हाईकोर्ट ने यूपीपीएससी के अध्यक्ष अनिल यादव के आपराधिक मामलों का ब्योरा मांगा

highतहलका एक्सप्रेस, लखनऊ। यूपीपीएससी के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव की नियुक्ति के तौर-तरीकों को लेकर दाखिल हुई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गुरुवार को उनके खिलाफ अब तक दर्ज हुए तमाम आपराधिक मामलों का ब्योरा मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई एक सितम्बर को होनी है। बीते दिनों हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यूपी सरकार और यूपीपीएससी से जवाब तालाब किया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर इस मामले से सम्बंधित जनहित याचिका में दावा किया गया है कि पिछली तीन बार से एसडीएम की कुल 86 नियुक्तियों में से 56 एक खास जाति से हुई हैं। याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि इस दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की गयी अन्य नियुक्तियों में सफल रहे अभ्यार्थियों में भी इस जाति विशेष के अभ्यर्थियों की संख्या आधी है। इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि अनिल यादव आयोग का इस्तेमाल अपनी जाति के उम्मीदवारों की मदद करने के लिए कर रहे हैं।

पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने अनिल यादव की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि आखिरकार अनिल यादव में ऐसी क्या विशेषता थी कि, इस पद के 82 उम्मीदवारों की क़ाबलियत को दरकिनार कर उनका ही चुनाव किया गया। जबकि उपलब्ध कराए गए रिकार्ड्स से यह स्पष्ट हो रहा है कि दूसरे अभ्यर्थी अनिल यादव से अधिक अनुभवी और काबिल थे। जिन 82 बायोडाटा को रिजेक्ट किया गया, इनमें बहुत से प्रफेसर, रीडर और आईएएस अधिकारी थे। पारम्परिक तौर पर पूर्व में भी ऐसे ही लोग इस पद पर नियुक्त होते आये हैं। वहीं अनिल यादव पर दर्ज क्रिमिनल केस को दरकिनार कर उन्हें यूपीपीएससी का अध्यक्ष चुना गया। जिससे यूपीपीएससी की छवि को क्षति पहुंची है।

 

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