सुप्रीम कोर्ट में हुई बहस, भगवान विष्णु को जगाएं या नहीं

vishnuतहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत में शुक्रवार को पूरे एक घंटे तक यह बहस और चर्चा होती रही कि मंत्रों के उच्चारण से सोते हुए भगवान विष्णु को जगाना चाहिए या नहीं। अदालत में दोनों पक्षों के वकीलों ने यह बहस की कि संस्कृत श्लोकों की एक प्रभातकालीन प्रार्थना ‘वेंकटेश सुप्रभातम’ को तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभस्वामी मंदिर में भगवान विष्णु को जगाने के लिए इस्तेमाल किया जाए या फिर नहीं।

मालूम हो कि इस मंदिर में विष्णु के निद्रा रूप की प्राण प्रतिष्ठा है, जबकि परंपरा के अनुसार वेंकटेश सुप्रभातम को गाने से विष्णु जग जाते हैं।

एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक, केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर की देख-रेख को लेकर चल रहे मामले में त्रावणकोर के राजपरिवार के वकील के.के.वेणुगोपाल और अदालत की ओर से न्यायमित्र नियुक्त किए गए वकील गोपाल सुब्रमण्यम के बीच आज सुप्रीम कोर्ट में यह बहस हुई।

इस मंदिर का प्रशासन फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है। इससे पहले कोर्ट ने मंदिर के तहखाने में रखे गुप्त खजाने को खोलने और उसकी गिनती व हिसाब-किताब रखने का फैसला सुनाया था।

कोर्ट की ओर से इस मामले में नियुक्त किए गए न्यायमित्र सुब्रमण्यम ने दलील दी कि पद्मनाभस्वामी मंदिर में सुबह के समय संस्कृत की जो प्रार्थना होती है उसके कुछ श्लोकों में भगवान विष्णु का जिक्र है। इसलिए यह प्रार्थना जारी रहनी चाहिए।

उधर, राजपरिवार के वकील वेणुगोपाल ने दलील दी कि भगवान चिर निद्रा ‘योग निद्रा’ में लीन हैं। इसलिए उन्हें प्रार्थना गाकर जगाना सही नहीं है। उन्होंने अदालत में कहा कि यह मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा है। उन्होंने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये परंपराएं मंदिर की अपनी प्राचीन परंपराओं का हिस्सा नहीं हैं और अगर मंदिर की प्रशासनिक समिति द्वारा प्रार्थना गाने के फैसले को निभाया जाता है तो इससे ‘मंदिर पर असर पड़ेगा।’

एनडीटीवी की खबर के अनुसार, सुब्रमण्यम ने वेणुगोपाल की इस दलील का विरोध किया। इसके बाद उन्होंने वेंकटेश सुप्रभातम के कुछ श्लोक अदालत में गाकर सुनाए। इन श्लोकों में भगवान पद्मनाभस्वामी का जिक्र है।

वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि वेंकटेश सुप्रभातम को भगवान वेंकटचलापथी के लिए गाया जाता है जो कि विष्णु के अनेक अवतारों में से एक माने जाते हैं। तिरुमला मंदिर में भगवान वेंकटचलापथी की जागृत मुद्रा में प्राण प्रतिष्ठा है और यह प्रार्थना वहीं गाई जाती है। जबकि, पद्मनाभस्वामी मंदिर में भगवान विष्णु की ‘योग निद्रा’ रूप में प्राण प्रतिष्ठा है और इसलिए इस मंदिर में जगाने वाली वेंकटेश सुप्रभातम प्रार्थना को नहीं गाया जा सकता है।

परंपरा और कानून के बीच की इस बहस के ऊपर बोलते हुए 2 जजों की बेंच के जस्टिस टी.एस.ठाकुर ने टिप्पणी की, ‘भगवान को कैसे जगाया जाता है और उन्हें जगाने के लिए कौन सा गीत-प्रार्थना गाई जाती है यह सब आस्था का मुद्दा है। हम इस ब्योरे में नहीं जाना चाहते हैं। क्या करना चाहिए इसका फैसला मंदिर के मुख्य पुजारी को करने दीजिए।’

एनडीटीवी के मुताबिक, कोर्ट ने मंदिर के पुजारी परमेश्वरन नंबूदिरी को निर्देश दिया कि वह प्रार्थना को लेकर चल रहे इस विवाद और असमंजस में क्या करना चाहिए इसका फैसला करे। पद्मनाभस्वामी में पूजा के किन नियमों व परंपराओं का पालन किया जाएगा इसका फैसला मुख्य पुजारी के तौर पर नंबूदिरी ही करते हैं।

 

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