ये हैं वो 5 पुराने साथी जिनसे केजरीवाल को लगता है डर

नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल इन दिनों अपने ही पुराने साथियों के उठाए सवालों से बचते फिर रहे हैं। अन्ना आंदोलन के वक्त से साथ रहे इनमें से कई साथी अपनी नौकरी और जमा-जमाया काम सौंपकर केजरीवाल के साथ जुड़े थे। लेकिन बाद में काम निकल जाने पर केजरीवाल ने उन्हें किनारे लगा दिया। इनमें कई ऐसे भी हैं जिन्होंने केजरीवाल के कामकाज के निरंकुश तरीके के खिलाफ आवाज उठाई और उन्हें इसकी सज़ा दी गई। आज भले ही अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के एकछत्र नेता हों, लेकिन अपनी ही पार्टी के इन पुराने साथियों से उन्हें नजरें चुरानी पड़ती हैं। हम उन पांच चेहरों के बारे में बताते हैं, जिनके सवालों पर केजरीवाल की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है।
1. कपिल मिश्रा, सेर पर सवा सेर
अरविंद केजरीवाल से बगावत करके बाहर हुए सबसे ताजा चेहरे हैं। कपिल मिश्रा ने दावा किया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री को एक शख्स से 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेते देखा है। इसके बाद उन्हें मंत्री पद से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कपिल मिश्रा कभी सोशल मीडिया तो कभी मीडिया के जरिए केजरीवाल को आइना दिखाते रहते हैं। किसी भी मसले पर वो केजरीवाल के कामकाज के तरीकों और कथित भ्रष्टाचार का खुलासा करते रहते हैं। बिजली पानी से लेकर प्रदूषण जैसे मसलों पर कपिल मिश्रा सीधे अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछते हैं, लेकिन अब तक दिल्ली के तथाकथित ईमानदार मुख्यमंत्री उनके सवालों से पीछा छुड़ाकर भागते रहे हैं।
दिल्ली याद रखेगी … एक निक्कमा CM जिसके कारण पूरी दुनिया मे दिल्ली का मजाक बन रहा है https://t.co/LNauaNAu6s
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) December 6, 2017
AAP in UP –
16 मेयर – सबकी जमानत जब्त
429 नगर पंचायत – 2 जीते , 401 जमानत जब्त
198 नगर पालिका – सबकी जमानत जब्तपंचायत व पालिका सदस्य कुल 8000 सीट – 29 जीती , 7656 सीटों पर जमानत जब्त
1- पंचायत अध्यक्ष
2- पार्षद
16- सभासद
Still trending #UPWelcomesAAP #UPCivicPolls2017— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) December 1, 2017
2. मुनीष रायजादा, केजरीवाल का सही इलाज़
पेशे से डॉक्टर हैं और अमेरिका के शिकागो में प्रैक्टिस करते हैं। डॉक्टर रायजादा ने आम आदमी पार्टी की एनआरआई शाखा की स्थापना की थी। डॉक्टरी के अपने व्यस्त पेशे से वक्त निकालकर उन्होंने करोड़ों रुपये चंदे के तौर पर बटोरकर आम आदमी पार्टी के खाते में भेजा। डॉक्टर रायजादा चाहते थे कि केजरीवाल चंदे का पूरा हिसाब पार्टी की वेबसाइट पर दें, ताकि उनके जरिए पैसे देने वालों को तसल्ली रहे। लेकिन केजरीवाल इसके लिए तैयार नहीं हुए। बाद में केजरीवाल और लालू यादव की मुलाकात के विरोध में लेख लिखने के आरोप में उन्हें भी पार्टी से निकाल दिया गया। मुनीष रायजादा तब से अरविंदकेजरीवाल के लिए मुसीबत बने हुए हैं। वो सोशल मीडिया और अपनी वेबसाइट newsgram.com के जरिए अपना अभियान जारी रखे हुए हैं। साथ ही पंजाब चुनाव में उन्होंने लोगों के घर-घर जाकर अपने साथ हुई दगाबाजी की कहानी बताई। उनके चंदा बंद अभियान का पंजाब विधानसभा और दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी की हार में बड़ा योगदान माना जाता है।
इटालियन सोनिया की कांग्रेस का वंशवाद तो समझ आता है.
हमारी AAP में 5 साल में ही एक ही बन्दे ने पार्टी पर कब्ज़ा कर लिया है, चंदा डकार लिया है व् सारे सिधान्तों को गर्त में डाल दिया है.#ChandaChor— Dr. Munish Raizada (@DrMunishRaizada) December 5, 2017
3. शाजिया इल्मी, केजरीवाल को चुनौती
अन्ना आंदोलन की शुरुआती सदस्यों में से एक शाजिया इल्मी के कद के आगे कभी अरविंद केजरीवाल कुछ भी नहीं हुआ करते थे। तब केजरीवाल उनके संपर्कों का फायदा उठाकर मीडिया में पैठ बनाने में जुटे हुए थे। लेकिन एक बार जब काम निकल गया तो केजरीवाल और उनके करीबियों को शाजिया इल्मी खटकने लगीं। उन्हें बड़ी सफाई से साइड लाइन कर दिया गया। आज शाजिया इल्मी बीजेपी में हैं और वो आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के दोहरे चरित्र को उजागर करने का कोई मौका नहीं छोड़तीं। टीवी की बहसों से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों तक केजरीवाल भरसक कोशिश यही करते हैं कि शाजिया इल्मी से सामना न हो जाए।
4. अश्विनी उपाध्याय, पोल खोल में आगे
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक अश्विनी उपाध्याय अरविंद के लिए बड़ी चुनौती रहे हैं। आम आदमी पार्टी के मामलों पर जितनी पकड़ उनकी है उतनी शायद ही किसी की हो। पेशे से वकील अश्विनी ने बार-बार उनकी मुश्किलें बढ़ाई हैं। अब बीजेपी के प्रवक्ता के तौर पर टीवी चैनलों पर वो आम आदमी पार्टी के नेताओं को बेनकाब करते रहते हैं। अश्विनी उपाध्याय अच्छे वक्ता हैं। बताते हैं कि यही कारण था कि उन्हें लेकर केजरीवाल में हीनभावना थी। अश्विनी उपाध्याय उन शुरुआती नेताओं में से थे, जिन्होंने पहली बार बताया था केजरीवाल को कहीं न कहीं देशविरोधी तत्वों की तरफ से मदद मिल रही है।
5. नील टेरेंस हसलम, नंबर-2 का धंधा पकड़ा
नील भी अन्ना आंदोलन के शुरुआती लोगों में से एक थे, बाद में आम आदमी पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। नील आर्थिक मामलों पर अच्छी पकड़ रखते हैं और उन्होंने दस्तावेजों की मदद से अरविंद केजरीवाल और उनके विधायकों के भ्रष्टाचार के कई मामलों का खुलासा किया है। नोटबंदी के वक्त आम आदमी पार्टी जब चंदे के काले पैसे को सफेद करने के लिए एक्सिस बैंक में जमा करवा रही थी तब भी नील ने पोल खोल दी थी। इसके अलावा वो दो-दो पैन कार्ड रखकर फर्जीवाड़ा करने वाले आम आदमी पार्टी के कई विधायकों का सच भी जनता के सामने ला चुके हैं। आम आदमी पार्टी में चंदे के नाम पर हुई हेराफेरी के ज्यादातर मामलों की पोल उन्होंने ही खोली।
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