संन्यास से पहले जहीर ने सचिन से की बात

मुंबई। अपने करियर के दौरान चोटों से परेशान रहे तेज गेंदबाजजहीर खान ने गुरुवार को संन्यास लेने की घोषणा करने के बाद कहा कि उन्हें गर्व है कि वह भारतीय टीम में कई बार सफल वापसी करने में सफल रहे। आईपीएल 2014 के दौरान कंधे की चोट सहित अपने करियर के दौरान कई चोटों से परेशान रहे 37 साल के जहीर ने कहा कि चोट खेल का हिस्सा होती हैं. जहीर ने कहा, ‘आपका चोटों पर कोई नियंत्रण नहीं होता और यह ऐसी चीज है जिससे आपको निपटना होता है और अपने करियर के दौरान मैंने ऐसा ही किया। मैं हमेशा कहता आया हूं कि आप उन्हीं चीजों को नियंत्रित कर सकते हैं जिन्हें नियंत्रित किया जा सकता है और अगर आप चोटिल हो तो आप कुछ नहीं कर सकते और आपको आगे बढ़ना होगा। मैंने वापसी की जिस पर मुझे गर्व है।’
भारत की ओर से 92 टेस्ट में 311 और वनडे में 282 विकेट हासिल करने जहीर ने कहा कि वह 100 टेस्ट नहीं खेल पाने को झटके के तौर पर नहीं देखते और अपने करियर में काफी संतोषजनक मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने करियर के दौरान कभी किसी विशेष चीज का पीछा नहीं किया लेकिन हां, 100 टेस्ट कुछ विशेष है लेकिन मैं एक समय में एक मैच पर ध्यान दे रहा था।’
जहीर ने कहा, ‘पूरी यात्रा शानदार रही और मुझे वर्ग है कि मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत श्रीरामपुर से की और फिर मुंबई में नैशनल क्रिकेट क्लब की ओर से खेला। मैं आज जहां पहुंचा उस पर मुझे सचमुच गर्व है।’ विकेट हासिल करने के मामले में कपिल देव के बाद भारत के दूसरे सबसे सफल तेज गेंदबाज जहीर ने कहा कि उन्होंने अपने फैसले के बारे में काफी सोचा और भारतीय टीम के अपने कई पूर्व साथियों के साथ बात करने के बाद यह फैसला किया। जहीर को अगले साल होने वाली आईपीएल में खेलने की उम्मीद है और यह क्रिकेट का उनका अंतिम टूर्नमेंट हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले एक हफ्ते या 10 दिन से इस बारे में सोच रहा था। जब मैं सत्र की तैयारी कर रहा था तो मैंने सोचा कि अब खेल के सबसे छोटे प्रारूप से जुडे रहना और अगले सत्र में कुछ मैच खेलकर आईपीएल के साथ अलविदा कहना सर्वश्रेष्ठ है।’
जहीर ने कहा, ‘मैंने सचिन तेंडुलकर, अजित आगरकर, आशीष नेहरा, अपने परिवार के साथ बात की। मैंने घोषणा करने से पहले युवराज सिंह से लेकर भज्जी, वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले सभी से बात की। मैंने जवागल श्रीनाथ के साथ भी बात की। हमने बातचीत का लुत्फ उठाया और वह मुझे एक और साल खेलने के लिए प्रेरित कर रहे थे लेकिन मैंने उनसे कहा कि आपको पता है कि तेज गेंदबाज कैसे होते हैं और अंतत: वह मुझसे सहमत हो गए।’
केन्या के नैरोबी में आईसीसी नॉकआउट टूर्नमेंट के साथ शुरू हुए करियर के सर्वश्रेष्ठ और बुरे दौर के बारे में पूछने पर जहीर ने कहा कि 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में विश्व कप जीतना और इससे दो साल पहले भारत का टेस्ट में नंबर एक बनना सर्वश्रेष्ठ पल रहे।
जहीर ने कहा, ‘दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बनना और विश्व कप जीतना मेरे करियर के सर्वश्रेष्ठ लम्हें रहे। एक टीम के रुप में जब आप कुछ विशेष हासिल करते हो तो यह काफी संतोषजनक होता है.” जहीर ने हालांकि कहा कि उनके करियर में कोई निरशाजनक पल नहीं रहा और उन्होंने चीजें को सीखने के तौर पर लिया।
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