राजनीतिज्ञों को भी खूब सुहाता है धर्म का धंधा

भले ही धर्म के धंधो के लिए ढोंगी और पाखंडी साधू बदनाम हों लेकिन हमारे देश के राजनीतिज्ञों को धर्म का धंधा या कारोबार खूब सुहाता है। राजनीतिज्ञ जब विरोधी के धार्मिक पुरुष या शख्सियत पर हमला करते हैं तो उनकी जुबान कभी नहीं लड़खड़ाती। बल्कि वह इस तरह के बयान दे जाते हैं जो उनको तो सुर्खियों में लाते ही हैं साथ ही उनकी पार्टी को भी खूब खाद-पानी मुहैया करा जाते हैं। दुर्भाग्य यह है कि यह परिपार्टी आज की नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है। लेकिन इसे हाल-फिलहाल चुनाव के दौरान उर्वर भूमि मुहैया कराया भारतीय जनता पार्टी ने। श्मशान और कब्रिस्तार, ईद और दीवाली से बयानबाजी शुरू हुई तो इससे सरदार पटेल, गांधी, अकबर, प्रताप, शाहजहां और टीपू सुल्तान कोई नहीं बच सका। राजनीतिज्ञों को लगता है कि वह इन पर हमले करके विरोधी गुट को साध रहे हैं। भले ही उन्हें यह मुफीद भी लगता हो और उनका समीकरण सधता भी दिखता हो। लेकिन इस तरह की बयानबाजी से बड़ी शख्सियतों पर हमला तो होता है। ऐसी शख्सियतें जिन पर हम नाज करते हैं उन्हें विवादों में लाने का कोई औचित्य नहीं है। बीते एक सप्ताह से ताजमहल पर चला आ रहा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि भारतीय जनता पार्टी के एक कद्दावर नेता और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री केंद्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने टीपू सुल्तान को ‘बर्बर हत्यारा’ और ‘बलात्कारी’ बताते हुए कर्नाटक सरकार को टीपू जयंती से जुड़े तमाम आयोजनों में उन्हें शामिल नहीं करने को कहा है। हेगड़े का यह बयान बेहद विवादित है लेकिन हेगड़े और पूरी भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि वह केरल के हिंदुओं को अपने पक्ष में करने का इससे सुनहरा मौका कोई नहीं हो सकता। लेकिन हेगड़े शायद यह भूल गये कि जब हमारा देश आजादी की जंग लड़ रहा था तो टीपू सुल्तान की तलवार ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थ्ो। ब्रिटिशों के खिलाफ चार युद्ध लड़े गए और टीपू ने सभी में हिस्सा लिया था। इसी तरह अभी कुछ दिन पहले भाजपा के ही संगीत सोम ने ताजमहल को विवादों में खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि ताजमहल भारतीय संस्कृति पर कलंक है। वह भी यह कहते हुए भूल गये थ्ो कि ताजमहल विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। वह हमारे देश की धरोहर है। यहां दूर देश के लाखों पर्यटक हर रोज आते हैं। हालांकि उनके इस बयान से पूरी भारतीय जनता पार्टी ने किनारा कर लिया। लेकिन अब केरल के चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने धार्मिक माहौल बनाना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में हेगड़े का यह बयान कि टीपू सुल्तान हत्यारा और दुराचारी है। इस तरह के बयान देने वाले नेताओं की श्रृंखला छोटी नहीं है और न ही केवल भारतीय जनता पार्टी तक ही सीमित है। इस रोग से कोई भी राजनीतिक दल अछूत नहीं है और नेताओं की श्रृंखला में कई नाम अहम हैं। जैसे : आजम खां, साक्षी महाराज, संगीत सोम सरीख्ो नाम तो आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। दरअसल राजनेताओं को यह बयान इसलिए रास आते हैं क्योंकि इस तरह के बयान देने के बाद यह राजनेता तुरंत चर्चा में आ जाते हैं। पूरे देश के फलक पर छा जाते हैं। उनको लगता है कि चर्चा मंे आने का सबब इन बयानों से बेहतर कुछ नहीं हो सकता । साथ ही इस तरह के बयान देकर राजनेता अपनी पार्टी के हाईकमान तक को रिझा लेते हैं। अगर उनके बयान से पार्टी को फायदा होता है तो उन्हें इसका ईनाम भी मिलता है। दिलचस्प यह है कि कोई भी राजनीतिक दल कितनी भी ईमानदारी और इस तरह के बयानबाजी से किनारा करने का बयान जारी कर ले लेकिन आज तक किसी भी सियासी दल ने इस तरह के बयानबाजी करने वाले नेताओं के प्रति कोई भी कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते इन नेताओं का मनोबल हमेशा चरम पर रहता है। उनको लगता है कि उनके यह चटखारे बयान न केवल उनको बल्कि उनके दल को भी खूब सुर्खियां दिलाते हंै। तो यही कहा जा सकता है कि धर्म का धंधा केवल पाखंडी बाबाओं को ही नहीं ढोंगी नेताओं को भी खूब रिझाता है।
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