सांसदों के वेतन और भत्तों पर बनी जॉइंट कमिटी की आधी सिफारिशों को मानने से सरकार ने किया इनकार

parliyamentतहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। सांसदों के वेतन और भत्तों पर बनी जॉइंट कमिटी की आधी सिफारिशों को मानने से सरकार ने इनकार कर दिया है। खबर है कि सरकार ने कमिटी की 65 सिफारिशों में से 18 को ‘अस्वीकार’ कर दिया है, जबकि 15 से वह ‘असहमत’ है। तीन सिफारिशों पर ‘उचित समय आने पर’ फैसला लिया जाएगा, जबकि 4 मामलों में ‘मौजूदा व्यवस्था को बदलने की जरूरत नहीं है।’
इंग्लिश अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक इस ऐक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) पर 25 जून को चर्चा हुई थी। 16 फरवरी को इन 65 सिफारिशों को अंतिम रूप दिया गया था। जॉइंट कमिटी की अगली मीटिंग 13 जुलाई को होगी, जिसमें ATR को लेकर चर्चा होगी। इस बैठक में सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं होगा। गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली इस कमिटी में 15 सदस्य हैं, जिसमें 10 लोकसभा से और 5 राज्यसभा से हैं। कमिटी ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और राज्यसभा स्पीकर हामिद अंसारी को अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले 5 बैठकें की थीं। जॉइंट कमिटी अगर इस ATR को मानती है तो दोनो सदनों में इसपर चर्चा हो सकती है। अखबार के सूत्रों का कहना है कि सरकार ने जिन सिफारिशों को ‘अस्वीकार’ किया है, उनमें ट्रेन से यात्रा करने वाले सांसदों को हवाई किराए का 125 फीसदी देने की बात भी शामिल है। अभी सिर्फ ऑफिशल काम के लिए हवाई यात्रा करने वाले सांसदों को 125% हवाई किराया मिलता है।
इसके अलावा जिन सिफारिशों को अस्वीकार किया गया है, वे इस तरह से हैं:
– सांसदों को हाउसिंग लोन सुविधा दी जाए।
– सांसदों के लिए हाउसिंग सोसाइटी बनाई जाए।
– पूर्व सांसदों को ठीक उसी तरह से लेह-लद्दाख से हवाई यात्रा करने की सुविधा मिले, जिस तरह से अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप से मिलती है।
-सांसदों को ऑफिशल गाड़ी दी जाए।
– हर सांसद को प्रदेश की राजधानी में गेस्ट हाउस मिलने चाहिए।
– संसदीय समितियों के प्रमुखों को दिल्ली से बाहर जाने के लिए कार दी जाए।
– उन्हें सुरक्षा और प्रोटोकॉल मिले
– दैनिक भत्ता 2 हजार रुपये से बढ़ाकर 5 हजार रुपये किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि जिन सिफारिशों से सरकार असहमत हुई है, वे इस तरह से है:
– पूर्व सांसदों को डिप्लोमैटिक पासपोर्ट मिलना चाहिए।
– सांसदों के सहयोगी को फर्स्ट एसी की सुविधा मिले।
– विदेश जाने पर सांसद को लोकल फोन दिया जाए।
– पूर्व सांसदों को टोल टैक्स से छूट मिले।
– जीवनसाथी या सहयोगी के साथ फर्स्ट एसी में ट्रैवल करने की सुविधा दी जाए।
– दैनिक उपयोग की चीज़ों के लिए कैंटीन की सुविधा दी जाए।
– पूरा ऑफिस अलाउंस पर्सनल असिस्टेंट्स के बजाय सांसदों को दिया जाए।
इसी तरह से संसद परिसर में सांसदों को ऑफिस देने, लोन और चुनावक्षेत्र भत्ता वगैरह बढ़ाने की मांग पर सरकार ने उचित समय आने पर फैसला लेने की बात कही है। ऐसे ही पूर्व सांसदों की पेंशन कोलेकर सरकार ने कहा कि इस दिशा में काम किया जा रहा है। सांसदों को वीआईपी एरिया और गेस्ट हाउस वगैरह देने को लेकर सरकार ने सरकार ने कहा कि इसे लेकर मौजूदा दिशानिर्देशों में बदलाव की जरूरत नहीं है।
अखबार के मुताबिक सरकार जिन सिफारिशों पर विचार कर रही हैं, वे इस तरह से हैं:
– केंद्रीय विद्यालयों में कोटा प्रति साल 15 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
– सांसदों के निजी सहायकों को भी एयरपोर्ट में जाने की इजाजत मिलनी चाहिए।
– सांसद निधि बढ़ाई जाए, जो अभी 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष है।
– सांसदो की सिफारिश पर इलाके में हैंडपंप लगाने की सुविधा दी जाए।
– सांसद की सलाह पर चुनावक्षेत्र में सड़क बनाने की व्यवस्था पर विचार किया जाए।
– सांसदों द्वारा चुने गए गांवों को क्या अलग से बजट मिल सकता है।

 

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