अगर थाइज में है बहुत दर्द तो 3 आसान एक्सरसाइजेस से मिलेगी हड्डियों में होने वाला दर्द से राहत

उम्र बढ़ने के साथ बॉडी की मसल्स और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। पैरों में दर्द, डिसकंफर्ट, कमजोरी महसूस होना भी आम बात हो जाती है

उम्र बढ़ने के साथ बॉडी की मसल्स और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। पैरों में दर्द, डिसकंफर्ट, कमजोरी महसूस होना भी आम बात हो जाती है। कई बार पैरों या हड्डियों में होने वाला दर्द खराब लाइफस्टाइल की वजह से भी हो सकता है। ऐसी सिचुएशन में फिजियोथेरेपी वाली ये कुछ आसान एक्सरसाइजेस राहत दिला सकती हैं।

सिंगल लेज ब्रिज

पीठ के बल लेट जाएं, अब अपने एक घुटने को मोड़ लें और तलवों को जमीन से सटाकर रखें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने दूसरे पैर और बॉडी को ऊपर उठाएं। ब्रिज पोज में आ जाएं। ध्यान रखें इस दौरान बॉडी का वजन दूसरे पैर पर रहे और कूल्हों को कसाव दें। धीरे-धीरे नीचे आएं। कुछ सेकेंड्स तक रूकने के बाद फिर पहली वाली पोजीशन में आ जाएं और फिर इसे दूसरे पैर से दोहराएं। इसको लगभग 10 बार करें। यह एक वॉर्मअप एक्सरसाइज है, इससे कूल्हों की मसल्स को टोन करने में मदद मिलती है और पैरों में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।

ब्रिज विद बॉल

इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं, अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए उनके बीच में मिनी बॉल रखें। इसके बाद अपने कूल्हों को जमीन के ऊपर उठाएं और पैरों के बीच गेंद दबाएं, जब तक कि आपके कंधे, कूल्हे और घुटने एक सीधी लाइन में न हों। कुछ देर इस पोजीशन में रहें और फिर धीरे-धीरे वापस पहले वाली पोजीशन में आ जाएं। इसको रोज 10 बार करने से पैरों के दर्द में राहत मिलेगी।

डबल नी टू चेस्ट

पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। अब घुटनों को मोड़ते हुए पेट या छाती के ऊपर लाएं। हाथों से घुटनों को पकड़ें और 10 सेकेंड तक पकड़े रहें। फिर पहली वाली पोजीशन में लौट जाएं। आप चाहें तो अपने हाथों से पैरों का सहारा देते हुए इस पोजीशन में 15 से 30 सेकेंड के लिए रहें और फिर धीरे-धीरे पैरों को नीचे कर लें। यह एक्सरसाइज कम से कम 5 से 10 बार जरूर दोहराएं।

क्यों है यह मददगार?

यहां बताई गई हर एक्सरसाइज हफ्ते में 3-4 बार करें। हर एक्सरसाइज को 15 बार जरूर दोहराएं, फिजियोथेरेपी में रिजल्ट्स मिलने में वक्त लगता है। असर देखने के लिए बताई जाने वाली एक्सरसाइजेस को रेग्युलर्ली फॉलो करना पड़ता है। रोज दवाइयां लेने के साथ-साथ फिजियोथेरेपी कराने वाले मरीजों में बाकियों के कम्पैरिजन में महज 10 हफ्तों में ही बेहतर रिजल्ट्स देखे गए हैं।

 

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