सरकारी पदों पर नियुक्ति में नागपुर पर ख़ास मेहरबानी, सीएम का दिख रहा असर
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तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि,बेबाक राशिद सिद्दीकी
मुंबई। सरकारी अधिकारी-कर्मचारी विदर्भ में नियुक्ति को सजा मानते रहे हैं। शायद इसी कारण से विदर्भ में अब तक सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के पद बड़े पैमाने पर रिक्त थे। हालांकि विदर्भ से मुख्यमंत्री बनने के बाद परिस्थितियां बदली दिखाई दे रही हैं। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक रिक्त पदों पर नियुक्ति के मामले में नागपुर सबसे आगे है। अपने गृह जनपद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की खास कृपा दिखाई दे रही है। जबकि नागपुर की अपेक्षा अमरावती, कोंकण, पुणे नाशिक में रिक्त पदों का प्रतिशत अधिक है।
वर्ष 2014 के अंत में राज्य में कुल रिक्त पदों का प्रतिशत 13.79 था। इसमें अमरावती में 16.61, कोंकण में 15.30, पुण में 14.18, नाशिक में 13.18, नागपूर में 12.26 और औरंगाबाद में 11.14 प्रतिशत रिक्त पद थे। आरटीआई के अनुसार, सरकार ने 28 अप्रैल 2015 को महाराष्ट्र शासकीय वर्ग-अ, वर्ग-ब पदों पर सरल सेवा प्रमोशन से राजस्व विभाग वितरण नियम 2015 को अमल में लाने के लिए परिपत्रक जारी किया था। इससे पहले मुख्यमंत्री फडणवीस के 3 मार्च के आदेश के बाद विभागीय संरचना विभागीय संवर्ग वितरण की नियमावली 2010 में बदलाव करने का प्रस्ताव पेश किया था।
1.30 लाख पद हैं रिक्त
राज्य के नागपुर, अमरावती, औरंगाबाद, कोंकण, नाशिक पुणे विभाग में मंजूर 9 लाख 44 हजार 713 पदों में से 1 लाख 30 हजार 251 पद रिक्त हैं। कोंकण में सर्वाधिक 32,703, पुणे में 27,040, अमरावती में 18,400, नाशिक में 18,300, औरंगाबाद में 18,256 नागपुर विभाग में 15,552 पद रिक्त हैं।
उपराजधानी के बाद ही अन्य जिलों में होगी नियुक्ति
फडणवीससरकार की ओर से जारी अधिसूचना के तहत वर्ग अ, वर्ग पदों पर सरल सेवा प्रमोशन से नियुक्ति के लिए क्रमश: नागपुर, अमरावती, औरंगाबाद नासिक का क्रम तय किया गया है। यानी रिक्त पदों पर पहले नागपुर में नियुक्ति होगी। इसका कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया था। सरल सेवा प्रमोशन से नियुक्ति के लिए 8 जून 2010 को जारी नियमावली निरस्त कर 9 अप्रैल को कैबिनेट ने नई नियमावली को मान्यता दी। 16 जून को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नियुक्ति संबंधी इस नियमावली में कुछ बदलाव कर पति-पत्नी एकत्रीकरण और कुछ अन्य मामलों में राहत दी गई।
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