विकी मल्होत्रा संभालेगा छोटा राजन का धंधा, मुंबई में लौटेगा गैंगवॉर का दौर!

gangwarतहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। अंडरर्ल्ड डॉन छोटा राजन का विश्वस्त सहयोगी विकी मल्होत्रा राजन की गिरफ्तारी के बाद उसके धंधे की बागडोर संभाल सकता है। मल्होत्रा को छोटा राजन का भरोसा हासिल है और संभावना जताई जा रही है कि उसी की मर्जी से मल्होत्रा राजन की अनुपस्थिति में उसका धंधा संभाल सकता है। विकी मल्होत्रा दाऊद इब्राहिम गैंग के भरे-पूरे नेटवर्क पर नकेल कसने और उसे सीमित करने में एक मुख्य किरदार के तौर पर अपनी पहचान बना सकता है।

हाल के महीनों में मल्होत्रा की गतिविधियों को देखें तो लगता है कि वह इस धंधे में अपनी एक अलग पहचान बनाने की पुरजोर कोशिश में लगा है। उसके पीछे लगी भारतीय एजेंसियों का भी यही मानना है।

छोटा राजन की फाइल फोटो…

मल्होत्रा पिछले लगभग 20 साल से छोटा राजन का सबसे विश्वस्त सहयोगी बना हुआ है। बुरे दौर में भी उसने छोटा राजन का साथ नहीं छोड़ा। जब राजन का अपने सहयोगियों रवि पुजारी और संतोष शेट्टी के साथ विवाद हुआ और वह उनसे अलग हो गया, तब भी मल्होत्रा की वफादारी में कोई कमी नहीं आई। साल 2000 में छोटा राजन के ऊपर बैंकॉक में हमला हुआ था।

कहा जा रहा था कि कारोबार पर कब्जे के लिए यह हमला पुजारी और शेट्टी ने करवाया था। इसके बाद भी राजन उनसे अलग हुआ। मल्होत्रा को साल 2005 में दिल्ली के अशोका होटेल के बाहर से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2010 में उसे जमानत मिल गई। खबर है कि उसके बाद से ही वह दुबई और अफ्रीका के बीच धंधे में लगा है। दिलचस्प यह है कि दाऊद भी अफ्रीका में अपनी जड़े जमाने की कोशिश कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक दाऊद भी ब्लड डायमंड के कारोबार में हाथ आजमा रहा है।

छोटा राजन की गिरफ्तारी के बाद उसकी जगह मल्होत्रा द्वारा धंधा संभाले जाने की घटना को छोटा शकील को रोकने की एक कोशिश बताया जा रहा है। शकील फिलहाल डी कंपनी की गतिविधियों का सरगना और दाऊद का सबसे करीबी है। कहा जा रहा है कि मुंबई अंडरवर्ल्ड में छोटा शकील के फिर से हावी होने की कोशिशों को मल्होत्रा की ताजपोशी से झटका लगेगा। सूत्रों का कहना है कि अगर डी कंपनी मुंबई में अपने विरोधी व प्रतियोगी विकी मल्होत्रा को रोकने की कोशिश करती है तो मुंबई में फिर से गैंगवॉर का दौर शुरू हो सकता है।

इस पूरे घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए एक अधिकारी ने कहा कि छोटा राजन ने इस साल अप्रैल-मई के दौरान खुफिया एजेंसियों के कई वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया। राजन को छोटा शकील और उसके आदमियों ने ऑस्ट्रेलिया में दरकिनार कर दिया था। इसके बाद से छोटा राजन भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ लगातार संपर्क बनाने की कोशिश कर रहा था।

यह दबाव जुलाई में तब और भी बढ़ गया जब डी कंपनी द्वारा राजन को मारने की कोशिशों के बारे में जानकारी खुलकर सामने आ गई। इस जानकारी पर न्यूकैसल की पुलिस काफी बौखला गई, जबकि ऑस्ट्रेलिया की पुलिस ने बीच में पड़कर अधिकारियों ले कहा कि छोटा राजन को बाहर कर दे।

ऐसा माना जा रहा है कि राजन ने मल्होत्रा के साथ संपर्क किया और उसे काफी ‘खतरनाक परिस्थितियों के मद्देनजर’ अपनी जगह लेने के लिए मनाया। एक और बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि हो सकता है कि मल्होत्रा ने भी छोटा राजन को धोखा देकर डी कंपनी के साथ हाथ मिला लिया हो। कहा जा रहा है कि ऐसा करने के पीछे मल्होत्रा की ख्वाहिश यह है कि वह भारत में डी कंपनी की गतिविधियों का सरगना बनना चाहता है। हालांकि खुफिया एजेंसियां इस पहलू से इनकार कर रही हैं।

एक अधिकारी ने बताया, ‘डी कंपनी लंबे समय से मल्होत्रा को छोटा राजन से अलग करने की कोशिशों में लगा था, लेकिन हर बार वह असफल रहे। इस साल की शुरुआत में भी खबर थी कि छोटा राजन और मल्होत्रा अलग हो गए हैं, लेकिन दोनों का वीओआईपी के जरिए लगातार एक-दूसरे के साथ संपर्क बना हुआ था।’

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छोटा राजन को गिरफ्तार करने वाले बाली के सीआईडी अधिकारी ने कहा कि राजन ने उनसे विनती कर कहा कि उसे भारत की जगह जिम्बॉबे भेज दिया जाए। अधिकारी ने कहा, ‘जब हम उसे पूछताछ के लिए ले गए तो शुरुआत में तो उसने यह मानने से ही इनकार कर दिया कि वह राजन है। वह बार-बार अपना पासपोर्ट दिखाता रहा जिसमें उसका नाम मोहन कुमार लिखा हुआ था। बाद में उसने मान लिया कि वही छोटा राजन है।’ अधिकारी के मुताबिक राजन ने उनसे कहा, ‘भारत में मेरी जिंदगी को खतरा है। कृपया मुझे जिम्बॉबे ले चलिए।’

 

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