लोक अदालत की सड़कों पर मांगती थीं भीख, आज है लोक अदालत की ‘जज’

नई दिल्ली। कहा जाता है कि व्यक्ति की किस्मत कब बदल जाए किसी को पता नहीं होता। ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है जोइता मंडल पर। जी हां, शनिवार को जब जोइता मंडल दिनाजपुर के इस्लामपुर कोर्ट परिसर में चमचमाती सफेद कार में अपने सुरक्षाबलों के साथ “न्यायाधीश का पद” संभालने पहुंची तो लोगों की आंखें खुली की खुली रह गई। उस वक्त एक समुदाय के लिए जश्न से कम नहीं था। जिसे लंबे समय के बाद भी समाज में कोई विशेष दर्जा नहीं मिला है।

एक ट्रांसजेन्डर के रूप में जोइता मंडल के लिए यह एक नई शुरुआत थी। जिसने परिस्थितियां विपरीत होने के बावजूद भी उसने नेशनल लोक अदालत में देश के गौरवशाली पद “जज” को पाने में सफल रहीं।

ट्रांस वेल्फेयर इक्विटी के संस्थापक अभीना का कहना है कि, यह पहला मौका है जब किसी इस समुदाय के व्यक्ति को यह अवसर मिला है। यह केवल सशक्तिकरण की बात नहीं बल्कि देश की व्यवस्था में किसी भी धर्म या समुदाय में अंतर न होने का भी प्रमाण है।

जब गुजारनी पड़ी होटल के बाहर रात

बस स्टैंड से महज पांच मिनट की दूरी पर जोइता मंडल की अदालत है। साल 2010 मे उनके लिंग के कारण उसे होटल से बाहर निकाल दिया गया और उसे पूरी रात होटल के बाहर ही बितानी पड़ी। उसके बाद उसने उसके जैसे अन्य लोगों के लिए आवाज उठाने का फैसला किया।

ट्रांसजेंडर समुदाय से उनके दोस्तों और जो उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानते हैं, उनके काम को याद करते हुए दिनाजपुर नून अलो सोसाइटी के संस्थापक सचिव के पद मिलने की खुशी में उनके फेसबुक टाइमलाइन को बधाई संदेश से भर दिया। कहा जा सकता है कि नेशनल लोक अदालत बेंच पर एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश और एक वकील के साथ उनकी उपस्थिति कई लोगों के लिए आशा की किरण जरुर है।

 

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