‘हिंदू आतंकवाद’ पर सुशील कुमार शिंदे की सफाई, कहा- संसद में नहीं बोला था

तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, पुणे। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द पर सफाई दी है। शिंदे ने शनिवार को कहा कि उन्होंने यूपीए के शासनकाल में संसद में कभी ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।
शिंदे ने एक कार्यक्रम में पत्रकारों से कहा, ‘मैंने कभी संसद में हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। मैंने इसका जयपुर के कांग्रेस सम्मेलन में इस्तेमाल किया था, लेकिन तुरंत इसे वापस ले लिया था।’हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि यूपीए सरकार की ओर से इस शब्द के इस्तेमाल के बाद सरकार की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ गई थी। इसपर शिंदे का कहना था कि एनडीए सरकार गुरदासपुर हमले में अपनी ‘निष्क्रियता’ को छिपाने के लिए लोगों का ध्यान बंटाना चाहती है। शुक्रवार को राजनाथ सिंह ने लोकसभा में 27 जुलाई में पंजाब में हुए हमले के बारे में कहा था कि यूपीए की पिछली सरकार ने आतंकी घटनाओं की जांच को प्रभावित करने के लिए ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल कर जांच भटकाने का काम किया था। इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई प्रभावित हुई थी। शिंदे ने आरोप लगाया कि एनडीए के शासनकाल में हुए कंधार विमान अपहरण (इसके बाद कुछ आतंकियों को रिहा किया गया था ) के बाद देश में आतंकी घटनाओं में इजाफा हुआ। उन्होंने कहा कि इसके बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा और संसद पर हमला हुआ। शिंदे ने आरोप लगाया कि एनडीए के शासनकाल में आतंकियों का हौसला बढ़ा न कि यूपीए के शासनकाल में। पूर्व गृह मंत्री ने यह भी कहा कि 1993 मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेमन की फांसी के फैसले को सार्वजनित नहीं करना चाहिए था। उन्होंने पूछा, ‘जब आतंकी लोगों की हत्या करते हैं, क्या वे इसकी घोषणा करते हैं?’ शिंदे के कार्यकाल में 26/11 हमल के दोषी कसाब को पुणे की जेल में फांसी दी गई थी। सरकार ने इसकी घोषणा बाद में की थी।
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