राहुल गांधी शहरों में गए होते तो तस्‍वीर कुछ और होती : अल्‍पेश ठाकोर

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत दर्ज करने वाले अल्‍पेश ठाकोर ने कहा कि प्रदेश में हमारी पार्टी सत्‍ता में नहीं आ पाई, इसका मुझे बहुत ज्‍यादा दुख है. अल्‍पेश ने कहा कि राजनीति संघर्ष से चलती है. गुजरात के शहरी इलाकों में कांग्रेस को वैसी सफलता नहीं मिली… इस सवाल के जवाब में अल्‍पेश ने कहा कि राहुल गांधीजहां गए, वहां हमने जीत दर्ज की. राहुल शहरी इलाकों में ज्‍यादा वक्‍त नहीं दे पाए. सिर्फ दो दिन ही जा पाए. इस कारण हमें वहां सफलता नहीं मिली. अगर ग्रामीण इलाकों की तरह राहुल गांधी वहां भी समय दे पाते तो आज स्‍थिति कुछ और होती.

एक सवाल के जवाब में अल्‍पेश ने कहा कि सदन में विपक्ष का नेता कौन होगा यह तय करना कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी का काम है. वो जो भी जिम्‍मेदारी देंगे वह मुझे स्‍वीकार होगा. अल्‍पेश ने कहा कि गुजरात की एकता को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है. कांग्रेस पार्टी इससे कोई समझौता नहीं करती है. राजनीति में आने के सवाल पर अल्‍पेश ने कहा कि मेरा परिवार राजनीति में काफी समय से काम कर रहा है. 1965 से मेरा परिवार राजनीति में है. मेरी पहली पसंद भी राजनीति ही है. अल्‍पेश ने कहा कि शि‍क्षा के क्षेत्र में मेरा संगठन काम कर रहा है. गुजरात के 18 हजार गांव में से 14 हजार गांव में मेरा संगठन शिक्षा के लिए काम कर रहा है.

अल्‍पेश ने कहा कि मैं लोगों के लिए राजनीति में शामिल हुआ हूं. मेरी ऐसी कोई बाध्‍यता नहीं थी कि मैं राजनीति में आऊं. गरीब लोग जो जहरीला देशी शराब पीकर मर जाते हैं, वह एक समस्‍या है. उनके परिवार वाले अनाथ हो जाते हैं. मैं उनके लिए राजनीति में आया हूं. मैं उनके बच्‍चों के चेहरे पर मुस्‍कान देखना चाहता हूं. एक सवाल के जवाब में अल्‍पेश ने कहा कि मेरे क्षेत्र की प्राथमिकता साफ पानी का इंतजाम और गटर की समस्‍या को दूर करना होगा.

अपने अनुभव को साझा करते हुए अल्‍पेश ने कहा कि 2011 में जब जूनागढ़ पहुंचा तो सिर्फ 8 लोग सभा में थे. पूछा तो पता चला कि सब चले गए. फिर मैंने उन आठ लोगों की सभा को संबोधि‍त किया. लेकिन जब 2015 में जूनागढ़ पहुंचे तो वहां 50 हजार लोगों की भीड़ जमा थी जिसे मैंने संबोधि‍त किया. ये बदलाव दिखा. एक सवाल के जवाब में अल्‍पेश ने कहा कि राहुल गांधी पर बहुत भरोसा करता हूं. राहुल जी सबको मिलते हैं. वो डाउन टू अर्थ है. मुझे कुछ न मिले राहुल जी का प्‍यार मिलता रहे. वही बहुत है. पार्टी हारी उसका बहुत ज्‍यादा दुख है. संघर्ष से राजनीति से चलती है. राहुल गांधी जहां गए वहां जीते. राहुल शहर में ज्‍यादा वक्‍त नहीं दे पाए.

बातचीत के दौरान उनकी पत्‍नी भी साथ थीं. अल्‍पेश ने अपने निजी जीवन से जुड़े सवालों का भी जवाब दिया. उन्‍होंने कहा कि उनकी शादी लव मैरिज थी और अब उनके जीवन में उनकी पत्‍नी का अहम रोल है. उनकी पत्‍नी ने कहा कि एच के कॉलेज में हमलोग साथ-साथ पढ़ाई किए थे और अब संगठन के लिए एक साथ काम भी कर रहे हैं.

गुजरात में ओबीसी चेहरा अल्‍पेश ठाकोर ने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ज्‍वाइन करने का फैसला किया. वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और भारी मतों से जीत दर्ज की.

 

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