वास्तव में ‘वंदे मातरम्’ है राष्ट्रगान : आरएसएस नेता भैयाजी जोशी

bhaiyaji-joshi-rssमुंबई। ‘भारत माता की जय’ संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी के कुछ दिन बाद संगठन के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कहा है कि वास्तव में ‘वंदे मातरम्’ ही राष्ट्रगान है। मुंबई के दीनदयाल उपाध्याय रिसर्च इंस्टीट्यूट में भाषण के दौरान भैयाजी जोशी ने कहा कि जण-गण-मन से वह भाव पैदा नहीं होता जो वंदे मातरम से होता है। साथ ही उन्होंने भगवा को राष्ट्रध्वज के बराबर बता दिया।

संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा, ‘वर्तमान में जन गण मन हमारा राष्ट्रगान है। इसका सम्मान किया जाना चाहिए। इससे दूसरी भावना उत्पन्न होने का कोई कारण नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन संविधान के अनुसार यह हमारा राष्ट्रगान है। अगर कोई वास्तविक अर्थों पर विचार करता है तो वंदे मातरम् हमारा राष्ट्रगान है।’

जोशी ने कहा, ‘जन गण मन कब लिखा गया? इसे कुछ वक्त पहले लिखा गया था लेकिन जन गण मन में राष्ट्र को ध्यान में रखकर भावनाएं व्यक्त की गई हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि वंदे मातरम् में जाहिर की गई भावनाएं राष्ट्र की विशेषता और बनावट को रेखांकित करती हैं। यह दोनों गीतों के बीच का अंतर है। दोनों का सम्मान किया जाना चाहिए।’

भगवा झंडे को भी राष्ट्रीय ध्वज कहना गलत नहीं
राष्ट्रध्वज के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ‘तिरंगा देश का राष्ट्र ध्वज है लेकिन भगवा झंडे को भी राष्ट्रीय ध्वज कहना गलत नहीं होगा। सन 1930 में तिरंगा पैदा हुआ, लेकिन क्या उसके पहले भारत की पहचान देने वाला कोई ध्वज नहीं था? संविधान द्वारा उसे प्रतीक के रूप में लाया गया। जो संविधान के प्रति दायित्व मानता है उसे जन गण मन और तिरंगे का सम्मान करना चाहिए। लेकिन राष्ट्र की संकल्पना में भगवा ध्वज को राष्ट्रध्वज मानना, आज के तिरंगे का अपमान नहीं है।’

देश के भगवाकरण की साजिश
उधर, कांग्रेस-एनसीसी जैसे दलों को राष्ट्र के प्रतीकों के नाम पर आरएसएस की नई परिभाषा पर गहरा ऐतराज है। उन्हें लगता है कि यह देश के भगवाकरण की साजिश है। कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा ” यह समाज को बांटने की साजिश है। भगवा हिन्दू मान्यताओं का प्रतीक है, तिरंगा राष्ट्रवाद का। हिन्दू मान्यताओं के नाम पर भगवा ध्वज देश का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को बदलने की साजिश है।’  एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा ‘संघ परिवार अपने निहित स्वार्थ के लिए देश का भगवाकरण करना चाहता है।’

‘वंदे मातरम’ बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की कविता है और भारतीय स्वंतत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका बेहद अहम रही। वर्ष 1950 में इसके दो छंद को ‘राष्ट्रगीत’ का आधिकारिक दर्जा दिया गया। इसके दो छंदों को राष्ट्रगीत का दर्जा मिला हुआ है लेकिन लगता है मोहन भागवत के बयान के बाद भैयाजी जोशी की राष्ट्रवाद की परिभाषा एक नए विवाद को जन्म देगी।

 

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