हिमाचल प्रदेश में लैंडस्लाइड: गुरुद्वारे पर गिरे बोल्डर, 10 मरे, कई फंसे


एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि अब तक सात लाशें बाहर निकाली जा चुकी हैं। बचाव और राहत कार्य जारी है। राहत कार्यों में गुरुद्वारे के लोग, सरकारी कर्मचारियों के अलावा स्थानीय भी लगे हुए हैं।
मणिकर्ण कुल्लू जिले में है। यह कुल्लू से 45 और मनाली से 85 किलोमीटर दूर है। यहां शिव और रामचंद्र मंदिर होने की वजह से हिंदू श्रद्धालु आते हैं। गुरद्वारा होने की वजह से सिख श्रद्धालु आते हैं। सी-लेवल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद मणिकर्ण गर्म पानी के कुंडों के लिए पहचाना जाता है। यहां ऐसे कुदरती कुंड हैं जिनमें कड़ाके की ठंड में भी 95 डिग्री पर खौलता पानी पाया जाता है। लोग कपड़े की पोटली में चावल बांधकर उसे कुंड में डालते हैं। कुछ देर में चावल पक जाते हैं। यहां से नजदीकी एयरपोर्ट भुंतर है। लेकिन मणिकर्ण से दूसरे शहरों को जोड़ने वाली सड़कें सिंगल लेन ही हैं।
गुरद्वारा पार्वती नदी के किनारे है। यह गुरद्वारा ऐतिहासिक है। यहां गुरु नानकदेव आए थे। कहा जाता है कि नानक साहब ने अपने साथ आए भाई मरदाना के लिए यहां लंगर लगवाया था। जब खाना पकाने के लिए आग का इंतजाम नहीं था तो गुरु नानकदेव ने उनसे एक पत्थर हटाने कहा। पत्थर हटाते ही खौलता पानी निकलने लगा जिसमें खाना पकाया गया। इसके बाद यहां गुरद्वारा बन गया। गुरद्वारा समिति ने यहां दो कुंड बनाए हैं। इनमें खौलते पानी को नहाने लायक बनाने के लिए उसमें पार्वती नदी का पानी छोड़ा जाता है। माना जाता है कि मणिकर्ण में जमीन से निकलने वाले गर्म पानी से स्किन से जुड़ी कई दिक्कतें दूर हो जाती हैं।
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