संसद में अब ‘मेरा घोटाला बड़ा या तुम्हारा घोटाला?’

तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। बीजेपी को संसद के मौजूदा सत्र में ललित मोदी विवाद और व्यापम घोटाले को लेकर विपक्ष के कड़े हमलों का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए अब एनडीए सरकार ने केरल, कर्नाटक, असम, गोवा (कांग्रेस की पिछली सरकार) और हिमाचल प्रदेश जैसे कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में घोटालों को उठाने की योजना बनाई है।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने दोनों सदनों से अपने उन सांसदों की सूची तैयार की है, जो सदन की कार्यवाही स्थगित कर केरल में सोलर और बार रिश्वत मामले, गोवा और असम में वॉटर प्रॉजेक्ट्स, उत्तराखंड में बाढ़ राहत घोटाला, कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कथित भूमिका वाली स्टील घोटाला जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस देंगे। एक कैबिनेट मंत्री ने कहा, ‘अगर विपक्ष राजे और चौहान का इस्तीफा चाहता है तो उत्तराखंड, केरल, कर्नाटक और असम में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को पहले इस्तीफा देना चाहिए।’ इन घोटालों पर लोकसभा में चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव नोटिस देने वाले बीजेपी के सांसदों में किरीट सोमैया, प्रताप सिन्हा, शोभा करांडलजे, पूनम महाजन, बिजया चक्रवर्ती, नरेन्द्र सावरकर, रमेश पोखरियाल निशंक, प्रहलाद जोशी, सुरेश अंगाडी और गजेंद्र शेखावत शामिल हैं। रूल 267 के तहत राज्यसभा में इसी तरह का नोटिस देने वालों में वी पी सिंह भदनोरे, दिलीपभाई पंड्या, अनिल दवे, भूपेंद्र यादव, तरुण विजय, विजय गोयल, चंदन मित्रा और अविनाश राय खन्ना हैं। एनडीए के मंत्री भी विपक्ष की एकता तोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। एक मंत्री का कहना था, ‘क्या आपको लगता है कि केरल के सोलर और बार रिश्वत मामले पर संसद में चर्चा के दौरान वाम दल और कांग्रेस एक साथ होंगे। यह बात पश्चिम बंगाल में घोटाले पर भी लागू होती है, जहां सीपीआई (एम) और टीएमसी एक साथ नहीं होंगी।’ राज्यसभा में बुधवार को लगातार दूसरे दिन विपक्ष के हंगामे की वजह से कोई काम नहीं हो सका। विपक्षी सांसदों ने सदन में बीजेपी के नेताओं के इस्तीफे की मांग उठाई और इसके बाद ही चर्चा करने की बात कही। बीएसपी प्रमुख मायावती ने स्वराज और दो मुख्यमंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने व्यापम को एक ‘जानलेवा घोटाला’ करार देते हुए कहा कि इसकी सीबीआई जांच तभी निष्पक्ष हो सकती है कि जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री इस्तीफा दें। जेडी (यू) के नेता शरद यादव ने पिछले उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि जब बीजेपी और उनकी पार्टी गठबंधन में सहयोगी थे तो विपक्ष में रहते हुए उन्होंने सरकार को माधवसिंह सोलंकी, अश्विनी कुमार, पवन कुमार बंसल और अन्य लोगों से इस्तीफा लेने के लिए मजबूर किया था।
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