शान से मनाया गया नेवी डे…आज ही नौसेना ने तबाह किया था कराची हार्बर

navy-dayनई दिल्‍ली। भारतीय नौसेना के लिए आज का दिन का फी अहम है। आज ही के दिन इंडियन नेवी ने पाकिस्तान को वो जख्म दिया था जो उसे नासूर की तरह आज भी दर्द देता रहता है। 4 दिसंबर 1971 को जंग के दौरान भारतीय नौसेना के शौर्य ने पाकिस्तान केे सीने पर लिख दिया था कि भारत से कभी मत उलझना। क्योंकि भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए नौसेना हमेशा तैयार है। उसी दिन की याद में नौसेना दिवस 4 दिसंबर को मनाया जाता है। इस बार भी नौसेना दिवस बड़ी धूमधान और शान से मनाया गया। दिल्ली में इस मौके पर आयोजित कार्टक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की। देश के कई शहरों में बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन किया गया। इश दौरान एक बार फिर से पूरे देश को नौसेना के गौरवशाली इतिहास की झलकियां दिखाई गईं।

नेवी डे के बारे में तो सभी जानते हैं। लेकिन हम आपको बताएंगे 4 दिसंबर की तारीख का महत्व क्या है। खास तौर पर भारत और पाकिस्तान के इतिहास में इस तारीख का काफी महत्व है। इसी दिन 1971 में भारतीय नौसेना ने जांबाजी दिखाते हुए कराची हार्बर को तबाह कर दिया था। 1971 के युद्ध के दौरान नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाया था। ट्राइडेंट का मतलब त्रिशूल होता है। ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान नौसेना के कराची बंदरगाह स्थित मुख्यालय को निशाना बना हमला बोला। बताया जाता है कि ये भारतीय नौसेना का सबसे खतरनाक हमला था। इसमें 3 मिसाइल बोट्स आईएनएस निपट, आईएनएस निर्घट और आईएनएस वीर का इस्तेमाल हुआ। जिस के कारण पाकिस्तान को 1971 की जंग में हर क्षेत्र में मुंह की खानी पड़ी।

1971 की जंग के समय में 4 दिसंबर की रात को करीब 9 बजे इंडियन नौसेना ने कराची की तरफ बढ़ना शुरू किया। रात करीब 10:30 पर कराची बंदरगाह पर पहली मिसाइल दागी गई। इसके बाद अगले डेढ़ घंटे में पाकिस्तान के 4 नौसैनिक शिप डूब गए। 2 शिप बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और कराची बंदरगाह शोलों से घिर गया। इसके बाद पाकिस्तान की कमर टूट गी। उसकी रही सही उम्मीद भी खत्म हो गई। बताया जाता है कि भारतीय नौसेना के हमले के बाद कराची बंदरगाह 8 दिनों तक जलता रहा। खास बात ये थी कि इस हमले में भारत को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ था। ऑपरेशन ट्राइडेंट को भारतीय नौसेना का सबसे सफल हमला माना जाता है। इसी की याद में हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।

अब आपको भारतीय नौसेना के इतिहास के बारे में कुछ जानकारी देते हैं। 1612 में अंग्रेजों ने अपने जहाजों की सुरक्षा के लिए कम्पनीज मरीन का गठन किया था। इसे ही बाद में रॉयल इंडियन नौसेना के नाम से जाना गया। आजादी के बाद रॉयल इंडियन नेवी को 26 जनवरी 1950 में फिर से गठित किया गया। इसे भारतीय नैसेना के नाम से जाना गया। भारतीय नौसेना का सबसे पहला मिशन 1961 में पुर्तगाली नौसेना के खिलाफ था। भारतीय नौसेना दुनिया में सबसे ताकतवर नौसेनाओं में से एक मानी जाती है। हमारे पास मौजूद ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे तेज गति से वार करने वाली क्रूज मिसाइल है। यह 2.8 मैक से 3 मैक तक की स्पीड से दुश्मनों को निशाना बना सकती है। कुल मिलाकर भारतीय नौसेना का गौरवशाली इतिहास रहा है।

 

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