सोनभद्र के इस अधूरे बने इंजीनियरिंग कॉलेज का असुरक्षित माहौल डरा रहा छात्राओं को

लखनऊ।  सोनभद्र का नाम सुनते ही अजीब सी तस्वीर जेहन में कौंध उठती है। जंगली और पहाड़ी इलाका। आवागमन सहित हर उस साधन के अभाव की तस्वीर बरबस ही जेहन में खिंच उठती है। इसी सोनभद्र के चुर्क इलाके में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण अभी आधा-अधूरा है। न हास्टल ठीक से बना है, न ही  चारदीवारी। बावजूद इसके सौ छात्राओं को इन आधी-अधूरी तैयारियों वाले असुरक्षित हॉस्टल में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि एडमीशन के वक्त अभिभावकों से कहा गया था कि जब तक कॉलेज का निर्माण पूरा नहीं हो जाता, जब तक छात्राओं की सुरक्षा के सारे इंतजाम पूरे नहीं हो जाते, तब तक सभी की पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था सुल्तानपुर के केऩआइटी में होगी।

मगर इस वादे के विपरीत कॉलेज प्रबंधन ने समय से पहले ही छात्र-छात्राओं को कैंपस मे बुला लिया। जिससे अभिभावक परेशान हैं। ऐसे ही एक छात्रा के अभिभावक ने इंडिया संवाद से अपनी परेशानी जाहिर की। उन्होंने इंडिया संवाद को मेल से कुछ यूं जानकारी भेजी है। इस वक्त कॉलेज  हॉस्टल में 31 लड़कियां और लगभग 200 छात्र है वहीं 28 जुलाई तक सत्र 2017 -18 के विद्यार्थी आ जाएंगे तब हास्टल में लगभग 75 लड़कियां और लड़कों की संख्या लगभग 350 होगी।

अभिभावक का मेल पढ़िए। 

राजकीय इंजीनियरिंग कालेज सोनभद्र के चुर्क स्थित नए  कैम्पस में आधी अधूरी तैयारी के बीच बच्चों को बुला लिया गया है।  केएनआईटी सुल्तानपुर से बसों से लाये गए संस्था के बीटेक के विद्यार्थी मूलभूत सुविधाओं को लेकर बहुत परेशान और असुरक्षा के बीच जी रहे हैं। विदित हो कि समाजवादी पार्टी की सरकार में वर्ष 2014 में राजकीय इंजीनियरिंग कालेज सोनभद्र की घोषणा हुई थी और कैम्पस केएनआईटी सुल्तानपुर में पठन पाठन की व्यवस्था की गई थी।

बीटेक के विद्यार्थियों का प्रवेश सत्र 2015-16 से यूपीटीयू की प्रवेश परीक्षाद्वारा किया गया और विद्यार्थियों को केएनआईटी सुल्तानपुर में ही दो सालों से रखा जा रहा था।  2015 के बाद 2016 और 2017 के विद्यार्थी जो देश और प्रदेश के दूर दराज़ इलाकों से हैं उन्होंने प्रतिष्ठित केएनआईटी सुल्तानपुर कैम्पस को देख कर बीटेक में एडमिशन ले लिया ।पिछले तीन सालों में विद्यार्थी पूरी संख्या में कैम्पस में हैं।अचानक दो साल बाद सुलतान पुर के  केएनआईटी परिसर में सुरक्षित पढ़ रहे विद्यार्थियों को बिना किसी तैयारी और जबाबदेही के   राजकीय इंजीनियरिंग कालेज सोनभद्र चुर्क में 16 जुलाई 17 से बुला लिया गया है।

वहां पहुचे विद्यार्थी गम्भीर असुरक्षा, सुरक्षा व्यवस्था की शून्यता,मूलभूत सुविधाओं की कमी और पेयजल की समस्या के चलते बहुत दुःखी और परेशान  हैं। राजकीय इंजीनियरिंग कालेज सोनभद्र चुर्क के नवनिर्मित भवन और हॉस्टल अभी तक पूरी तरह से असुरक्षित है।वहां न तो सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गई है और न ही अभी बाउंड्री वाल बनी है।ऐसे में छात्राओं के अभिभावक उनकी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित है।

सोनभद्र जनपद का भूमिगत जल बग़ैर शुद्ध किये पीने योग्य नही है,उसमे आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से बहुत ज्यादा है । परिसर भवन,छात्रावास कही भी आरओ के पानी की व्यवस्था  नही की गई है।दूषित पेयजल के चलते बच्चे गम्भीर रोगों से ग्रस्त हो सकते है। हॉस्टल में पर्याप्त संख्या में फर्नीचर नही है।एक एक कमरे में 3 विद्यार्थियों को रखा गया है और फर्नीचर मात्र दो लोंगों के लिए ही उपलब्ध है। परिसर के अंदर अभी आंतरिक सड़कें भी नही है।बच्चे कीचड़ युक्त रास्तों से आने जाने को विवश है। अभी परिसर में विद्यार्थियों को वाईफाई की सुविधा नही है जिससे ये बच्चे ऑनलाइन स्टडी मैटेरियल नही ले पा रहे है।

निर्जन स्थान पर बना है कॉलेज

राबर्ट्सगंज जिला मुख्यालय से इंजीनियरिंग परिसर की दूरी 10 किलोमीटर पर चुर्क में एक निर्जन स्थान पर है।वहां से कस्बे,बाजार और मुख्यालय को आने जाने का कोई परिवहन अभी उपलब्ध नही है।सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत खतरनाक है। आधी अधूरी तैयारी के बीच विद्यार्थियों को उनके पुराने आवंटित कालेज केएन आई टी सुल्तानपुर से नही बुलाना चाहिए था।पूरी तैयारी हो जाने के बाद विद्यार्थियों को राजकीय इंजीनियरिंग कालेज सोनभद्र चुर्क परिसर में बुलाया जाना चाहिए था। सुरक्षा में मामले में कालेज के निदेशक ने गम्भीर चूक की है और शासन की मंशा के विपरीत तथ्यों को छुपाते हुए आनन फानन में निर्णय लिया है। शासन को इन बिंदुओं से जरूर अवगत कराते हुए तब निर्णय लेना चाहिए था।यहां के विद्यार्थी अगले सेमस्टर से जनवरी2018 तक आते तो सम्भवतः सोनभद्र चुर्क परिसर की सारी व्यवस्था हो चुकी रहती।

अभिभावकों ने की कॉलेज प्रशासन से मांग

कोई अनहोनी न हो इस हेतु अब राजकीय इंजीनियरिंग कालेज सोनभद्र चुर्क में त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित करें 1 तत्काल सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था। 2 शुद्ध पेय जल आरओ की व्यवस्था 3 कैम्पस में स्टेशनरी सहित रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था  4 विद्यार्थियों के राबर्ट्सगंज तक आने जाने के लिए कालेज से परिवहन की व्यवस्था।  5 छात्रावासों  में बच्चों को पर्याप्त फर्नीचर की व्यवस्था। 6 आंतरिक आवागमन के लिए सड़क पर से पत्थरों को हटाना और सुगमता के लिए सम्पर्क मार्ग पर ईंट का खड़ंजा या सीमेंटेड खड़ंजा की व्यवस्था करना

 

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