संजीव भट्ट का खुला खत: समाज, देश और राज्य की साख पर बट्टा मत लगाओ हार्दिक

अहमदाबाद। गुजरात कॉडर के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट ने हार्दिक पटेल को एक खुला पत्र लिखकर सलाह दी है कि आरक्षण की आड़ में समाज, देश और राज्य की साख पर बट्टा मत लगाओ।
हार्दिक पटेल कुछ ही दिन में देश में एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं लेकिन कोन हैं ये हार्दिक पटेल? दरअसल हार्दिक पटेल ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत दो महीने पहले ही पाटीदार अनामत आंदोलन समिति को गठित करके किया था।
22 साल के हार्दिक पटेल के नेतृत्व में लाखों पाटीदारों ने पटेलों को ओबीसी कोटे में सम्मिलित करने के लिए एक बड़ा आंदोलन छेड़ दिया। और गाहे-बगाहे कुछ ही दिन में हार्दिक पटेल देश की मीडिया का एक जाना माना चेहरा बन गए।
अब जाकर गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने अपूर्व शाह के साथ हार्दिक पटेल के नाम एक खुला खत लिखा है। जिसे उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर साझा किया है।
वे लिखते हैं, डियर हार्दिक पटेल मैं गुजरात का एक आम नागरिक हूं। कुछ दिन पहले मैं नहीं जानता था कि तुम कौन हो। मुझे यह महसूस हो रहा है कि अब भविष्य में मैं तुम्हें कई बार देखूंगा।
मैंने सुना है कि तुम्हारे संगठन पाटीदार आंदोलन समिति ने मात्र एक महीने पहले ही राजनैतिक पटल पर दस्तक दी है। मुझे किसी ने बताया है कि तुम मानते हो कि पाटीदार समाज आरक्षण की वजह से विकास नहीं कर पा रहा है और पिछड़ रहा है।
दरअसल ये निर्भर करता है कि तुम आरक्षण के वर्तमान स्वरूप को किस तरह से देखते हो। क्योंकि यह कुछ लोगों के लिए समस्या हो सकती है तो कुछ लोगों के लिए जीवनदान। एक चीज मेरे बिल्कुल समझ में नहीं आ रही कि अगर तुम सोचते हो कि आरक्षण समस्या है, तो तुम आरक्षण मांग क्यों रहे हो?
एक टीवी साक्षात्कार में तुमने कहा था कि सरकार या तो पाटीदार समाज को आरक्षण दे या पूरी तरह से आरक्षण का खात्मा कर दे। यह तो वही बात हुई कि मुझे भी केक का एक टुकड़ा दो वरना पूरा केक ही फेंक दो। एक ओर तुम कह रहे हो कि आरक्षण से समस्याएं उत्पन्न होती हैं और दूसरी ओर तुम इसकी मांग भी कर रहे हो।
अगर पाटीदार समाज को रिजर्वेशन मिलता है तो दूसरे नागरिकों को समस्या होगी और पाटीदार समाज आरक्षण के खिलाफ खड़े ना होकर आरक्षण के साथ हो जाएंगे। जो भी लोग पाटीदार समाज के समर्थक हैं आप लोग पाटीदार समाज की साख को बट्टा लगते हुए क्यों देख रहे हो। आखिर आप यह होने ही क्यों दे रहे हो।
मैं कुछ और चीजों को जानने का जिज्ञासु था जो मैंने रैली के दरमियान देखीं। ऐसे राज्य में जहां बहुसंख्य लोग गुजराती बोलते हैं और जो आपकी रैली में भी सम्मिलित हुए थे वे भी गुजराती बोलते हैं, वहां आपका भाषण पूरी तरह हिंदी में था।
आप किसको लक्ष्य बनाकर यह वक्तव्य बोल रहे थे? आपकी कई राजनैतिक नेताओं के साथ फोटोज हैं जिनमें बीजेपी, कांग्रेस व आप शामिल है। क्या आपने यह निर्धारित किया है कि किस पार्टी को आप समर्थन दे रहे हैं? तुम्हारी भूत और वर्तमान की हरकतें मुझे अराजनैतिक नहीं लगती। मुझे अभी भी इन नए पहलुओं को जोड़ने की दरकार है।
तुम पाटीदारों को आरक्षण दिलाने के लिए एक रैली करना चाहते थे। यह तुम्हारा अधिकार है कि तुम जो चाहते हो वह सरकार से मांगो। लेकिन यह तुम्हारा अधिकार तब तक है जब तक यह शांतिपूर्ण रहे। गुजरात सरकार ने तुम्हें रैली करने के लिए अनुमति दी और पूरे शहर में इस बावत व्यवस्थाओं के भी इंतजाम किए गए।
उन्होंने तुम्हारे वाहनों के टोल टैक्स भी माफ कर दिए और जीडीएमसी ग्राउंड फ्री में दे दिया। इसके अलावा उन्होंने तुम लोगों को कलेक्टर ऑफिस से गुजरने दिया और कोई आपत्ति नहीं जताई। इस दौरान सड़कें जाम हो गईं और तुम्हारे मित्रों द्वारा निकाली जा रही पागल की तरह आवाजों से नगरवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
लेकिन इन सबके बावजूद सरकार ने तुम्हारे परोक्ष लाभ को देखते हुए अडंगा नहीं लगाया। तुम्हें जीडीएमसी मैदान को इस्तेमाल करने की अनुमति एक निश्चित समय तक दी गई थी। रात को आठ बजे जब पुलिस ने तुमसे पूछा कि सरकारी प्रांगण को खाली करो।
तब तुमने अपनी सहमति क्यों जाहिर नहीं की? तुम्हारे पाटीदार साथी हाथों में फोटोज लिए उत्पात क्यों मचा रहे थे। जब समय समाप्त हो गया था तो क्या सरकार को अधिकार नहीं था कि वह तुम लोगों से पूछे कि प्रांगण को खाली कर दो?
वैसी ही एक फुटेज में दिखाया गया है कि एक पुलिसवाला मीडिया वालों को मार रहा है और उनकी गाड़ियां तोड़ फोड़ रहा है। लेकिन ऐसा क्या गलत हो गया। खुशमिजाजी कहां गायब हो गई। इससे महत्वपूर्ण सवाल है क्यों ऐसा हुआ? क्या, हम जनता के लोगों को यह जानने का अधिकार है या वह तुम्हारे और सरकार के बीच एक प्राइवेट अरेंजमेंट था।
तुमने जब मैदान खाली करने से मना कर दिया तो पुलिस ने तुम्हें गिरफ्तार कर लिया और तुम्हारी गिरफ्तारी होते ही तुम्हारे साथियों ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया। यह उत्पात तुम्हारी गिरफ्तारी से लेकर तुम्हारी रिहाई के बाद तक चला। मुझे नहीं लगता कि कोई भी तुम्हारा समर्थक सोचता होगा इस तरह उत्पात मचाने से कोई भी चीज बदलेगी।
अगर वे तुम्हारी गिरफ्तारी से नाराज थे तो इससे निपटने के लिए उनके पास वैधानिक तरीके भी थे। जी हां मैं उन्हीं तरीकों की बात कर रहा हूं जो हर कोई फॉलो करता है, जब उन्हें लगता है कि गिरफ्तारी वैधानिक नहीं थी।
अगर वे इस बात को लेकर नाराज थे कि वे रिजर्व कैटेगिरी में नहीं है, जो वे पहले से जानते थे तो इसके मांगने के लिए कुछ पहले से निर्धारित तरीके भी हैं। यह काम सरकारी अधिकारियों का था जो तुम्हारे समाज की आर्हरता की जांच करते और इस संबंध में विचार करते। और इस संबंध में फैसला करते कि तुम्हारे समाज को रिजर्वेशन मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए।
मैं सोचता हूं कि इस संबंध में मैंने अपनी पूरी बात कह दी है। मुझे यह महसूस हो रहा है कि मैं तुम्हें 2017 गुजरात चुनाव में जरूर देखूंगा। मैं आशा करता हूं कि तुम अपनी शक्तियों का इस्तेमाल देश में धनात्मक परिवर्तन लाने के लिए करोगे। भारत में युवाओं को इस तरह के मौके बहुत कम मिलते हैं, हम सबके लिए इसे खराब मत करो। और अपने समाज/देश/राज्य की साख पर बट्टा मत लगाओ।
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