हाईकोर्ट का राज्य सरकार को आदेश, CBI से कराए यादव सिंह मामले की जांच

yadav-singh22तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, लखनऊ। नोएडा अथॉरिटी के अरबपति चीफ इंजीनियर यादव सिंह मामले की अब सीबीआई जांच होगी। गुरुवार को हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसएन शुक्ला ने ये आदेश दिए हैं। बुधवार को कोर्ट में इसकी बहस पूरी हो गई थी, इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें, यादव सिंह के मामले में सीबीआई जांच को लेकर आईजी अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने पीआईएल दायर की थी।
नूतन ठाकुर ने बताया कि यादव सिंह मामले की जांच एसआईटी, ईडी और इनकम टैक्स कर रही थी, जो अपने अपने क्षेत्र की स्पेशलिस्ट है और ऐसे में यादव सिंह पर सिर्फ जुर्माना लगा कर छोड़ दिया जाता। यादव सिंह के साम्राज्य का पता सिर्फ सीबीआई ही लगा सकती है। यही वजह रही कि मैंने सीबीआई जांच की मांग की, जिसे हाईकोर्ट ने मान लिया। यादव सिंह मामले में याची नूतन ठाकुर के वकील अशोक पांडेय ने बताया कि हाईकोर्ट ने यादव सिंह, उनके परिवार और उनके सहयोगियों की भी सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि 2002 से 2014 बीच यादव सिंह ने लगभग 4 हजार 200 करोड़ का काम कराया है, जिसमें भ्रष्टाचार हुआ है। वकील अशोक पांडेय ने बताया कि जिरह के दौरान राज्य सरकार ने यादव सिंह की सीबीआई जांच का विरोध किया। सरकार कह रही थी कि इस मामले में ज्युडिशियल कमिटी जांच कर रही है, उसकी रिपोर्ट आने तक इंतजार कर लिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा ज्युडिशियल कमिटी की अपनी सीमाए हैं। यही वजह है कि कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया गौरतलब है कि आयकर विभाग ने यादव सिंह और उनकी पत्नी के परिसरों पर छापे मारे थे। छापे में उनकी गाड़ी से 10 करोड़ कैश मिला था। इसके अलावा 100 करोड़ रुपए कीमत की डायमंड ज्वेलरी जब्त किए गए थे। इनका वजन करीब दो किलो है। प्रदेश के कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में यादव सिंह की हिस्सेदारी बताई जाती है। उनके कई मॉल भी निर्माणाधीन हैं। बताया जा रहा है कि चीफ इंजीनियर और उनके परिवार के सदस्यों के पास कुल करीब एक हजार करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति हो सकती है। इनकम टैक्स विभाग के वरिष्ठ अफसर कृष्णा सैनी के मुताबिक, ‘पूरा मामला यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता और उनके पार्टनरों-राजेंद्र मनोचा, नम्रता मनोचा और अनिल पेशावरी द्वारा 40 कंपनियां बनाकर हेराफेरी करने का है। बोगस शेयर होल्डिंग के बूते सिर्फ नाम के लिए करीब 40 कंपनियां बनाकर नोएडा विकास प्राधिकरण से प्लॉट आवंटित करवाए गए। इसके बाद प्लॉट कंपनी समेत बेच दिए। इससे हुई आय को दस्तावेजों में न दिखा कर बड़े पैमाने पर आयकर चोरी की गई।’ यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी में तैनाती का फायदा उठाते हुए अपनी पत्नी के नाम रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट अलॉट करा देते थे। इसके बाद इन्हीं प्लॉट को वह बिल्डरों को काफी ऊंचे दामों में बेच देते थे। अधिकारियों ने यादव सिंह की पत्नी के नाम से चल रही मैकॉन इंफ्राटेक और मीनू क्रिएशंस नाम की फर्मों में छापेमारी की। इस दौरान जमीनों की खरीद-फरोख्त से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए।

100 मीटर ग्रीन बेल्ट पर कब्जा
यादव सिंह के नोएडा स्थित सेक्टर 51 की कोठी पर तकरीबन सौ मीटर के हिस्से में बनी ग्रीन बेल्ट में ईको फ्रेंडली शौचालय, फुट लाइट, चार्जिंग प्वॉइंट, कबूतरों का पिंजड़ा और रंग-बिरंगे झूले और बेंच थे। ग्रीन बेल्ट में ही यादव सिंह के घर के लिए जनरेटर और एक ट्रांसफामर रखा हुआ था। अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर होने के नाते यादव सिंह की एक जिम्मेदारी ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे को हटाना भी था, लेकिन वे खुद ऐसी पट्टी पर कब्जा किए हुए थे।
कोलकाता से शुरू किया था खेल
अधिकारियों के अनुसार, यादव सिंह ने नोएडा अथॉरिटी के प्लॉट का पूरा खेल कोलकाता में 40 फर्जी कंपनियां बनाकर शुरू की। दस्तावेजों के अनुसार, इन कपंनियों को नोएडा अथॉरिटी के प्लॉट आवंटित किए गए थे। इन सभी के शेयर बाद में दूसरी कंपनियों को बेच दिए गए। इससे करोड़ों के प्लॉट भी दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर हो गए। इनकी खरीद-फरोख्त से हुई इनकम पर कोई टैक्स नहीं जमा किया गया।

‘शेल’ कंपनियों का खेल
इनकम टैक्स डायरेक्टर जनरल (जांच) कृष्ण सैनी ने बताया कि ये सारा खेल ‘शेल’ कंपनियों के जरिए होता था। शेल कंपनियां, बस नाम की कंपनियां होती हैं। व्यावहारिक रूप में इनका कोई वजूद नहीं होता। जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि रजिस्टर्ड कंपनियां बनाकर नोएडा से प्लॉट आवंटित किए जाते थे। बाद में इनके शेयर शेल कंपनियों को बेचे जाते थे। इससे यह नहीं पता चल पाता था कि इनपर कैपिटल गेन कितना बना। इस तरह टैक्स की चोरी की जाती थी।

राजनीतिक कनेक्शनों के चलते चर्चा में रहे यादव
यादव सिंह नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी भले ही चीफ इंजीनियर हो, लेकिन अपने राजनीतिक कनेक्शनों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे। मायावती सरकार के दौरान भी यादव पर नोएडा में कई परियोजनाओं में धांधली के आरोप लगे थे। यादव की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने नियमों को ताक पर रखकर 954 करोड़ रुपये के ठेके अपने करीबियों को बांट दिए थे। इसके बाद अखिलेश सरकार ने यादव सिंह के खिलाफ विभागीय जांच बिठाकर उन्हें निलंबित कर दिया था। बाद में उनका निलंबन वापस ले लिया गया।

लगाई थी नोट गिनने की मशीन
मायावती शासनकाल में जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात हुए यादव सिंह को मायावती सरकार में ही चीफ प्रॉजेक्ट इंजीनियर (जल) बनाया गया। यह पोस्ट सबसे ज्यादा कमाई वाली मानी जाती है। एक बार तो यादव सिंह पर अपने दफ्तर में ही नोट गिनने की मशीन लगवा ली थी। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था।

 

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