शिवपाल ने 2017 में सीएम बनने के लिए तांत्रिक से करवाया हवन-पूजन

tantraलखनऊ। यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक राजघराने में टूट लगभग हो चुकी है। यह लड़ाई एक दिन, एक साल की नहीं चार साल पुरानी है। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया था। सपा के गठन के दौरान शिवपाल यादव साथ में थे। 3 बार सीएम रहने के बाद अखिलेश को सीधे 2012 को सपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। यूपी के सीएम की कुर्सी अखिलेश यादव को मिली। लेकिन शिवपाल की टीस उसी दिन से शुरु हो गई।

चाचा भतीजे के बीच साढ़े चार साल से अंदरखाने तू-तू-मैं-मैं चल रही थी। जैसे ही अमर सिंह की सपा में इंट्री हुई, दरार खुलकर सामने आ गई। सूत्रों का कहना है कि 2012 चुनाव के दौरान अमर सिंह शिवपाल सिंह यादव को सीएम बनवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था। सीएम अखिलेश यादव की आंख की किरकिरी अमर सिंह बन गए थे।

सीएम ने जब गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से हटाया, उसके कुछ दिन बाद शिवपाल सिंह ने तांत्रिकों का सहारा लिया। सूत्र बताते हैं कि शिवपाल ने बांदा के तांत्रिक को अपने घर सैफई बुलवाया और 2017 में सीएम बनने के लिए हवन-पूजन करवाया। बताया जा रहा है कि यह वही तांत्रिक था, जिसने दस्यु ददुआ के लिए कईबार पूजा अर्चना कराई थी। तांत्रिक को लेकर फतेहपुर के पूर्व सांसद राकेश सचान सैफई पहुंचे थे।

शिवपाल सिंह यादव को नेताजी 2012 में यूपी की गद्दी सौपने जा रहे थे। अमर सिंह अंदरखाने नेता जी के साथ ही अन्य नेता लगे थे। लेकिन मुलायम सिंह के भाई राम गोपाल यादव और आजम खान ने खुलकर इसका विरोध किया था। अमर सिंह की नहीं चली और मुलायम सिंह ने अपने बेटे को पहले यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और उनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। उस समय नेता जी के सामने किसी की नहीं चल पाई। वहीं सीएम बनते ही अखिलेश ने अमर सिंह को पहले पार्टी से बाहर करवाया और फिर एक-एक कर शिवपाल के करीबियों के पर कतरने शुरु कर दिए।

फतेहपुर के पूर्व सांसद और जहानाबाद के सपा विधायक मदनगोपाल उमराव ने ददुआ को कई साल से पुलिस को बचाने वाले तांत्रिक को कुछ दिन पहले सैफई लेकर पहुंचे। तांत्रिक ने शिवपाल यादव से कहा था कि आप आने वाले भविष्य में सीएम बन सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि शिवपाल यादव ने अपनी पत्नी और बेटे की मौजूदगी में पूरी रात हवन पूजन कराया। शिवपाल सिंह पत्नी समेत सुबह पहर मंदिर भी गए थे और फिर सीधे भतीजे से आर-पार की लड़ाई पर उतर आए।

इटवा के सूत्र बताते हैं कि पीके टीम के तीन सदस़्य पिछले कई दिनों से कानपुर और इटावा में डेरा जमाए हुए थे। जहां उन्होंने शिवपाल के बेटे से कई बार गोपनीय मुलाकात की थी। इतना ही नहीं शिवपाल के बेटे से सीधे पीके से बात करवाई थी। कहा यह भी जा रहा है कि आने वाले समय में सपा दो धड़ों में बट जाएगी और 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। सपा अगर टूटती है तो 80 से 90 विधायक शिवपाल के पाले में बताए जा रहे हैं। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी के संगठन में शिवपाल के 75 फीसदी लोग जिलों में बैठे हैं, जो उनके कहने पर खुलकर सपा का विरोध करने के लिए तैयार बैठे हैं।

 

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