साइकिल की हवा निकली, दूसरे दलों में जा सकते कई सपाई

mulayam-familiलखनऊ। जनता दल से निकलकर लोहिया के चेले ने समाजवादी दल बनाया। यूपी की जनता ने किसान, शिक्षक और पहलवान को यहां की सत्ता कई बार बिठाया। लेकिन पिछले तीन माह से समाजवादी परिवार में जबरदस्त घमासान चल रही है। सोमवार को यह लड़ाई खुले मंच से लेकर सड़क पर दिखी और कई सपाइयों ने घर की लड़ाई के चलते अब दूसरे दल में जाने के लिए ललाइत दिखे। कानपुर नगर से सपा के पांच विधायक हैं, इनमें से दो सीधे तौर पर शिवपाल गुट से जुड़े हैं।
अगर सपा के सूत्रों की माने तो तीन में से तीन सिटिंग विधायक सपा छोड़कर भाजपा और बसपा में जा सकते हैं। सपा के एक विधायक एक सप्ताह पहले बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसिमुद्दीन सिद्दिकी से मुलाकात भी उनके गृह जनपद बांदा में कर भी चुके हैं। वहीं दो सपा विधायक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और स्वामी प्रसाद मौर्या से मिलकर भगवा खेमे में जा सकते हैं।
सीएम अखिलेश सिंह यादव ने शिवपाल के करीबी पूर्व मंत्री शिवकुमार बेरिया को मंत्रि मंडल से बर्खाश्त कर दिया था। इसी के चलते उनका सपा छोड़कर भाजपा में जाने की चर्चा कानपुर नगर और देहात में चल रही हैं। शिवकुमार बेरिया और सीएम की खास अरुणा कोरी के बीच विवाद भी हो चुका है। अरुणा कोरी ने इसकी शिकायत सीएम और मुलायम सिंह से भी कर चुकी हैं।
सूत्रों का कहना है कि बिल्हौर सीट से चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए भाजपा के कई दावेदार खुलकर ताल ठोकी है। भाजपा सबको एक रखने के लिए बिल्हौर से शिवकुमार बेरिया को टिकट दे सकती है। बेरिया सपा से ही 2007 से लेकर 2012 तक बिल्हौर से विधायक रहे हैं। बेरिया कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा से विधायक हैं। सूत्र बताते हैं कि वर्तमान हालात में 2017 के चुनाव में उन्हें हार भी उठानी पढ़ सकती है।
कई माह से हासिए पर चल रहे सीसामऊ से सपा विधायक इरफान सोलंकी के भी सपा छोड़ने की चर्चा चल रही है। इरफान चार माह से सपा के कार्यालय नहीं जा रहे हैं और एक सभा के दौरान उनकी झड़प सपा के स्थानीय नेता से हो चुकी है। कहा यहां तक जा रहा है कि सीएम इरफान की जगह दूसरे उम्मीदवार को सीसामऊ से टिकट देना चाहते हैं। इसकी भनक इरफान को लगी तो उन्होंने नसिमुद्दीन सिद्दिकी से संपर्क साधकर बसपा में शामिल होने के लिए संकेत कई बार अपने कार्यकर्ताओं से इशारों-इशारों में दे चुके हैं।
सपा सूत्रों की माने तो सीएम ने जो मंत्र मंजल में विस्तार किया, इसमें नेता जी ने सपा विधायक सतीश निगम को शामिल करने को कहा था। लेकिन अखिलेश ने नेता जी की बात अनसुनी कर दी। सतीश निगम साफ छवि के चलते संघ के गढ़ में पहली बार साइकिल दौड़ी थी। सतीश निगम भी भलीभांति जानते हैं कि 2017 की डगर साइकिल की सवारी से आसान नहीं होने वाली। सूत्र बताते हैं कि भाजपा नेता राजू श्रीवास्तव धम्य सभा के दौरान कानपुर आए थे। राजू सतीश निगम से मिले भी थे और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए कहा था। अगर सपा परिवार में ऐसे ही युद्ध चलता रहा तो सतीश निगम साइकिल छोड़ भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
 

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