अश्विनी चौबे के बेटे की गिरफ्तारी को लेकर बिहार में मचा बवाल

पटना। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अरिजित शाश्वत के खिलाफ भागलपुर में एक जुलूस निकालने के दौरान पैदा हुए सांप्रदायिक तनाव के मामले में एफआईआर हुआ है. लेकिन, अरिजित की गिरफ्तारी होने और नहीं होने को लेकर छिड़ी बहस ने बिहार के सियासी तापमान को काफी बढ़ा दिया है.

अरिजित शाश्वत ने इस मामले में सरेंडर करने से साफ इनकार कर दिया है. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में साफ कर दिया कि वो इस मामले में सरेंडर नहीं करेंगे. अगर पुलिस के पास गिरफ्तारी का वारंट है तो उन्हें गिरफ्तार किया जाए. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने भी इस मामले में अपने बेटे अरिजित शाश्वत की गलती मानने से इनकार कर दिया है.

क्यों मची है खलबली?

बिहार में एनडीए की सरकार है और अरिजित शाश्वत बीजेपी नेता अश्विनी चौबे के बेटे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने के लिए अब आरजेडी समेत सभी विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है.

पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोला है. तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा है कि ‘अब मुख्यमंत्री बताएं कि अरिजित शाश्वत खुलेआम क्यों घूम रहे हैं जबकि उनके खिलाफ वारंट जारी हो चुका है.’

तेजस्वी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा है कि ‘नीतीश कुमार का सरकार पर नियंत्रण खत्म हो चुका है. अब तो नागपुर से सरकार चल रही है.’

क्या है तेजस्वी की रणनीति?

तेजस्वी यादव की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री पर किया गया यह हमला बिहार की राजनीति को समझने के लिए काफी है. नीतीश कुमार ने जब से आरजेडी से अलग होकर बीजेपी के साथ जाने का फैसला कर लिया, तब से आरजेडी की तरफ से नीतीश कुमार पर जनादेश का अपमान करने का आरोप लगता रहा है.

अब लालू के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव बार-बार उसी लाइन पर चल रहे हैं. तेजस्वी की रणनीति का यही पार्ट है जिसमें वो यादव-मुस्लिम यानी माय समीकरण को फिर से अपने साथ जोड़े रखना चाहते हैं.

कोर वोटर का साथ बरकरार 

तेजस्वी यादव को लगता है कि लालू यादव के जेल जाने के बाद भले ही भ्रष्टाचार के नाम पर उनकी पार्टी का स्टैंड कमजोर हुआ है. लेकिन, उनका कोर वोटर उनके साथ और मजबूती से जुड़ गया है. दूसरी तरफ, बीजेपी के साथ जाने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय का वोटर भी पूरी तरह से आरजेडी और महागठबंधन के ही साथ रहेगा.

यही वजह है कि फिर से बीजेपी के साथ जाने के नीतीश कुमार के फैसले के बाद आरजेडी और लालू परिवार की तरफ से ज्यादा फोकस नीतीश कुमार को संघ परिवार के करीबी होने और ऐसा दिखाने पर होता है. तेजस्वी का ताजा बयान जिसमें नागपुर यानी आरएसएस मुख्यालय से सरकार चलाने का आरोप लगाना उसी रणनीति का हिस्सा है.

क्या करेंगे नीतीश कुमार

लेकिन, इस वक्त नीतीश कुमार भी सोच-समझ कर फैसला लेना चाह रहे हैं. उन्हें भी इस बात का अहसास है कि सरकार बीजपी के ही समर्थन से चल रही है.  लेकिन, अगर नीतीश कुमार अरिजित शाश्वत मामले में ढिलाई बरतते हैं तो उन्हें विपक्ष के सवालों का जवाब देना मुश्किल होगा.

जेडीयू नेता नीरज कुमार ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान कहा, ‘केंद्रीय मंत्री के बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना बड़ी बात है. कानून अपना काम करेगा. सामाजिक सौर साम्प्रदायिक सौहार्द विकास का मूल मंत्र है, इससे हम कोई समझौता नही कर सकते.’

उन्होंने तेजस्वी यादव के हमले का भी जवाब देते हुए कहा कि ‘हम पर सवाल उठाने वाले पहले ये बताएं कि बलात्कार के आरोपी राजवल्लभ यादव को अबतक अपनी पार्टी में क्यों रखे हुए हैं.’

जेडीयू प्रवक्ता की बात से साफ लग रहा है कि परसेप्शन की लड़ाई में नीतीश कुमार कोई समझौता नहीं करने वाले हैं. नीतीश कुमार ने भी कुछ दिन पहले सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल बिगाड़ने वालों को लेकर कड़ी चेतावनी भी दी थी.

क्या है डर?

कुछ इसी तरह का डर एनडीए के भीतर और दूसरे दलों को भी सता रहा है. रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी ने भी साफ कर दिया है इस मामले में एक्शन लेना चाहिए. एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने उम्मीद जताई है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले में कार्रवाई जरूर करेंगे. चिराग ने कहा है कि किसी ने भी अगर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

एलजेपी के रूख से भी साफ है कि वो एनडीए के भीतर बीजेपी से ज्यादा नीतीश कुमार के विचारों से सहमत है. उसे भी अपने परसेप्शन की उतनी ही चिंता दिख रही है जितनी नीतीश कुमार को. दोनों ही पार्टियां अपनी सेक्युलर छवि को बचाने की कोशिश में हैं.

लेकिन, इस मामले में आगे और भी ज्यादा बवाल होता दिख रहा है. अरिजित की गिरफ्तारी होने की सूरत में बीजेपी और एनडीए के भीतर भी फिर से तनातनी हो सकती है. भले ही इसे कानूनी मामला बताकर इससे पल्ला झाड़ने की कोशिश हो रही हो. लेकिन, इस मामले ने एनडीए के भीतर बवाल मचा दिया है. इस मुद्दे पर तनातनी आने वाले दिनों में एनडीए के भीतर की गुटबाजी और खाई को और बढ़ा सकती है.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button