यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, बताए एक साल में क्यों नहीं बना नया लोकायुक्त

तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में नए लोकायुक्त के चयन को लेकर सोमवार को एकबार फिर अखिलेश सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अदालत के निर्देश के बाद भी एक साल में नए लोकायुक्त का चयन क्यों नहीं किया जा सका ? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हरकत में आए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को ही अपने आवास पर लोकायुक्त चयन कमिटी की बैठक बुलाई है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दो दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश को नया लोकायुक्त मिल जाएगा। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक यूपी की समाजवादी सरकार रिटायर्ड जस्टिस रविन्द्र सिंह यादव को लोकायुक्त के रूप में नियुक्त करना चाहती है। जस्टिस रविन्द्र सिंह के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी, लेकिन राज्यपाल और इलाहाबाद हाईकोर्ट की आपत्ति के बाद मामला बीच में ही लटक गया था। जिसके बाद से यूपी सरकार ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा था। सोमवार को नए सिरे से शुरू हुई नए लोकायुक्त के चयन की प्रक्रिया में भी जस्टिस रविन्द्र सिंह सरकार की नंबर वन पसन्द बताए जा रहे हैं। जिसके पीछे का मुख्य कारण जस्टिस रविन्द्र सिंह और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के करीबी संबन्ध हैं। आपको बता दें कि यूपी के लोकायुक्त एक्ट के तहत लोकायुक्त का कार्यकाल छह वर्ष का होता था, जिसे वर्तमान सरकार ने संसोधित कर आठ साल कर दिया था। मौजूदा लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने कार्यालय मार्च 2006 में संभाला था, जो संशोधन के बाद मार्च 2014 में पूरा हो चुका है। अप्रैल 2014 में छह माह के भीतर नए लोकायुक्त के चयन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को दिए गए निर्देश के बावजूद यूपी सरकार बीते एक वर्ष में नए लोकायुक्त की नियुक्ति करने में असफल रही है। जिसके लिए अदालत ने यूपी सरकार के मुख्य सचिव अलोक रंजन को अदालत की अवमानना के लिए दोषी माना है।
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