सिंघानिया परिवार में संपत्ति की लड़ाई हाई कोर्ट पहुंचा, बेटा चाहता है घर खाली करें पिता

मुंबई। रेमंड लिमिटेड के रिटायर्ड चेयरपर्सन डॉ.विजयपत सिंघानिया को अपना जुहू स्थित घर खाली करना पड़ सकता है। उनसे अलग हो चुके उनके बेटे मधुपति ने बॉम्बे हाई कोर्ट में इसके लिए अर्जी दाखिल की है। मधुपति ने अपनी अर्जी में 2008 के एक सुलह फैसले का हवाला दिया है।
फैसले के मुताबिक अगर उनके पिता इसमें शामिल कुछ शर्तों को पूरा करने में असफल रहते हैं तो उन्हें अपना घर और सामान छोड़ना होगा। संपत्ति के इस झगड़े की शुरुआत साल 1998 में शुरु हुई। मधुपति का दावा है कि उन्होंने एक घर (कमला कॉटेज) पर अपना हक नहीं लिया था और इसके बदले में उनके पिता मधुपति ने उन्हें पैसे भी नहीं दिए हैं। मधुपति का कहना है कि उन्होंने 1999 से ही घर में रहना छोड़ दिया है फिर भी उनके पैसे उन्हें नहीं मिले।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एस.एन. वराविया के फैसले के मुताबिक सिंघानिया की संपत्ति को तीन हिस्सों में बांटा जाना था। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संपत्ति के बंटवारे जैसे मसलों में एक लैंडमार्क जजमेंट (अहम फैसला) माना जाता है। फैसले के मुताबिक प्रॉपर्टी को परिवार की मुंबई, कोलकाता और कानपुर की शाखाओं में बांटा जाना था। कोर्ट के निर्देशों के तहत विजयपति को जुहू वाला घर परिवार के कोलकाता ब्रांच को सौंपना था। इसके बदले में कोलकाता ब्रांच की फैमिली को 46 करोड़ रुपये देने थे जोकि कानपुर और मुंबई की शाखाओं में बराबर बांटा जाना था। हालांकि किसी भी पक्ष ने फैसले के नियमों का पालन नहीं किया।
अब मधुपति ने अपनी अर्जी में दावा किया है कि उन्हें अभी 3.35 करोड़ रुपये मिलने बाकी हैं। इसके अलावा बाकी संपत्ति अलग से। उन्होंने इस राशि पर 18% का सालाना ब्याज भी जोड़ा है, यानी उन्होंने कुछ 6 करोड़ रुपयों का दावा किया।
मधुपति की अर्जी में यह भी दावा किया गया है कि वह 1999 से ही सिंगापुर में रह रहे हैं और उन्हें कोर्ट की कार्यवाही के बारे में नहीं बताया गया। मधुपति ने कहा कि उन्हें फैसले के बारे में पिछले साल नवंबर में पता चला। वहीं विजयपति ने वकीलों ने इस आरोप को खारिज कर दिया है कि मधुपति को कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं थी। हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने दोनों पक्षों को ई मेल किया लेकिन हमें उनका जवाब नहीं मिला। मामले की अगली सुनवाई अगले महीने हो सकती है।
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