लालू भूल नहीं पा रहे राहुल का दिया बड़ा झटका?

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तहलका एक्सप्रेस

पटना। आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी को खुद की तुलना में दूसरे का ‘दाग’ ज्यादा बड़ा दिख रहा है। यही वजह है कि आरजेडी और कांग्रेस के नेता जनता के बीच मंच साझा करने से साफ इनकार कर रहे हैं।

सोनिया के साथ चुनाव प्रचार करने को लेकर पूछे गए सवाल पर सोमवार को लालू ने साफ कह दिया कि वह अलग-अलग प्रचार करेंगे। दरअसल, संवाददाताओं ने जब लालू से पूछा कि क्या वह सोनिया गांधी के साथ चुनाव प्रचार करेंगे, तो उन्होंने बेहिचक कहा, ‘हम अलग-अलग जाएंगे।’ यह जवाब देते वक्त लालू के साथ उनके बड़े बेटे तेजस्वी भी थे। इससे पहले खबरें आईं कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। वैसे भी, राहुल ने पिछले महीने जब बिहार में अपनी पहली चुनावी रैली की तो लालू यादव ने उसमें हिस्सा नहीं लिया था। हालांकि, पिछले महीने ही पटना की रैली में लालू और सोनिया साथ दिखे थे।

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नीतीश को तवज्जो मिलने से लालू नाराज?
लालू कथित तौर पर इस बात से काफी नाराज हैं कि कांग्रेस ने उनसे ज्यादा नीतीश को तवज्जो दी। खबरें ये भी हैं कि इसी कोफ्त में लालू सोनिया की इफ्तार पार्टी से दूर ही रहे। सोमवार सुबह लालू ने एक ट्वीट भी किया जिससे उनके कांग्रेस को अलग-थलग करने की मंशा साफ झलकती है। अपने ट्वीट में लालू ने लिखा, ‘लालू-नीतीश की बिहारी जोड़ी से बेहतर बिहार को कोई जानता है क्या? इन प्रवासी गुजरातियों को बिहार का सत्यानाश नहीं करने देंगे।’ इस ट्वीट से लालू ने एक ओर बीजेपी पर निशाना साधा तो दूसरी ओर कांग्रेस का नाम नहीं लेकर उसे भी नहीं बख्शा।

लालू का दाग ज्यादा बड़ा?
हालांकि, वैचारिक स्तर पर आरजेडी-कांग्रेस के बीच चल रही अंदरूनी उठापटक पर पर्दा डालने में जुटे लोगों का कहना है कि महागठबंधन के विभिन्न पार्टियों के दिग्गज इसलिए एकसाथ रैलियां नहीं कर रहे ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकें। लेकिन, अंदर से आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेता लालू के साथ इसलिए नहीं दिखना चाहते क्योंकि चारा घोटाले में लालू पर दोष साबित हो चुका है और वह जेल भी जा चुके हैं। इसी वजह से उनकी संसद सदस्यता भी खत्म हो गई और चुनाव लड़ने की योग्यता भी।

बिल फाड़ने की कीमत चुका रहे लालू को राहुल से खास खुन्नस?
लालू को खासकर राहुल गांधी से इस बात को लेकर खुन्नस है कि उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा उस बिल को फाड़ फेंका था जो लालू को भारी मदद पहुंचा सकता था। गौरतलब है कि यूपीए सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को स्थगित करने के लिए नया बिल लाने जा रही थी जिसमें दो साल से ज्यादा की सजा पाए सांसदों और विधायकों का पद खुद-ब-खुद खत्म होने का प्रावधान है, साथ ही उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिया गया है। राहुल ने यूपीए सरकार के बिल की कॉपी को लोकसभा में ही फाड़ दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला कायम रह गया और लालू इसके पहले शिकार बन गए। लालू की संसद सदस्यता तो गई ही, वह चुनाव लड़ने के काबिल भी नहीं रहे। गौरतबल है कि महागठबंधन के तहत 243 सीटों वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जेडी(यू)-आरजेडी ने 101-101 सीटें रखकर कांग्रेस को 41 सीटें दी हैं।

 

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