संसद क्यों नहीं संभाल सकती क्रिकेट को: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट बोर्ड और उसके मेंबरों के लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने में लगातार अवरोध पैदा करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि संसद क्रिकेट में जनता से जुड़े काम अपने हाथों में क्यों नहीं ले सकती है?
चीफ जस्टिस टी. एस. ठाकुर और जस्टिस एफ एम. आई. कलीफुल्ला की बेंच ने कहा,’बीसीसीआई के सार्वजनिक कार्य संसद क्यों नहीं कर सकती? सवाल यह है कि क्या क्रिकेट मैचों के आयोजन, राष्ट्रीय टीम चुनने और भेजने का काम संसद कर सकती है।’
उन्होंने कहा,’मान लिया जाए कि ऐसा कोई कानून है जिसके जरिये भारतीय टीम का चयन संसद कर सकती है।’ पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब बड़ौदा क्रिकेट संघ की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने लोढ़ा समिति की एक राज्य-एक मत सिफारिश का विरोध किया। सिब्बल ने कहा कि सरकार खेल की गतिविधियों को अपने हाथ में ले सकती है लेकिन इसके लिए संविधान की धारा 19 (4) में बदलाव करने होंगे।
हालांकि, कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि क्रिकेट अथॉरिटी को अपने हाथ में लेना सरकार के लिए ठीक नहीं होगा।
उधर शरद पवार की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र क्रिकेट असोसिएशन का कहना है कि खेल में राजनीतिक हस्तियों का होना अच्छा होता है, इससे कई बडे़ कामों जैसे मैच आयोजित करवाने का इंतजाम कराना, पुलिस-बंदोबस्त की व्यवस्था करना जैसे काम आसानी से निपटाए जा सकते हैं।
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