राष्ट्रपति चुनाव : आज से और बढेगी मुलायम और अखिलेश की दूरियां

शिवपाल और मुलायम ने लगाया विपक्षी एकता को झटका
मुलायम और शिवपाल ने विधायकों से की कोविंद कुमार को वोट की अपील
अखिलेश नहीं डाल सकेंगे वोट
लखनऊ । देश जहां आज 14वंे राष्ट्रपति का चुनाव कर रहा है और लगभग यह तय है कि अगला राष्ट्रपति कोविंद कुमार होंगे क्योंकि संख्या बल विपक्ष के साथ नहीं है। लेकिन विपक्षी दलों ने अपनी साख बनाये रखने के लिए मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद के लिए लड़ाया। विपक्ष को उम्मीद थी कि इस बहाने पूरा विपक्ष एकजुट होगा और सत्ता पक्ष के लिए मुसीबत न सही लेकिन देश के सामने यह साबित कर सकेगा कि विपक्ष नाम अभी एक है। परंतु सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके अनुज शिवपाल सिंह यादव ने एक बार फिर विपक्षी एकता को तार-तार कर दिया है। यह पहली बार नहीं हुआ है। बिहार चुनाव के पहले भी मुलायम सिंह के कदम के चलते महागठबंधन टूटा था। इस बार तो उनकी बयानबाजी के चलते समाजवादी पार्टी में ही टूटन के आसार बढ़ गये हैं।
गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीरा कुमार के समर्थन का ऐलान किया है और शिवपाल ने कोविंद कुमार का। बीते दिनों जब मीरा कुमार सपा के वोटों के लिए सपा मुख्यालय गयी थीं तो अखिलेश और कुछ नेताओं को छोड़कर वहां कोई विधायक नहीं पहुंचा था। तभी से यह साफ हो गया था कि सपा विधायक राष्ट्रपति चुनाव में अलग-अलग वोट करेंगे। मुलायम सिह यादव ने लखनऊ में रामनाथ कोविद के सम्मान में आयोजित डिनर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा था कि उनके रामनाथ कोविद से बहुत ही मधुर संबंध हैं। शिवपाल सिह यादव ने तो साफ कह दिया है कि उनका मत रामनाथ कोविद को ही जाएगा। शिवपाल सिह यादव इटावा के जसवंतनगर से विधायक हैं। विपक्ष के इन दो मजबूत नेताओं ने ही मीरा कुमार के वोट बैंक में सेंध लगा दी है।
उत्तर प्रदेश के समाजवादी परिवार में झगड़े का असर राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की एकता पर भी पड़ रहा है। यह तय है कि मुलायम सिह यादव और शिवपाल यादव क्रॉस वोटिग करेंगे। समाजवादी पार्टी के यह दोनों दिग्गज अखिलेश यादव तथा मीरा कुमार की अपील से अलग एनडीए उम्मीदवार को वोट देंगे। राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाजपा की अगुवाई एनडीए के बढ़ते जनाधार को देखते हुए विपक्षी नेताओं के सामने अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया है। वोटों के गणित के हिसाब से संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार वैसे ही पिछड़ती दिख रही हैं। इसके बाद मुलायम सिह यादव तथा शिवपाल सिह यादव के पाला बदलने के चलते उनकी दावेदारी और भी कमजोर होती दिख रही है।
मुलायम ने 2० जून को लखनऊ में प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में मुख्यमंत्री योगी की ओर से रात्रि भोज में शिरकत करके राष्ट्रपति चुनाव में कोविद का ही समर्थन करने के स्पष्ट संकेत दिये थे। अखिलेश यादव तथा बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने निमंत्रण मिलने के बाद भी रात्रिभोज का बहिष्कार किया था। अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्बंद्बी उनके विधायक चाचा शिवपाल भी मुलायम का अनुसरण करने का खुला एलान कर चुके हैं। उनका कहना है नेताजी (मुलायम) जो कहेंगे, वहीं होगा। शिवपाल के वफादार कहे जाने वाले दीपक मिश्र ने कोविद के खुले समर्थन का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री को उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर बधाई दी थी।
मिश्र किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। सपा के शीर्ष नेतृत्व में इस मतभेद के कारण पार्टी के विधायक और सांसद भी पसोपेश में हैं कि वे आखिर किसके साथ जाएं। 47 सीटों वाली सपा के मतदान से राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, मगर इससे परिवार में कलह और दूरियां जरूर बढ़ेंगी। लोकसभा में मुलायम समेत सपा के पांच सांसद हैं जबकि राज्यसभा में उसके 19 सदस्य हैं। इनमें असम्बद्ध सदस्य के तौर पर अमर सिह भी शामिल हैं जिन्हें पार्टी से निकाला जा चुका है। अखिलेश यादव विधान परिषद सदस्य हैं। इस उच्च सदन के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते, इसलिये अखिलेश भी वोट नहीं डाल पाएंगे। उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव इस चुनाव में मतदान कर सकेंगी।
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