राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाई लोकायुक्त की नियुक्ति की फाइल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने गुरूवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पुनः लोक आयुक्त के चयन से संबंधित पत्रावली वापस भेजते हुए कहा है कि उच्चतम न्यायालय के 23 जुलाई 2015 को पारित आदेश के दृष्टिगत मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं राज्य विधान सभा के नेता विपक्ष आपसी विचार-विमर्श एवं सहमति के बाद कोई एक नाम नये लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए प्रस्तावित करें।
राजभवन ने रात में ही नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य को पत्र भेजकर बृहस्पतिवार दोपहर दो बजे तक उनसे जवाब देने का अनुरोध किया। मौर्य ने तय समय से पहले ही जवाब भेज दिया। इसमें उन्होंने साफ कहा है कि तीनों सदस्यों की एक साथ कभी बैठक नहीं हुई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस रवींद्र सिंह के चयन को लेकर मुख्यमंत्री से जो आपत्ति जताई है, उससे संबंधित पत्राचार की उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई।
इसके बाद राज्यपाल ने लोकायुक्त के लिए जस्टिस रवींद्र सिंह के चयन संबंधी फाइल मुख्यमंत्री को लौटाते हुए तीनों सदस्यों को 10 पेज का पत्र भी लिखा है। इसमें कई कानूनी प्रावधानों, अदालतों के फैसलों के संदर्भ, राज्यों के लोकायुक्त अधिनियम तथा 2011 में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के चयन को लेकर पैदा हुए विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले आदि का उल्लेख किया गया है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को फाइल वापस भेजते हुए कहा है कि उच्चतम न्यायालय के 23 जुलाई 2015 को पारित आदेश के मद्देनजर मुख्यमंत्री, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आपसी विचार-विमर्श व सहमति के बाद कोई एक नाम नए लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए प्रस्तावित करें।
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