लालू यादव पर लगे आरोपों पर नीतीश कुमार ने वाकई दी क्लीनचिट? ऐसा क्या कहा कि बौखला गए डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद और उनके परिवार पर शेल कंपनी के जरिए कथित तौर पर ‘बेनामी संपत्ति’ अर्जित करने के बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि लगाए गए आरोप कम्पनी कानून से संबंधित हैं जो केन्द्र सरकार के दायरे में आता है. यहां तक तो ठीक है, कई मीडिया हाउस और रिपोर्टरों ने नीतीश कुमार की इस टिप्पणी को नीतीश की क्लीनचिट करार दिया. लेकिन, नीतीश कुमार ने इशारों इशारे में विपक्ष को जांच कराने की चुनौती भी दे दी. इनकी इस बात से तेजस्वी यादव काफी नाराज हो गए. जब मीडिया के कुछ लोगों ने नीतीश कुमार के इस बयान पर तेजस्वी यादव से जवाब मांगा तो वह उखड़ गए. बोले, क्या एक ही परिवार की जांच होती रहेगी. उन पर (विपक्षी नेता) लगे आरोपों की जांच नहीं होगी.

उन्होंने अपनी इस नाराजगी को दो ट्वीट के जरिए साझा भी किया. एक रीट्वीट में उन्होंने संदेश कहा कि आखिर क्यों मीडिया विपक्ष पर ही हमलावर है जबकि बीजेपी के घोटालों को नजरअंदाज किया जा रहा है.
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी पर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं हो. बता दें कि लोक संवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर लगे आरोपों के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर नीतीश ने कहा कि जो भी आरोप लगाया गया है उसका लालू जी और राजद द्वारा उत्तर दे दिया गया है, इसपर किसी तीसरे पक्ष के बोलने की आवश्यक्ता नहीं है.

नीतीश कुमार ने कहा कि जिन्होंने आरोप लगाया है यदि उन्हें लगता है कि आरोप सही हैं तो उन्हें आगे बढ़ना चाहिये, कानून का सहारा लें, जांच कराएं, सिर्फ वक्तव्य न दें. उन्होंने कहा कि लगाए गए आरोप कम्पनी कानून से संबंधित है जो केन्द्र सरकार के दायरे में आता है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार के काम को दबाने के लिए यह सब किया जा रहा है. हमने अपने सभी सहयोगियों को कहा है कि सरकार जो काम कर रही है, उसमें दिलचस्पी रखिये.

लालू यादव के दोनों मंत्री पुत्रों (तेजस्वी यादव और तेज प्रताप) द्वारा अपनी संपत्ति की घोषणा में इन शेल कंपनियों का उल्लेख नहीं किए जाने से संबंधित पूछे गए एक सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि संपत्ति की घोषणा को सार्वजनिक करने की पहल बिहार सरकार द्वारा 2011 में की गई थी. सभी मंत्रियों को अपनी चल एवं अचल संपत्ति के बारे में घोषणा करनी होती है और यह घोषणा सार्वजनिक की जाती है. यह एक घोषणा है, यह किसी कानूनी प्रावधान के तहत नहीं है. इसका नैतिक एवं सामाजिक मूल्य है.

उन्होंने कहा कि सिर्फ मंत्री ही नहीं विधानसभा के सभी सदस्य, विधान परिषद् के सदस्य भी अपनी संपत्ति की घोषणा करते हैं. राज्य सरकार के तृतीय वर्ग के कर्मियों से लेकर राज्य के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक तक सभी अपनी संपत्ति की घोषणा करते हैं, जिसे सार्वजनिक किया जाता है.

नीतीश कुमार ने कहा कि कोई अपनी संपत्ति क्यों छुपायेगा. मीडिया भारतीय संविधान का चौथा स्तंभ है, उनको अपना कार्य निष्पक्ष रूप से करना चाहिये, वे अपना कार्य करने के लिये स्वतंत्र हैं. सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्य काफी मायने रखता है. वहीं कुमार पर पलटवार करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने 40 दिन बाद अपनी चुप्पी तो तोड़ी लेकिन लालू परिवार की 1500 करोड़ रुपये की कथित बेनामी सम्पति पर कार्रवाई का ब्योरा देने की बजाय बचाव में खड़े दिखे.

सुशील कुमार मोदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा कि केन्द्र सरकार तो कार्रवाई करेगी लेकिन मुख्यमंत्री बतायें कि पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में हुए मिट्टी घोटाले, पर्यावरण नियमों के उल्लंघन करके अवैध रूप से मॉल का निर्माण तथा तेज प्रताप एवं तेजस्वी यादव द्वारा मंत्री के तौर पर सरकार को दिए संपत्ति के ब्योरे में पटना और औरंगाबाद के साथ ही ‘दान’ में मिले अरबों की जमीन-मकान को छुपा लेने के खिलाफ आपने क्या कार्रवाई की है? उन्होंने कहा कि मिट्टी घोटाले की जांच सर्वदलीय समिति से क्यों नहीं कराई गई? वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुमति के बिना डेढ़ साल से तेजस्वी यादव के 750 करोड़ की लागत से बन रहे मॉल के निर्माण को रुकवाने के लिए क्या कार्रवाई की गई है? बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने पूछा कि लालू परिवार ने शेल कम्पनियों के जरिए बिहार में जो अरबों की सम्पति कथित तौर पर अर्जित की है उसकी जांच कराने की जिम्मेवारी किसकी है? उन्होंने आरोप लगाया कि अधिक बोलने के कारण गला खराब हो जाने का बहाना करके 40 दिन तक चुप्प रहने वाले मुख्यमंत्री आखिर लालू परिवार के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं? सुशील ने कहा कि एक ओर तो मुख्यमंत्री मीडिया से भ्रष्टाचार और बेनामी सम्पति की जांच करने के लिए कहते हैं, दूसरी ओर एक निजी न्यूज चैनल द्वारा लालू परिवार की बेनामी संपत्ति को उजागर किया गया तो उसे ‘सुपारी पत्रकारिता ‘करार देते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जब केन्द्र सरकार लालू प्रसाद की बेनामी सम्पति के खिलाफ कार्रवाई करे तो सरकार गिरने के डर से नीतीश कुमार लालू प्रसाद के पक्ष में खड़े हो जाऐंगे?

 

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