राहुल को दगा देकर NCP का दामन थाम सकते हैं हार्दिक पटेल

नई दिल्ली। गुजरात में पटेल समुदाय के युवा नेता हार्दिक पटेल के एनसीपी में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं. एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल आज हार्दिक से मिलने पहुंचे थे. हालांकि हार्दिक का कहना है कि दीपावली के बाद गुजरातियों का नया साल होता है. यह मुलाकात बस नए साल के लिए शुभकामनाएं देने के लिए थी. चुनाव से इसका कोई लेना-देना नहीं है.

चुनावी माहौल में मुलाकात के खास मायने

हार्दिक पटेल भले ही इस मुलाकात को चुनावी चश्मे से नहीं देखने के लिए कह रहे हैं, लेकिन जिस वक्त में यह मुलाकात हो रही है, उस वजह से यह कई मायने में खास है. दो साल पहले पाटीदार समाज के युवा नेता बनकर उभरे हार्दिक पटेल के लिए गुजरात में चुनाव बेहद महत्वपूर्ण हैं.

7 नवंबर तक कांग्रेस को दिया है अल्टीमेटम

कुछ दिनों पहले तक लग रहा था कि हार्दिक कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया. उन्होंने पाटीदार समाज को कोटा देने के मामले में कांग्रेस को पहले 3 नवंबर तक की मोहलत दी. बाद में उन्होंने कहा कि वे 7 नवंबर तक इंतजार करेंगे. कांग्रेस ने अब तक इस पर चुप्पी साध ली है. इससे माना जा रहा कि उन्होंने खुद पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. कांग्रेस के हाथ खींच लेने के बाद हार्दिक के पास चुनाव में ज्यादा विकल्प बचे नहीं है. दरअसल इस अल्टीमेटम ने उनकी कांग्रेस से दूरी बढ़ा दी है.

सर्वे में भी हार्दिक का नहीं दिखा था जादू

गुजरात में चुनाव से ठीक पहले इंडिया टुडे ग्रुप और AXIS MY INDIA ने मिलकर एक सर्वे किया था. सर्वे में लोगों की राय थी कि कांग्रेस को हार्दिक पटेल का साथ मिलने पर भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला. इससे न तो उनका वोट शेयर बढ़ेगा और न ही सीट का फायदा होगा. हार्दिक के अकेले चुनाव लड़ने पर 182 सीटों वाली विधानसभा में उनका खाता भी खुलता नहीं दिख रहा था.

2015 में रैलियों से अचानक उभरे थे हार्दिक

साल 2015 में पाटीदार समाज के युवाओं को अपने साथ जोड़कर बड़े युवा नेता के रूप में उभरे हार्दिक पटेल ने बीते दो साल में गुजरात की राजनीति में अच्छा-खासा दखल दिया है. 2015 में हुई हार्दिक की रैली ने कई नेताओं की नींद उड़ा दी थी.

बड़े नेताओं की उड़ा दी थी नींद

हार्दिक पटेल ने 2015 में गुजरात में कई बड़ी रैलियां की थीं. इन रैलियों से सूबे की सरकार तक दबाव में आ गई थी.

नई पार्टी बनाना भी मुश्किल

अगर राहुल गांधी ने पाटीदार समाज को आरक्षण दिलाने का वादा नहीं किया तो यह सबसे ज्यादा हार्दिक पटेल के लिए मुश्किल का सबब हो सकता है. हार्दिक पटेल के भाजपा को समर्थन देने के दूर-दूर तक आसार नहीं हैं. हार्दिक के अल्टीमेटम पर अगर राहुल कोई जवाब नहीं देते हैं तो उनके पास थर्ड फ्रंट के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता. अब गुजरात चुनाव में बहुत वक्त नहीं बचा है, ऐसे में हार्दिक नई पार्टी भी नहीं बना सकते. अब अगर हार्दिक चुनाव से दूरी बनाते हैं तो पाटीदार नेता के रूप में उनके वजूद पर भी सवालिया निशान लग जाएगा.

 

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