस स्थल पर यह खतरनाक विस्फोटक पाया गया वहां केवल माननीय ही बिना किसी जांच के जा सकते हैं और कोई नहीं। यह उस स्थान पर पाया गया जहां सपा के सदस्य बैठे थ्ो। रायबरेली से सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय की कुर्सी के ठीक नीचे। रायबरेली कांड में भी मनोज पांडेय का नाम आया था। योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने उन पर इस मामले में गंभीर आरोप जड़े थे। मनोज पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह सपा सरकार में इतने विवादों में आये थे कि उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। आम्र्स एक्ट के तहत उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। लेकिन जमानत पर रिहा हो गये थे।। मनोज कुमार पांडेय पिछले दिनों रायबरेली में मारे गये ब्राह्मण लोगों की हत्या के विरोध में पुरजोर तरीके से आवाज उठा रहे थे। पूरा सदन इस मामले में हंगामा कर रहा था और सत्ता पक्ष को घेर रहा था। खैर यह जांच में सामने आयेगा कि इसके पीछे कौन है। सवाल यह भी है कि क्या यह सच सामने आ पायेगा, क्योंकि अभी जिस तरह पूरे दो दिन की जांच के बाद जांच एजेंसी एटीएस के हाथ खाली हैं। कैमरे की रिकार्डिंग गायब मिली है। उससे यह अनुमान लगा पाना कि जांच के परिणाम बहुत जल्दी सामने आयेंगे, थोड़ा मुश्किल लग रहा है। खैर एनआईए जैसी देश की बड़ी एजेंसी भी इस मामले की जांच की तैयारी में जुटी है।
एटीएस ने दो विधायक और 15 कर्मचारियों से पूछतांछ की लेकिन उसके हाथ कोई सुराग नहीं लगा। जांच अधिकारियों का कहना फुटेज के साथ छेड़छाड़ किये जाने की आशंका की जांच की जा रही है। इस विस्फोटक के मिलने के बाद चर्चा यह भी है कि भयमुक्त सरकार का नारा देने वाली योगी सरकार जब विधानसभा की सुरक्षा भी ठीक से नहीं कर पा ही है तो आम आदमी की सुरक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है। उप्र सरकार की घोर लापरवाही का अंदाजा भी इससे लगाया जा सकता है कि आईबी के इनपुट के बावजूद सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। चूक पर चूक इतनी हुई कि पूरा मामला सिर्फ लापरवाहियों का पुलिंदा भर दिखता है। विधानसभा में 1०० सीसीटीवी कैमरे लगे हैं लेकिन इनमें से 94 तो खराब ही पड़े हैं। इसी विधानसभा में सोमवार को राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है।
आज अगर विधानसभा में विस्फोटक नहीं मिलता तो कभी इस बात का खुलासा नहीं होता कि विधानसभा में लगे तकरीबन सभी सीसीटीवी खराब हैं। आखिर इसके पीछे कौन जिम्मेदार है। क्या इसकी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए कि सुरक्षा दस्ते ने इतनी बड़ी चूक कैसे की, कैसे इतने सारे माननीयों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया। कैसे विधानसभा में खतरनाक विस्फोेटक पहुंच गया। आखिर किसने इतना दुस्साहस किया। यह सभी जांच के पहलू हैं। लेकिन इतना भी तय है कि यह आतंकी घटना का मामला नहीं बल्कि किसी माननीय या विधानसभा से जुड़े किसी कर्मचारी की साजिश का हिस्सा ही है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button