अमेरिका का दावा, जिबूती में लेजर से विमानों को बनाया निशाना, चीन का इंकार

बीजिंग। चीन ने अमेरिका के उस दावे को खारिज किया है जिसमें सैन्य ग्रेड के लेजर का इस्तेमाल कर अमेरिकी विमानों को निशाना बनाने की बात कही गई थी. अमेरिका ने दावा किया है कि होर्न ऑफ अफ्रीका प्रायद्वीप में जिबूती सैन्य अड्डे पर चीनी सैनिकों ने अमेरिकी विमान को निशाना बनाया है, जिसमें विमान के पायलट घायल हो गए.

चीन ने कहा कि पेंटागन के आरोपों को निराधार बताया है. इससे पहले वॉशिंगटन पोस्ट की खबर में कहा गया था कि अमेरिका ने चीन से औपचारिक शिकायत की है कि चीनी सेना ने जिबूती में अमेरिकी विमान को उच्च क्षमता वाले लेजर से निशाना बनाकर दो अमेरिकी चालकों को घायल कर दिया.

अखबार के मुताबिक लेजर वाली यह घटना चीन की ओर से 2017 में जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा खोलने के बाद पहली बड़ी झड़प के रूप में सामने आयी है. लेजर पायलट को अस्थायी रूप से अंधा कर सकता है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में अमेरिकी अधिकारियों के आरोपों को बेबुनियाद कहकर खारिज कर दिया है.

चीन के विदेश मंत्रालय ने भी आरोपों से इनकार किया है. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘सावधानीपूर्वक जांच के बाद हमने अमेरिका से स्पष्ट तौर पर कहा है कि आरोपों का तथ्यों से कोई तालमेल नहीं बैठता.’

वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक पेंटागन की प्रवक्ता डाना डब्ल्यू व्हाइट ने कहा कि अमेरिका ने चीन से हाल के हफ्ते की घटना की जांच करने का अनुरोध किया है जिसमें अनधिकृत चीनी लेजर गतिविधि से जिबूती में अमेरिकी विमान प्रभावित हुआ.

जिबूती में चीन ने अपना पहला विदेशी नेवी बेस बनाया है. जिबूती सामरिक दृष्टि से काफी अहम है, लाल सागर के दक्षिण प्रवेश बिंदु पर स्थित इस देश में अमेरिकी सेना का भी बेस स्थित है. हिंद महासागर के दक्षिण-पश्चिमी मुहाने पर जिबूती में चीन की पोजीशन से भारत पहले से ही चिंतित है, क्‍योंकि यह भी चीन की ‘पर्ल ऑफ स्ट्रिंग’ योजना का हिस्सा है. इस योजना के तहत महासागर के चारों ओर चीन की मिलिट्री एलायंस और बेस स्‍थापित करने की योजना है.

 

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