शिक्षा मित्रों को नहीं मिला टेट से छुटकारा, केन्द्र ने राज्य के पाले में डाली गेंद

sikshamitra2तहलका एक्सप्रेस

लखनऊ। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षामित्रों के मामले में गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देने पर टिप्पणी न करते हुए एनसीटीई ने कहा है कि अप्रशिक्षित शिक्षकों (शिक्षामित्रों) की नियुक्ति त्रुटिहीन और सही तरीके से करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के मामले में लिखे मुख्य सचिव आलोक रंजन के पत्र के जवाब में एनसीटीई के सदस्य सचिव जुगलाल सिंह ने स्थिति साफ कर दी है। पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि 25 अगस्त, 2010 से पहले नियुक्त शिक्षक, जो लगातार सेवा में रहे, के लिए टीईटी अनिवार्य नहीं है। लेकिन जिन शिक्षकों की नियुक्ति इसके बाद हुई है और लगातार सेवा में हैं, उनके लिए टीईटी पास करना अनिवार्य है।
मानव संसाधन मंत्रालय ने 8 नवम्बर, 2010 में सभी राज्य सरकारों को पत्र लिख कर साफ कर दिया था कि केन्द्र सरकार टीईटी पास करने की अनिवार्यता से छूट नहीं देगी क्योंकि टीईटी पास करना न्यूनतम योग्यताओं में आता है। अत: इसका पालन करना चाहिए।
शिक्षामित्रों का जिक्र करते हुए अंतिम दो पंक्तियों में लिखा गया है कि यह साफ किया जाता है कि अप्रशिक्षित शिक्षकों (शिक्षामित्रों) को नियुक्त करने की त्रुटिहीन प्रक्रिया और नियुक्ति के स्वरूप की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
इस पत्र में एनसीटीई के शिक्षकों की शैक्षिक योग्यताओं का ब्योरा देते हुए कहा है कि 25 अगस्त, 2010 के पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाएगी लेकिन उन्हें अधिसूचना जारी होने की तिथि से शैक्षिक योग्यताओं और प्रशिक्षण को 5 वर्ष के अंदर पूरा करना होगा। वहीं शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण के लिए एनसीटीई द्वारा मंजूरी दिए जाने का जिक्र भी है।

 

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