योगी आदित्यनाथ से क्यों दुखी है बीजेपी आलाकमान

नई दिल्ली। योगी आदित्यनाथ को उत्तरप्रदेश का बागडोर संभाले करीब 166 दिन हो गए. प्रशासनिक अनुभवहीन 45 वर्षीय योगी आदित्यनाथ को उत्तरप्रदेश का दायित्व मार्च’17 में सौंपने का अनुभव बीजेपी आलाकमान का ठीक नही रहा. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर क्षेत्र में विफल साबित हुए हैं . केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि बीएचयू की घटना को मोदी व शाह ने बेहद गंभीरता से लिया है और योगी से सवाल जवाब भी किया है. सवाल क्या था और जवाब क्या मिला ? इसका खुलासा लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने नहीं की.

विफलताओं की फेहरिस्त लंबी है

शुरुआत रोमियो स्क्वाड का गठन कर, जोड़ों, पति पत्नी और भाई बहन पर जोर जुल्म अत्याचार व सामाजिक शोषण करना. इसके बाद वैध अवैध बूचड़खानों के बीच इसे हटाने व बन्द कराने को लेकर प्रशासन के साथ हिंदू युवा वाहिनी का जोर जुल्म व अत्याचार. गोरखपुर व बुलंदशहर के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 6 हफ्ते में करीब 600 बच्चों की मौत हो जाना. किसानों की कर्ज माफी जैसे गंभीर विषय को मजाक बना देना. किसानों की कर्ज माफी एक रुपये से भी कम महज कुछ पैसे और साथ में मोदी योगी की तस्वीर के साथ प्रचार प्रसार. लखनऊ मेट्रो ट्रेन का बढ़ चढ़कर प्रचार प्रसार के बाद, उद्घाटन के दिन ही यात्रियों का घंटों ट्रेन में फंसे रहना. वाराणसी के दो दिनों के दौरे पर पीएम मोदी थे लेकिन मोदी ने क्या किया और क्या कहा. मीडिया में सुर्खियां या कवरेज यह नही होकर बीएचयू की छात्राओं की यूपी पुलिस द्वारा लाठी से पिटाई बनी. यह सब देखने के बाद बीजेपी आलाकमान नरेंद्र मोदी और अमित शाह को यह पूरा विश्वास हो गया है कि किस मंत्रालय में या किस विभाग में क्या काम हो रहा है या कैसा हो रहा है, इसकी तनिक भी जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नही होती है.

योगी बनाम मौर्या वजह तो नहीं

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पहले दौड़ में आगे चल रहे केशव प्रसाद मौर्या को उप मुख्यमंत्री से ही संतुष्ट होना पड़ा था. इन दोनों की आपसी मनमुटाव व दूरी भी सरकार की विफलता की वजह बताई जाती है. विपक्ष भी हालांकि यह मानता है लेकिन यह भी मानता है कि मौर्या तो काम कर रहे हैं योगी क्यों नही कर पा रहे हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब जुलाई में लखनऊ गए थे तब केशव प्रसाद मौर्या के घर पर ही ठहरे थे. वहीं पर दोनों के बीच की दूरी को दूर करने का प्रयास भी किये थे. अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ से कहा था कि प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा की मदद लें और केंद्र में धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल से निरंतर संपर्क में रहें.

संघ भी नाखुश है योगी से

आरएसएस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रधान मोहन भागवत ने संघ की बैठक के लिए यूपी के वृंदावन को स्वयं चुना था. 31 अगस्त की बैठक में मोहन भागवत ने योगी आदित्यनाथ से कहा कि यूपी में कुछ भी सही नही चल रहा है. सबसे पहले कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त कीजिये, कोई भी अपने आपको कानून व्यवस्था से ऊपर नही समझे. मदरसों में सीसीटीवी लगवाइए लेकिन हिंदू युवा वाहिनी के लोगों से उन्हें अपनी गाड़ी में नम्बर प्लेट भी लगाने को कहिये. गोरखपुर सहित पूर्वी उत्तरप्रदेश के अधिकांश इलाकों में नम्बर प्लेट पर नम्बर की जगह योगी लिखा हुआ है. हमें चुनाव में सिर्फ पूर्वी उत्तरप्रदेश ही नही बल्कि पूरा उत्तरप्रदेश जीतना है. गौरतलब है कि हिंदू युवा वाहिनी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी संगठन है. इसने 2015 में गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग की थी.

अफसरशाह भी हैं परेशानहाल

अफसरशाहों को भी समझ में नही आ रहा है कि क्या करें व किससे कहें. एक आइएएस अधिकारी का कहना है कि गोरखपुर से पांच बार सांसद रहे व गोरखनाथ मंदिर के मठ योगी आदित्यनाथ अभी तक उससे बाहर नही निकले हैं. किसानों की कर्ज माफी पर हो रही बेवकूफी पर जब उनका ध्यान दिलाने के लिए गया तो उन्होंने मेरी बातों को अनमने भाव से सुनने के बाद एक रुद्राक्ष का माला दिया कि यह लीजिये. एक आइपीएस अधिकारी ने कहा कि राज्य में सपा, बसपा या कांग्रेस कोई भी विपक्ष की भूमिका अदा करने की स्थिति में है नही, संख्या नही है. राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस की संख्या तो अपना दल से भी कम है. ऐसे में जो भी थोड़ा बहुत विरोध है वह बीजेपी में ही है. बेलगाम सरकार चल रही है.

 

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