…….. वरना इतिहास बन गए होते प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ

नई दिल्ली।  बेदह काम लोग जानते है  कि करगिल युद्ध के दौरान एक समय ऐसा भी आया कि  जब भारतीय सेना के निशाने पर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ आ गये थे। लेकिन ये दोनों हमले में बाल-बाल बच गये।

चूक गया था सेना का निशाना

भारत सकार के एक दस्‍तावेज से यह बात सामने आयी है। अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार  करगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना के जगुआर का निशाना चूक गया, नहीं तो नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ उसी वक्त मारे जाते। भारत और पाकिस्‍तान के बीच कारगिल युद्ध मई से जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए था।

रिपोर्ट में हुआ खुलासा

रिपोर्ट की मानें तो करगिल युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स के एक जगुआर ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के ऊपर उड़ान भरी जिसे पाकिस्तानी सेना के एक ठिकाने पर लेजर गाइडेड सिस्टम से बमबारी करने लिए टारगेट को सेट करना था। शायद पवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ का नसीब अच्छा था इसलिए दूसरे जगुआर निशाने से चूक गया और उससे लेजर बास्‍केट के बाहर बम गिर गया। इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेज की मानें तो उस ठिकाने में नवाज शरीफ के सात परवेज शरीफ भी मौजूद थे।

अखबार में छपी खबर के मुताबिक, भारत सरकार के इस दस्तावेज में लिखा है कि 24 जून को जगुआर एसीएलडीएस ने प्वाइंट 4388 पर निशाना लगाया। पायलट ने एलओसी के पार गुलटेरी को लेजर बॉस्केट में सेट किया, लेकिन बम सही निशाने पर नहीं गिरा क्योंकि उसे लेजर बॉस्केट से बाहर गिराया गया था।

जगुआर ने जब निशाना साधा तब तक यह खबर नहीं थी कि वहां पाकिस्तानी पीएम शरीफ और मुशर्रफ दोनों मौजूद हैं।  हालांकि एक एयर कमाडोर ने पायलट को बम न गिराने से मना कर दिया जिसके बाद बम को एलओसी के निकट भारतीय क्षेत्र में गिरा दिया गया।

 

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