राष्ट्रपति चुनाव: सम्पूर्ण विपक्ष ध्वस्त करना चाहता है BJP को
लखनऊ। जुलाई 2017 में होने वाला राष्ट्रपति पद का चुनाव सम्पूर्ण विपक्ष की रातों की नींद हराम किये हुए है।वर्ष 2014 का लोक सभा चुनाव,2017 के विधान सभा चुनाव और दिल्ली MCD के चुनाव में भाजपा की प्रचण्ड जीत से हताश पूरा का पूरा विपक्ष एकजुट होकर राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी कीमत पर भाजपा के किसी भी प्रत्याशी को,चाहे वह भाजपाई न भी हो, उसे चारो खाने चित्त करने की योजना ही बना रहे है।
“चोर चोर मौसेरे भाई” की कहावत को देखना चाहते हो तो वर्तमान परिवेश में विपक्षी एकता के रूप में देंखे। लालू,ममता,केजरीवाल,सोनिया गांधी जैसे सभी भ्रस्ट नेता एक जुट होकर विपक्ष का एक सयुक्त उम्मीदवार खोज रहे है जो सबके मन को भावे और सबकी बात माने। शरद पवार हो या शरद यादव,शरद के नाम पर सभी विपक्षी दल एकमत नही हो पा रहे है। येचुरी महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण ग़ांधी को राष्ट्रपति बनवाने के लिये पूरी कोशिश में है पर सूत्रों के अनुसार ‘सोनिया को गांधी’ नही पसंद है। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों का उम्मीदवार बनने की कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की पेशकश को ठुकरा दिया है।
,लालू यादव 1000 करोड़ की बेनामी संपत्ति को बचाने की जोड़तोड़ में लगे है,डर है कि बच्चे दामाद उनकी गलत हरकतों का शिकार न हो जाये। अपने बचाव में वे विपक्षी पार्टियों को लात मारकर किसी भी समय भाजपा का भी हाथ थाम सकते है।
‘रज़िया फंस गई गुंडों के जाल में’ वाली स्थिति ‘म’ ,से शुरू होने वाली “माया और ममता” दोनों का ही है। दोनों अपने माया के मोह में ऐसी लिप्त है कि ‘दो धारी तलवार’ उन पर कब गिर जाये दोनों स्वंम नही जानती। दोनों को ही उनके सबसे हमदर्द रहे मुस्लिम साथी से ही इतना अधिक भय है कि सपने में भी उन्हें हिसाब किताब ही दिखाई देता है।इधर भ्रस्टाचार के शिकार केजरीवाल को भी अपना बनाना ममता उनके घर पहुंची तो लालू ने अपने साथियों से भरोसा उठाकर मायावती को बिहार से राज्य सभा भेजने का आश्वासन दे दिया है।
बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की लिस्ट में झारखंड की गवर्नर द्रौपदी मुर्मू का नाम शीर्ष पर बताई जा रही हैं. अगर द्रौपदी मूर्मू नई राष्ट्रपति चुनी जाती हैं, तो वह इस पद पर पहुंचने वाली आदिवासी समाज की पहली शख्सियत होंगी। इसके अलावा लालकृष्ण अडवाणी, सुमित्रा महाजन और थावर चंद गहलोत का नाम भी राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल है।
विपक्ष का आखिरी दाव वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की उम्मीदवारी पर जाता है,विपक्ष का मानना है कि दादा के नाम पर भाजपा भी विरोध नही करेगी।
भाजपा के ऊपर विपक्ष का एक सोचा समझा आरोप एक यह रहेगा कि भाजपा राष्ट्रपति पद पर किसी साम्प्रदायिक छवि वाले व्यक्ति को बैठाना चाहती है। यह आरोप भाजपा के किसी भी उम्मीदवार पर मढ़ा जा सात है। इन सबसे यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष की राष्ट्रपति पद के चुनाव में भूमिका 2019 के लोक सभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करने ही है ।
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