सांप्रदायिक तनाव के पीछे प्रोफेशनल्स का हाथ, खुफिया रिपोर्ट से खुलासा

लखनऊ। यूपी में लगातार हो रही सांप्रदायिक हिंसा के बारे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हाल ही में यूपी पुलिस ने सीएम अखिलेश यादव को इस बारे में खुफिया रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट से ये बात सामने आई है कि सूबे में आए दिन सांप्रदायिक हिंसा के पीछे पढ़े-लिखे और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट्स से पास लोगों का हाथ है।
बता दें कि पिछले दिनों अखिलेश यादव सार्वजनिक मंचों से सोशल मीडिया (फेसबुक और वाट्स ऐप) से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होने की बात कह चुके हैं। अब रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम ने खुद पुलिस और शासन के आलाधिकारियों को सोशल मीडिया की कड़ी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं। साथ ही वह खुद भी जागरूकता के लिए पहल कर रहे हैं।
पढ़ा-लिखा तबका बिगाड़ रहा है माहौल
बीते दिनों लॉ एंड ऑर्डर की रिव्यू मीटिंग के दौरान यूपी के डीजीपी जगमोहन यादव ने सीएम को खुफिया रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में हिंसा और तनाव फैलाने में प्रोफेशनल्स का दिमाग होने की बात बताई गई है। रिपोर्ट में इसका भी जिक्र है कि आईआईटी जैसे संस्थानों के ग्रेजुएट सोची-समझी स्ट्रैटजी के तहत सोशल मीडिया के लिए भड़काऊ और वायरल कंटेंट तैयार कर रहे हैं। ऐसे कंटेंट को प्रोफेशनल्स ऐसे ग्रुप्स को भेजते हैं, जो इन्हें बिना सोचे-समझे आगे फॉरवर्ड कर देता है।
सीएम खुद भी कर रहे हैं लोगों को आगाह
सोशल मीडिया के जरिए फैल रही तनाव की घटनाओं को देखते हुए अब सीएम अखिलेश ने खुद भी कमान संभाल ली है। वह अपने हर सार्वजनिक कार्यक्रम में सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हैं। बीते हफ्ते ही इंडियन ग्रामीण क्रिकेट लीग के कार्यक्रम में भाग लेने बरेली पहुंचे सीएम ने युवाओं से कहा था कि वे सोशल मीडिया पर संभल कर अपनी राय रखें। उनका कहना था कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल माहौल भड़काने में ज्यादा किया जाता है। उन्होंने वाट्स ऐप के रोल का जिक्र करते हुए कहा था कि इससे मिनटों में कोई भी सूचना आसानी से मिल जाती है, लेकिन संदिग्ध घटनाओं में इसकी भूमिका ज्यादा सामने आती है।
तनाव फैलाने की कोशिशें जारी
यूपी पुलिस की खुफिया इकाई ने इस रिपोर्ट में पंचायत चुनाव और फेस्टिवल्स के मौके पर सोशल मीडिया का सहारा लेकर तनाव भड़काने की साजिश का खुलासा भी किया है। रिपोर्ट में मुरादाबाद, संभल, बहराइच, फैजाबाद, वाराणसी और बरेली में सोशल मीडिया के जरिए माहौल खराब करने की घटनाओं का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सिर्फ पश्चिमी यूपी ही नहीं, पूर्वांचल में भी विभिन्न वर्गों में टकराव पैदा करने की कोशिशें हो रही हैं।
फर्जी आईडी से सांप्रदायिक तनाव फैलाने का प्रयास
केंद्रीय खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी के अनुसार, अपनी जड़ें जमाने के लिए पॉलीटिकल पार्टियां सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं। एजेंसियों ने इस बात का भी खुलासा किया है कि प्रोफेशनल्स की मदद लेकर फेसबुक आईडी से प्रोफाइल और पेज बनाकर हिंदू-मुस्लिम दोनों संप्रदायों के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट डाले जा रहे हैं। हाल में ही गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ की तस्वीर को फोटोशॉप पर फेरबदल कर जानवर का चेहरा बनाया गया था। इसके जरिए भी दो संप्रदायों के बीच जहर घोलने की कोशिश थी।
आतंकी संगठन उठा सकते हैं फायदा
हालांकि, यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए तनाव फैलाने के पीछे किसी आतंकी संगठन का हाथ होने से इनकार किया है। इसके बावजूद विदेश मंत्रालय में खुफिया एजेंसी के साथ तैनात एक अफसर ने बताया कि ऐसे हालात में आतंकी संगठन मौके का लाभ उठाने की कोशिश कर सकते हैं। सभी एजेंसियों को सतर्क रहने की जरूरत है।
आईएसआईएस बना रहा यूपी में घुसपैठ
हाल में हुए एक सर्वे के मुताबिक, आतंकी संगठन आईएसआईएस सोशल मीडिया के जरिए यूपी के यूथ में अपनी पैठ बनाकर उन्हें गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए आतंकी संगठन ने एक सोशल विंग भी बना रखी है, जो उसकी ओर से वीडियो क्लिप से लेकर उत्तेजक संदेश तक जारी करती है। इस खुफिया सर्वे में ये बात भी सामने आई है कि यूपी में सोशल मीडिया के जरिए आईएसआईएस सक्रिय हो चुका है। अन्य आतंकी गुटों की तरह सोशल नेटवर्क पर उसकी गतिविधियों का प्रचार हो रहा है और इन्हें देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
मुजफ्फरनगर में एक वीडियो ने खत्म की थीं 39 जिंदगियां
बता दें कि सोशल मीडिया ही साल 2013 में मुजफ्फरनगर में कई जिंदगियों पर भारी पड़ गया था। जब हिंसा के पीछे के कारणों का खुलासा हुआ तो उसमें यह बात सामने आई कि एक पाकिस्तानी वीडियो को कवाल में दो युवकों की हत्या कहकर प्रचारित किया गया। इस वीडियो के कारण 39 बेगुनाहों की जान चली गई। ये वीडियो 15 अगस्त 2010 का था, जब सियालकोट में भीड़ ने दो भाइयों को डाकू समझकर पीट-पीटकर मार डाला था। उस समय पाकिस्तानी पुलिसवाले भीड़ को उकसा रहे थे। बाद में इसे मुजफ्फरनगर में दो युवकों की हत्या का बताकर वाट्स ऐप से फैलाया गया।
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