सिर से पैर तक भ्रश्टाचार में डूबा बलिया का राजकीय औद्योगिक प्रषिक्षण संस्थान

tahalka3_1_2विषेश संवाददाता राधेष्याम पाठक

बलिया/लखनऊ। राजकीय औद्योगिक प्रषिक्षण संस्थान,बलिया के बारे में विष्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ कि यहॉ काफी व्यापक एवं वृहद पैमाने पर कर्मचारी भ्रश्ट्राचार में लिप्त है एवं अपने उच्च अधिकारियों की सहायता एवं सहयोग से अपने गलत कार्यो पर अब तक पर्दा डाले हुये है। सत्य की खोज एवं इस काले धन्धे का भंडाफोड़ करने के लिये मैं सितम्बर,2016 से कार्य कर रहा हॅू, । इस कार्य में मेरे द्वारा अनेकों आर0टी0आई0 दिये गये जिनमें से कुछ का जबाव तो दिया गया लेकिन जहॉ अपना गला फॅसते देखा ,वहॉ सत्य सूचना को नही दिया गया। मेरे द्वारा राजकीय औद्योगिक प्रषिक्षण संस्थान,बलिया के बारे में विष्वस्त सूत्रों एवं आर0टी0आई0 के द्वारा जो भी सूचना प्राप्त किया गया है,वह निम्न है-
1. फर्जी ट्रान्सफर घोटाला- राजकीय आई0टी0आई0 बलिया में अनुदेषक आषुलिपि हिन्दी के पद पर कार्यरत श्री राम नाथ राम जो पहले राजकीय आई0टी0आई0 नवानगर बलिया में कार्य कर रहे थे ,को उस समय के प्रधानाचार्य श्री आर0पी0यादव के द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये बलिया की मुख्य षाखा में अनुदेषक हिन्दी टंकण के पद पर ट्रान्सफर कराया गया,जबकि अनुदेषक हिन्दी टंकण का पद वर्श 1996 में ही विभाग के द्वारा समाप्त कर दिया गया था । मेरे द्वारा पूछने पर श्री राम नाथ राम के द्वारा यह बात स्वीकार किया गया कि मेरा ट्रान्सफर उस समय के प्रधानाचार्य श्री आर0पी0यादव के द्वारा रू0 38000/- लेकर किया गया जो पूरी तरह से फर्जी था। साक्ष्य के लिये राजकीय आई0टी0आई0 बलिया के द्वारा आर0टी0आई0 के द्वारा दी गई सूचना संलग्न है। (पृश्ठ-1) इस सूचना को उच्चाधिकारियों तक न पहुॅचाने के लिये श्री राम नाथ राम के द्वारा मुझे धन का प्रलोभन भी दिया गया।
इस फर्जी ट्रान्सफर आदेष सं0-88/एक/टी-1/0915/समायोजन/2010 दिनांकः 25.01.2010 में लिखा है कि श्री राम नाथ राम अपने कार्य के साथ साथ नवानगर संस्थान में भी प्रषिक्षण का कार्य करेगें। बलिया से नवानगर की दूरी 40 किलोमीटर है,प्रष्न यह हे कि एक ही व्यक्ति दो स्थानों पर एक साथ कैसे काम कर सकता है। यह फर्जी ट्रान्सफर आदेष 25.01.2010 को जारी किया गया है जिस समय कोई भी ट्रान्सफर सरकार के द्वारा नही किया जाता,और यदि किया भी जाता है तो षासन आदि से स्वीकृति लेने के उपरान्त ही किया जाता है।
2. एम0ई0एस0 संबंधी घोटाला- एम0ई0एस0 योजना केन्द्र सरकार एवं उ0प्र0 सरकार की संयुक्त रूप से महत्वकांक्षी प्रषिक्षण योजना है जिसमें समाज के कमजोर लोगों का कम लागत एवं कम समय में उच्च गुणवत्ता वाली रोजगारपुरक षिक्षा दिये जाने की व्यवस्था की गई थी,प्रदेष के अन्य जनपदों में यह योजना काफी अच्छे तरीके से चलाई गई लेकिन बलिया जनपद में आई0टी0आई0 बलिया के विभागीय अधिकारियों एवं भ्रश्ट बाबूओं के सहयोग से केन्द्र सरकार एवं उ0प्र0 सरकार की महत्वकांक्षी प्रषिक्षण योजना सत्यता के धरातल पर पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है। संवाददाता के द्वारा आर0टी0आई0 एवं अन्य स्रोतो से जानकारी लिया गया तो ज्ञात हुआ कि राजकीय आई0टी0आई0 बलिया में इस प्रषिक्षण योजना में नियम विरूद्ध तरीके से लगभग 1500 से 2000 छात्रों प्रवेष लिया गया है एवं प्रति छात्र रू0 1000 से 2000 तक का फीस वसूल किया गया है जबकि नियमानुसार मात्र 800/- ही लिया जाना था ,साथ ही महिलाओं एवं एस0,एस0टी0 वर्ग के छात्रों से यह मात्र 600/-(25 प्रतिषत कम) (पृश्ठ-2) ही लिया जाना था,साथ ही भ्रश्ट्राचार का सबसे बड़ा सबूत तो यह है कि छात्रों से प्राप्त कुल लगभग रू0 10 लाख से 25 लाख तक की फीस में से अधिकांष धन को बैंक के सरकारी खाते में जमा नही किया गया है मात्र 100 से 200 छात्रों की फीस ही जमा किया गया है। अतः इससे यह स्पश्ट है कि अधिकांष धन का गोलमाल विभागीय अधिकारियों एवं भ्रश्ट बाबूओं के सहयोग से कर लिया गया है।
इस समयावधि में प्रधानाचार्य पद पर श्री आर0पी0यादव,अरविन्द कुमार कार्य किये है जबकि एम0ई0एस0 बाबू के रूप में श्री अषोक कुमार सिंह एवं श्री अरूण कुमार मिश्र कार्य कर चुके है।
भारत सरकार द्वारा संचालित इस योजना को राजकीय आई0टी0आई0 बलिया में छात्रों को पढ़ाने के लिये कार्यालय के पत्र सं0-बी0टी0आई0/बी0टी0पी0-एम0ई0एस0/प्रषिक्षण/2013 /847 दिनांक-10.10.2016 (पृश्ठ-3) के द्वारा तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री अरविन्द कुमार के द्वारा एक फर्जी आदेष भी किया गया जिसमें लिखा है कि बी0टी0पी0-एम0ई0एस0 प्रषिक्षण देने के लिये सुबह 8.00 बजे से 9.00 बजे तक एवं सायं 4.00 बजे से 5.00 बजे तक प्रषिक्षण कार्य कराया जायेगा,लेकिन संवाददाता के द्वारा परीक्षण करने पर पाया गया न तो वर्कषाप को निर्धारित समय पर खोला ही गया और न ही यह प्रषिक्षण ही दिया गया अर्थात पूरा का पुरा प्रषिक्षण सिर्फ कागजों में ही करा कर सरकार द्वारा दिये गये धन की बंदरबॉट कर लिया गया।

क्रम नाम/ पिता का नाम व्यवसाय प्रषिक्षण अवधि अन्य विवरण
1 आदित्य कुमार मौर्या पुत्र श्री श्रीकान्त मौर्या फीटर 2008-10 इन सारे छात्रों का नाम काषनमनी रजिस्टर में नही है,कैषियर एवं व्यवसाय के अनुदेषक श्री एम0डी0सिंह से पूछने पर ज्ञात हुआ कि इन्हेें परीक्षा में 35000/- लेकर सीधे बैठा दिया गया है,एवं फीस को बैक डेट में जमा किया गया है।
2 आषीश कुमार ठाकुर पुत्र श्री सुर्य वंष ठाकुर फीटर 2008-10
3 अषोक यादव पुत्र श्री मंगलदेव यादव फीटर 2008-10
4 मिथिलेष चौरसिया पुत्र श्री जवाहर प्रसाद चौरसिया फीटर 2008-10
5 श्री अमित कुमार सिंह पुत्र श्री हरेन्द्र सिंह वायरमैन 2008-10 परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
6 जय चन्द चौहान पुत्र श्री राम स्वरूप चौहान ड्रा0मै0
मैकेनिक 2008-10 परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
7 षक्ति कुु0 चौरसिया पुत्रश्री काषीनाथ चौरसिया ड्रा0मै0
मैकेनिक 2008-10 परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
8 प्रमोद कु0 गुप्ता पुत्रश्री कन्हैया प्रसाद गुप्ता ड्रा0मै0
मैकेनिक 2008-10 परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
9 सुनील कुमार कुषवाहा पुत्रश्री अंजनी कुमार वर्मा सर्वेयर
2008-10 परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
10 लोकेष कुमार चौबे पुत्र श्री अवध बिहारी चौबे टर्नर
2008-10 परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
11 संजय कुमार गुप्ता पुत्र श्री मिश्री लाल गुप्ता विद्युतकार 2010-12
परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
12 राजन कुमार वर्मा पुत्रश्री तुलसी रेफ्रीजरेषन एवं ए0सी0 2010-12
परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल
13 राजन कुमार षर्मा पुत्रश्री गंगा सागर षर्मा रेफ्रीजरेषन एवं ए0सी0 2010-12
परीक्षा में 35000/- देकर डायरेक्ट षामिल

यदि इस घोटाले की व्यापक पैमाने पर जॉच कराई जाये तो काफी चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते है,लेकिन संबंधित अधिकारियों एवं बाबूओं के सहयोग से इस घोटाले को दबा दिया गया है।
3. प्रवेष संबंधी महाघोटाला- घोटालों के पूराने सारे कीर्तिमान का तोड़ते हुये छात्रों के वर्श 2008-10 के प्रवेष में प्रधानाचार्य श्री जे0पी0 सिंह के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर लगभग 70 छात्रों का प्रवेष बिना किसी सूची के डायरेक्ट कर लिया गया अर्थात् ये 70 छात्र में से अधिकांष ने तो प्रवेष संबंधी कोई फार्म ही नही भरा था। इस प्रवेष घोटाले में प्रति छात्र रू0 35000 से 40000 तक की काली कमाई की गई थी कुल 50 ग 40 = 20,00,000 (लगभग 20 लाख रू0)का धन भ्रश्ट तरीके से अर्जित किया गया । विषेश संवाददाता के द्वारा तथ्यों की गहराई में जाकर जाच करने पर ज्ञात हुआ कि उस समय प्रवेष प्रभारी के रूप में श्री राम नाथ राम, प्रषिक्षण लिपिक के रूप में श्री रमेष कुमार यदुवंषी, एवं मुख्य लिपिक के रूप में श्री अषोक कुमार सिंह के द्वारा सारा का सारा फर्जी प्रवेष किया गया एवं अवैध धन उगाही की गई। इस प्रवेष घोटाले में कुछ अनुदेषकों के लिप्त होने की बात भी सामने आई है जिसमें मुख्यतः श्री एम0डी0सिंह, का नाम हर जगह षामिल पाया गया है। ध्यातव्य हो कि यह वही राम नाथ राम अनुदेषक है जिनका फर्जी ट्रान्सफर श्री आर0पी0यादव पूर्व प्रधानाचार्य के द्वारा कराया गया था। प्रवेष के संबंध में षिकायत प्राप्त होने पर तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री आर0पी0यादव ने पत्र सं0-बी0टी0आई0/षिकायत/2009/740-46 दिनांकः23.07.2009(पृश्ठ-4) को एक चार सदस्यीय समिति का गठन कर दिये कि ’’वर्श 2008 में प्रवेषित प्रषिक्षार्थियों की जॉच कर रिपोर्ट दिनांकः27.07.2009 तक ’’ प्रस्तुत करें लेकिन पूछताछ में पता चला कि यह समिति केवल कागजों में ही बनाकर खाना-पूर्त्ति कर ली गई और श्री आर0पी0यादव प्रधानाचार्य के द्वारा इस मामले को दबाने के नाम पर कु0 70 छात्रों का प्रति छात्र रू0 10000/- की दर से कुल 7,00,000/- (रू0 7 लाख) संबंधित कर्मचारियों से वसूल कर इस पूरे जॉच प्रक्रिया को ठंण्डे बस्ते में डाल दिये। इस संबंध में विष्वस्त सूत्रों के हवाले से बताया गया कि प्रवेष संबंधी इस गोरखधन्धे
में व्यवसाय-फीटर,विद्युत,ड्रा0मै0मैकेनिक,सर्वेयर,टर्नर एवं अन्य वहुत सारे ट्रेड में फर्जी छात्रों के नामों
को बढ़ाने के लिये उपस्थिति रजिस्टर को भी बदल-बदल कर नाम को जोड़ा गया है एवं अधिकांष
अनुदेषकों के द्वारा स्टोर से एक से अधिक उपस्थिति रजिस्टर को इन्डेन्ट किया गया है।
उपरोक्त सूची के सारे बच्चों का प्रवेष बैंक ड्राफट के द्वारा किया गया है, जो कि उस समय नियम भी था,ं इस सूची में नियम विरूद्ध तरीके से जाकर अवैध तरीके से प्रवेष कार्य को तो किया ही गया है लेकिन उससे भी विस्मयकारी तथ्य यह है कि सारे छात्रों से फीस के रूप में प्राप्त बैंक ड्राफट को सरकारी खजाने में जमा नही किया गया है,बल्कि मात्र कुछ ही छात्रों के बैंक ड्राफट को वास्तविक रूप से जमा किया गया है, अर्थात् विषुद्ध रूप से सरकारी धन को खजाने में जमा नही करके तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री आर0पी0यादव एवं कैषियर के द्वारा गबन करके सरकारी खजाने को चोट पहुॅचाई गई है एवं साथ ही गलत तरीके से नियम विरूद्ध प्रवेष कार्य को किया गया है।
उपरोक्त उपलब्ध कराये जा रहे छात्रों का प्रवेष तो बिना प्रवेष परीक्षा में सम्मिलित हुये कर लिया गया साथ ही उन्हें सीधे फाइनल परीक्षा में षामिल भी करा लिया गया

4. डूडा घोटालाः-डूडा के पत्र सं0-364/डूडा-बलिया/2010-11 दिनांकः24.03.11 (पृश्ठ-5) के द्वारा प्रधानाचार्य,रा0औ0प्र0सं0 बलिया को स्टेप-अप योजना के अर्न्तगत् कुल 91( 51 कम्प्यूटर एवं 40 सिलाई) के प्रषिक्षार्थियों को प्रषिक्षण दिया गया था जिसके भुगतान के रूप में रू0 409500/- चेक सं0-689350 दिनांकः27.03.11 द्वारा दिया गया जिसका डायरी क्रमांक-110/19.04.11 है। इस धन के द्वारा नियमानुसार प्रषिक्षण नही कराकर पत्र सं0-बी0टी0आई0/डूडा/2011/ 320-21 दिनांकः04.05.11 के द्वारा कुल रू0 227500/- का भुगतान अपने ही विभाग के कर्मचारियों को कर दिया (पृश्ठ-6) बल्कि इस धन में से श्रीमती अरूणा कुमारी अनुदेषक / प्रषिक्षक सिलाई-कटाई को रू0 32000/- का भुगतान भी नही किया गया है अर्थात् वास्तवकि भुगतान की राषि मात्र रू0 (227500-32000 = 195500) ही होता है। जब कि

क्रमांक खर्च का नाम बिल सं0/दिनांक खर्च रू0
1 कार्यालय का खर्च 04.05.2011 227500
2 एस0एन0कम्प्यूटर रिपेयरिंग व साफटवेयर इन्स्टालेषन चार्ज 64/13.08.2010 17000
3 टोनर कार्टेज 65/20.05.2010 17400
4. हार्ड डिस्क,माउस,की बोर्ड,माउस पैड,डीवीडी राइटर,सी0डी0 66/22.05.2010 13350
5 पेन ड्राइव 67/22.05.2010 18750
6 पेन ड्राइव 68/23.05.2010 18750
7 फोटोस्टेट पेपर 71/22.05.2010 14625
सकल योग 327375

डूडा आफिस के द्वारा कुल प्राप्त कराये गये रू0 409500.00 में से केवल रू0 327375.00 का व्यय ही दिया गया है,जब कि बाकी बचे रू0 82125.00 का कोई भी विवरण नही दिया गया है,अर्थात् साफ-साफ रू0 82125.00 का गबन श्री आर0पी0यादव,तत्कालीन प्रधानाचार्य,लेखाकार एवं कैषियर के द्वारा मिल कर प्रदर्षित हो रहा है साथ ही खर्च किये गये सरकारी धन के संबंध में निम्न कथन है-

(क) कार्यालय में खर्चः- (पृश्ठ-5) क्रमांक 1 एवं 2 पर श्री बीरेन्द्र सिंह कार्यदेषक अनुदेषक को प्रषिक्षण प्रभारी के रूप में रू0 36400.00 एवं प्रषिक्षक कम्प्यूटर के रूप में 40800.00 का कुल रू0 77200.00 का भुगतान किया गया है, जब कि श्री बीरेन्द्र सिंह के पास कम्प्यूटर का कोई डिग्री नही होने के साथ-साथ कम्प्यूटर संबंधी कोई ज्ञान भी नही है ,कोई भी कर्मचारी एक ही वक्त में दो काम कैसे कर सकता है,यह वास्तव में सरकारी खजाने की लूट का जीता-जागता उदाहरण सहित प्रमाण है।

(ख). बिल सं0-64 दिनांकः13.08.2010 (पृश्ठ-7)ः- इस बिल के द्वारा घोर वित्तीय अराजकता एवं वित्तीय कदाचार की पराकाश्ठा का प्रदर्षन करते हुये एस0एन0 कम्प्यूटर रिपेयरिंग के रूप में रू0 3000.00 प्रति की दर से कुल रू0 15000.00 एवं साफटवेयर इन्स्टालेषन के रूप में रू0 500.00 की दर से कुल रू0 2000.00 सकल योग 17000.00 का भुगतान कृश्णा इलेक्ट्रानिक्स को किया गया।

महोदय, साफटवेयर इन्स्टालेषन के रूप में कुल 4 कम्प्यूटर के लिये रू0 2000.00 का चार्ज किया गया लेकिन कम्प्यूटर रिपेयरिंग के रूप में रू015000.00 कुल 5 कम्प्यूटर के लिये चार्ज किया गया । डूडा के द्वारा दिये गये धन से बच्चों को टेªनिंग दिया जाना था, या आई0टी0आई0 के प्रधानाचार्य को इसी अवसर की प्रतीक्षा थी कि कब डूडा का पैसा आयें और कम्प्यूटरों का बनवाया जायें ,आखिरकार जब कम्प्यूटर है ही नही तो बनवाया किसे गया है, अर्थात् इस समस्त सरकारी धन से टेªनिंग दिया ही नही गया है,बल्कि खुलेआम करदाताओं के गाढ़ी मेहनत की कमाई के टैक्स के पैसांे को लूटने का शड़यंत्र किया गया है जिसके लिये तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री आर0पी0यादव एवं अन्य लिप्त कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना चाहीए।

(ग). बिल सं0-65 दिनांकः20.05.2010 (पृश्ठ-8 )ः- बिल के द्वारा 3 पीस टोनर कार्टेज रू0 5800.00 की दर से कुल रू0 17400.00 का खरीदा गया है,वास्तव में 65 बंडल फोटो स्टेट पेपर को खरीदने का कोई औचित्य एवं आधार ही नही बनता है एवं जब फोटो स्टेट मषीन ही नही है तो टोनर कार्टेज पर रू0 17400.00 को खर्च करने का कोई अर्थ ही नही बनता है। अतः वास्तविक रूप में टोनर कार्टेज को खरीदा ही नही गया है, मात्र कागजों में ही टोनर कार्टेज खरीदा गया है साथ ही टोनर कार्टेज किस कम्पनी का है, इसका भी कोई विवरण बिल में नही है अर्थात् टोनर कार्टेज पर रू0 17400.00 के भुगतान के रूप में सरकार के धन का अपव्यय किया गया है एवं गंभीर श्रेणी का वित्तीय कदाचार के साथ – साथ वित्तीय अपराध किया गया है जिसके लिये जॉच किया जाना चाहियें एवं दोशियों के विरूद्ध कर्मचारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही किया जाये।

(घ). बिल सं0-66 दिनांकः22.05.2010 (पृश्ठ-9 )ः- अत्यन्त ही हास्यास्पद तथ्य यह है कि जिला नगरीय विकास अभिकरण,बलिया के पत्र सं0-364/डूडा-बलिया/2010-11 दिनांकः 27.03.11 के द्वारा स्टेप अप योजना के अर्न्तगत् कुल 91( 51 कम्प्यूटर एवं 40 सिलाई) प्रषिक्षणार्थियों को जो सी.डी.एस. द्वारा चयनित थे,को प्रषिक्षण दिया जाना था ,लेकिन केवल 40 सिलाई के छात्राओं को ही प्रषिक्षण देने का प्रदर्षन श्रीमती अरूण कुमारी ,अनुदेषिका के द्वारा किया गया है,एवं सिलाई के प्रषिक्षण के लिये कोई भी सामग्री को खरीदा ही नही गया है, क्येाकि सिलाई से संबंधित कोई भी बिल-बाऊचर प्राप्त नही कराया गया है ,जब कि कम्प्यूटर के प्रषिक्षण के लिये सी.डी.एस. द्वारा चयनित 51 छात्रों की कोई सूची प्राप्त नही है,अर्थात् उनका कोई प्रषिक्षण ही नही कराया गया है एवं जब प्रषिक्षण कराया ही नही गया है,तो सामान को वास्तव में खरीदा ही नही गया है ,बहुत ही विचित्र एवं विस्मयकारी तथ्य यह है कि वास्तव में प्रषिक्षण दिया गया है सिलाई-कटाई के 40 छात्राओं को ,लेकिन उनका कोई भी सामान नही खरीदा गया है और 51 कम्प्यूटर के छात्रों को प्रषिक्षण दिया ही नही गया और उनका सारा सामान खरीदा गया है। ,अतः स्पश्ट होता है कि प्रधानाचार्य,श्री आर0पी0यादव के द्वारा फर्जी तरीके से श्री बीरेन्द्र सिंह कार्यदेषक अनुदेषक को प्रषिक्षक कम्प्यूटर के पद पर गलत एवं विशय ज्ञान न रखने वाले कर्मचारी से कार्य करा कर आर्थिक अपराध के साथ -साथ सरकारी धन को लुटने का सुनियोजित शड़यंत्र किया है एवं भश्ट्राचार किया गया है।

बिल सं0-66 दिनांकः22.05.2010 के संबंध में निम्न सारणी का परीक्षण किया जायें-
क्रमांक सामान का विवरण मात्रा रेट कुल धन टिप्पणी

1 हार्ड डिस्क-500 जी0बी0 2 3200.00 प्रति 6400.00 हार्ड डिस्क की मेक और कंपनी का नाम ही नही है,जब कि नियमानुसार आवष्यक है
2 माउस 2 250.00 प्रति 500.00 माउस की मेक और कंपनी का नाम ही नही है
3 कि बोर्ड 2 500.00 प्रति 1000.00 की बोर्ड की मेक और कंपनी का नाम ही नही है
4 माउस पैड 10 25.00 प्रति 250.00 मेक और कंपनी का नाम ही नही है
5 डि0बी0डी0 राइटर 2 2100.00 प्रति 4200.00 डि0बी0डी0 राइटर की मेक और कंपनी का नाम ही नही है
6 सी0डी0 50 20.00 प्रति 1000.00 सी0डी0 की मेक और कंपनी का नाम ही नही है

महोदय, यह सामान्य सी बात है कि बिना कम्प्यूटर मानीटर एवं सी0पी0यू0 के, हार्ड डिस्क, माउस, कि बोर्ड, माउस पैड, डि0बी0डी0 राइटर,एवं सी0डी0 को खरीदने का कोई अर्थ नही है लेकिन इन सारे सामानों को खरीदा गया है,जबकि सी0पी0यू0, मानीटर जैस आवष्यक उपकरण है ही नही,
महोदय,यह सारा का सारा प्रषिक्षण कार्य वास्तविकता की धरातल पर नही बल्कि कागजों में ही किया गया है।

(ड़). बिल सं0-67 दिनांकः22.05.2010 एवं बिल सं0-68 दिनांकः23.05.2010 (पृश्ठ सं0-10 एवं 11 )ः-
इन बिल संख्याओं के द्वारा रू0 750.00 की दर से कुल 25 पेन ड्राइव का कुल भुगतान रू0 18750.00 एवं पुनः रू0 750.00 की दर से कुल 25 पेन ड्राइव का कुल भुगतान रू0 18750.00 अर्थात् कुल 50 पेन ड्राइव को रू0 37500.00 में खरीदा गया जिसमें कंपनी का नाम भी नही लिखा है। वास्तव में इतनी बड़ी मात्रा में पेन ड्राइव को खरीदने का कोई अर्थ नही है और न ही कोई मतलब निकलता है, संवाददाता के द्वारा पूछ ताछ करने पर उस वक्त के भंडारी का कार्य कर रहे श्री एम0डी0 सिंह के द्वारा बताया गया कि यह पेन ड्राइव केवल कागज में ही खरीदा गया है।

(च). बिल सं0-71 दिनांकः22.05.2010 (पृश्ठ सं0-13 )ः- अत्यन्त ही हास्यास्पद तथ्य यह है कि जिला नगरीय विकास अभिकरण,बलिया के पत्र सं0-364 / डूडा -बलिया/2010-11 दिनांकः 27.03.11 के द्वारा स्टेप अप योजना के अर्न्तगत् कुल 51 कम्प्यूटर प्रषिक्षणार्थियों को जो सी.डी.एस. द्वारा चयनित थे,को प्रषिक्षण दिया जाना था,लेकिन प्रषिक्षण का कार्य न देकर नियम विरूद्ध एवं वित्तीय अराजकता का भयंकर प्रदर्षन करते हुये 65 बंडल रू0 225.00 की दर से फोटोस्टेट पेपर को खरीदने में कुल रू0 14625.00 का सरकारी धन का भुगतान किया गया, जब कि इतनी बड़ी मात्रा में फोटोस्टेट पेपर को खरीदने का कोई आधार नही है,अर्थात् यह पूरा प्रषिक्षण ही फर्जी है,जो सिर्फ कागजों में कराया गया है।
उपरोक्त क्रमांक-4 के पैरा-क,ख,ग,घ,ड़,च से यह ज्ञात होता है कि डूडा से प्राप्त धन से छात्रों को कम्पूटर का प्रषिक्षण नही दिया गया ,बल्कि उन्हें फोटो स्टेट करने और पेन ड्राइव लगाने-निकालने का प्रषिक्षण दिया गया।
इसी संबंध में सूचना का अधिकार के द्वारा डूडा कार्यालय,बलिया ने अवगत कराया है कि आई0टी0आई0 बलिया के द्वारा वर्श 2010 के बाद से ही डूडा के द्वारा कोई प्रषिक्षण कराया ही नही गया है।
अब यह तो बहुत अजीबोगरीब वाकया प्रतीत होता है जिसमें एक तरफ तो एक विभाग के द्वारा प्राप्त धन से प्रषिक्षण कराना दिखाया जाता है,जबकि दूसरी ओर प्रषिक्षण के लिये धन देने वाले विभाग के द्वारा कहा जाता है कि मेरे द्वारा कोई धन ही नही दिया गया है।
इस गोरखधन्धे एवं काले कारनामें का जीता-जागता सबूत यह है कि इसी डूडा घोटाले के बारे में एक अन्य सूचना का अधिकार संबंधी पत्र के द्वारा राजकीय आई0टी0आई0 बलिया के कार्यालय पत्र सं0- बी0टी0आई0/ज0सू0अ0अ2005/हरेन्द्र गोड़/2016/367 दिनांकः11.06.2015 (पृश्ठ-14) प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर के स्थान पर श्री वीरेन्द्र सिंह यादव कार्यदेषक के हस्ताक्षर से यह सूचना क्रम सं0-2 के लिये दी जाती है कि ’’इम्ब्राइडरी की अनुदेषिका एवं कोपा के लिये बाहरी अनुदेषक प्रषिक्षण के लिये नियुक्त किया गया था’’ (पृश्ठ-15) जबकि (पृश्ठ-6) क्रमांक 1 एवं 2 पर श्री बीरेन्द्र सिंह कार्यदेषक अनुदेषक को प्रषिक्षण प्रभारी के रूप में रू0 36400.00 एवं प्रषिक्षक कम्प्यूटर के रूप में 40800.00 का कुल रू0 77200.00 का भुगतान स्वयं प्राप्त किया गया है, अर्थात् यह स्पश्ट है कि श्री वीरेन्द्र सिंह यादव के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुये गलत सूचना दिया गया है एवं रू0 40800/- के सरकारी धन का गबन स्वयं किये है साथ ही क्रम-3 के द्वारा यह भी सूचना दिये है कि’’ प्रयोगात्मक कार्य में कोई भी जॉब नही बनाया गया है’’ ।
यहॉ यह भी कहना है कि संस्थान की अनुदेषिका श्रीमती अरूणा कुमारी (पृश्ठ-16) के द्वारा लिखित में यह बताया गया है कि ’’डूडा योजना में प्रषिक्षण कार्य मेरे द्वारा कराया गया है ’’(क्रमांकः2) साथ ही उन्हें अब तक मानदेय का पैसा भी प्राप्त नही कराकर धन का गबन कर लिया गया है,अर्थात् श्री बीरेन्द्र सिंह कार्यदेषक अनुदेषक के द्वारा यहॉ भी तथ्य को छिपाया गया है।
उपरोक्त समस्त तथ्यों की जॉच किसी विष्वसनीय जॉच एजेन्सी से कराया जाना चाहिए जिससे कि जनता के सामने सत्य आ सकें।
5. संस्थान के कर्मचारियों के द्वारा स्वयं चोरी करा कर एफ0आइ0आर0 कराया जानाः- भ्रश्ट्राचार के नये-नये कीर्तिमान् स्थापित करने में राजकीय आई0टी0आई0 बलिया के कर्मचारियों ने तो सबको पीछे छोड़ दिया है। संवाददाता के द्वारा गहराई में जाकर खोज बीन करने पर ज्ञात हुआ कि संस्थान के कुछ अनुदेषकों के द्वारा स्वयं अपने ही व्यवसाय में चोरी कराकर उसकी एफ0आई0आर0 सं0-79/011 दिनांकः03.04.11 धारा-380 आई0पी0सी0 (पृश्ठ-17) करा दी और स्वयं की चोरी के माल को जय प्रकाष वर्मा उर्फ गोरे कबाड़ी वाला ,बहादूरपुर बलिया के पास पुजिस की मौजूदगी में बरामद करा दिया और पुलिस विभाग के द्वारा भी माल को अदालत में जमा नही करके इन्ही कर्मचारियों को वापस कर दिया और एक बार पुनः श्री बीरेन्द्र सिंह यादव कार्यदेषक के द्वारा वोरी गये सामानों को प्राप्त कर लिया गया जिससे उनकी भूमिका पुनः संदिग्ध हो जाती है।
आखिर क्यों सारे मामले घूम-फिर कर श्री बीरेन्द्र सिंह यादव कार्यदेषक के पास ही चले जाते
है। कुछ न कुछ दाल में काला जरूर है।
6. गलत अनुदेषक को चार्ज दिलाकर गलत कार्य करवानाः- संवाददाता के द्वारा गहराई में जाकर खोज बीन करने पर यह भी ज्ञात हुआ कि संस्थान के पूर्व प्रधानाचार्य श्री अरविन्द कुमार के द्वारा फर्जी बिलींग एवं कागज पर ही सामानों को खरीद कर खपाने के लिये पत्र सं0- भण्डार/अतिथिवक्ता / 2013-14/194 दिनांकः22.03.2014 (पृश्ठ-18) के द्वारा संस्थान में नियमित व्यवसाय अनुदेषकांे के रहते ही एक ऐसे अनुदेषक को चार्ज दे दिया गया जो कि उस व्यवसाय का नही होने के साथ-साथ कोई विशय ज्ञान भी नही रखता है।
क्रमांक अनुदेषक का नाम/
व्यवसाय का नाम व्यवसाय की अवधि जिस अनुदेषक को चार्ज दिया गया उसका नाम एवं व्यवसाय का नाम तथा व्यवसाय की अवधि अन्य विवरण
1 श्री लल्लन सिंह/फीटर 2 वर्श श्री एम0डी0सिंह/वेल्डर/एक वर्श
2 श्री नन्दलाल राम/फीटर 2 वर्श श्री एम0डी0सिंह/वेल्डर/एक वर्श
3 श्री अमरनाथ षर्मा/फीटर 2 वर्श श्री एम0डी0सिंह/वेल्डर/एक वर्श
4 श्री धनंजय सिंह/विद्युत 2 वर्श श्री एम0डी0सिंह/वेल्डर/एक वर्श

संवाददाता के द्वारा खोज बीन करने पर ज्ञात हुआ कि उपरोक्त सारणी के क्रमंाक 1,2,3 एवं 4 पर अंकित अनुदेषक सी0टी0आई0 परीक्षा पास है जब कि एक वर्शीय व्यवसाय-वेल्डर के अनुदेषक श्री एम0 डी0 सिंह न तो सी0टी0आई0 परीक्षा पास है और न ही इन्हें व्यवसाय-फीटर एवं विद्युत व्यवसाय के उपकरणों एवं अन्य पाठ्यक्रम की कोई जानकारी ही है,लेकिन बावजूद इसके आनन-फानन में वित्तीय वर्श 2013-14 के आखिरी माह में 22.03.2014 को अचानक ही किस मजबूरी के कारण विशय के अनुदेषकों के रहते हुये
विशय ज्ञान न रखने वाले नान सी0टी0आई0 अनुदेषक को कुल दो विशयों के तीन-तीन अनुदेषकों से चार्ज लेकर दिया गया ।
संवाददाता के द्वारा खोज बीन करने पर ज्ञात हुआ कि उस वक्त 40 लाख के लगभग का सामान छात्रों के प्रषिक्षण के लिये खरीदा जाना था लेकिन क्रमांकः 1,2,3 एवं 4 पर अंकित अनुदेषकों के द्वारा बिना सामान आये सामान को इन्डेन्ट करने से इन्कार करने पर विशय ज्ञान न रखने वाले नान सी0टी0आई0 अनुदेषक श्री एम0डी0 सिंह को चार्ज दिया गया और इस पूरे गोरखधन्धे में करीब-करीब 30 लाख रूपये की हेराफेरी की गई।

7. परीक्षा संबंधी महाघोटाला एवं महाभ्रश्ट्राचारः- यदि सही मायनों में मात्र इस घोटाले की विषेशज्ञों के द्वारा जॉच कराई जाये तो यह मात्र बलिया का ही नही सम्पूर्ण उत्तर प्रदेष के एन0आर0 एच0 एम0 घाटाले से भी कही अधिक का घोटाला एवं महा भ्रश्ट्राचार साबित हो सकता है।
इस संबंध में संवाददाता के द्वारा अत्यन्त ही गहराई में जाकर खोज बीन करने पर ज्ञात हुआ कि दिनांकः12.09.2016 को सतीष चन्द्र महाविद्यालय,बलिया के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष एवं उभरते हुये नेता श्री रोहित कुमार चौबे के द्वारा एक स्टिंग आपरेषन किया गया जिसमें कुल 15 प्राइवेट संस्थानों प्रधानाचार्यों के द्वारा स्वीकार किया गया कि उनके द्वारा प्रति छात्र रू0 800/- की दर से प्रधानाचार्य,राजकीय आई0टी0आई0 बलिया केा सर्व श्री बीरेन्द्र सिंह कार्यदेषक,प्रषिक्षण लिपिक श्री अरूण कुमार मिश्रा, के माध्यम से दिया जाता है, एवं जिलाधिकारी महोदय,बलिया को सम्बोधित पत्र देकर बताया गया कि बलिया जनपद में आई0टी0आई0 की परीक्षाओं में प्रति वर्श कुल लगभग तीन करोड़ रूपयों का काला कारोबार होता है जिसका कुछ हिस्सा ’’ऊपर तक’’ भी पहुॅचाया जाता है और जॉच कराने की मॉग की गई जिसे अब तक दबा कर रखा गया है। (पृश्ठ-19) संलग्न सूची के क्रमांक-1,2,3 के विभाग के कर्मचारियों के द्वारा इस धन वसूली की स्वीकारनामा सी0डी कैसेट के रूप में संवाददाता के पास मौजूद है।
इस मामले की जॉच के संबंध में डी0एम0 बलिया के द्वारा एक जॉच समिति का गठन किया गया जिसमें कि श्री राम गोपाल सिंह नगर मजिस्ट्रेट,बलिया एवं श्री रमेष सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया को जॉच अधिकारी नियुक्त किया गया एवं अधिकारी द्वय के द्वारा अपने संयुक्त जॉच संबंधी पत्र सं0-980/2016-17 दिनांकः14.10.16 के द्वारा षिकायतकर्त्ता श्री रोहित कुमार चौबे छात्र संघ अध्यक्ष सतीष चन्द्र कालेज बलिया के द्वारा प्राप्त कराये गये सी0डी0 के आधार पर लगाये गये आरोपों को प्रमाणित करते हुये यह स्पश्ट किया कि एक लम्बी धनराषि की हेरा-फेरी का शडयंत्र परीलक्षित माना जिसमें कि सर्व श्री वीरेन्द्र सिंह,तत्कालीन प्रभारी प्रधानाचार्य, श्री अरूण कुमार मिश्रा चयन प्रषिक्षु,श्री अजय कुमार यादव सीयर अपर डिवीजनल क्लर्क, श्री राजेष सिंह वर्कषाप एटेडेन्ट, एवं श्री रमेष कुमार यदुवंषी सहायक लेखाकार के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही प्रथम सूचना रिपोर्ट/निलम्बन करते हुये इस समस्त प्रकरण का सी0बी0सी0आई0डी0 या विजिलेन्स जॉच कराने की संस्तुति की है,(पृश्ठ-21)जिसे जिलाधिकारी बलिया के द्वारा आरोपों की सत्यता प्रमाणित करते हुये आवष्यक कार्यवाही के लिये निदेषक,प्रषिक्षण एवं सेवायोजन निदेषालय ,लखनऊ केा प्रेशित कर दिया । विभाग के उच्च अधिकारियों ने जब अपने कर्मचारियों को फॅसते देखा तो पुनः एक जॉच समिति का गठन संयुक्त निदेषक,गोरखपुर मंडल के नेतृत्व में कर दिया एवं दोशी कर्मचारियों को बचाने के लिये लीपा-पोती के प्रयास करते हुये अब तक कोई जॉच षुरू न करके ’’सेटलमेन्ट’’ कर लिया गया है।

 

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