आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग पर फैसले के बाद 50 IPL प्लेयर्स के लिए 3 ऑप्‍शंस

justice-lodha2तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस में जस्टिस आरएम लोढ़ा की कमेटी ने गुरुनाथ मयप्पन, राज कुंद्रा, चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स के बारे में अपना फैसला सुना दिया है। मयप्पन-कुंद्रा पर लाइफटाइम बैन और CSK-RR पर दो साल का बैन है। लोढ़ा कमेटी ने यह फैसला बीसीसीआई और आईपीएल के एंटी करप्शन नियमों के मुताबिक सुनाया है। हालांकि, बीसीसीआई का ढर्रा सुधारने के बारे में कमेटी का फैसला और सिफारिशें आना बाकी हैं। मंगलवार को आए फैसले को सुनील गावस्‍कर, कीर्ति आजाद, अजय मेहरा, अतुल वासन, अशोक मल्‍होत्रा जैसे पूर्व क्रिकेटर किस रूप में देखते हैं, पढ़ें-

पूर्व टेस्ट क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने बताया कि महेंद्र सिंह धोनी के बिना आईपीएल की कल्पना करना बहुत मुश्किल होगा। उन्‍होंने कहा, ‘धोनी 34 साल के हैं और कुछ सालों में क्रिकेट को अलविदा कह देंगे। चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स के प्लेयरों को इस समय बहुत खराब लग रहा होगा।’ 70 और 80 के दशक में टेस्ट क्रिकेट के मशहूर ओपनर रहे गावस्कर ने कहा, ‘अगला आईपीएल करीब 8 महीने दूर है। इसलिए मुझे लगता है कि इतने समय में बीसीसीआई नई टीमें बना सकता है।’ ऐसे में इस बात के पूरे आसार हैं कि अगला आईपीएल 6 टीमों के साथ ही होगा और धोनी इसके हिस्‍सा नहीं होंगे।
दोनों टीमों के 50 प्लेयर्स का क्या होगा? अजय मेहरा ने बताए तीन विकल्‍प-
पूर्व क्रिकेटर अजय मेहरा के मुताबिक बीसीसीआई को इसका सॉल्यूशन ढूंढ़ना होगा कि आखिर दो साल के लिए बैन की गई दोनों टीमों (सीएसके और आरआर) के 50 प्लेयर्स का क्या होगा?
1. सबसे बेहतर ये होगा कि राजस्थान रॉयल्‍स और चेन्नई सुपरकिंग्‍स की जगह दो नई टीमें बनाई जाएं और सभी खिलाड़ियों का दोबारा ऑक्शन हो।
2. अगर नई टीमें नहीं बन सके और 6 टीमों के साथ ही आईपीएल खेलना पड़े तो दोनों टीमों के 50 प्लेयर्स को सभी टीमों में अलॉट कर दिया जाए। लेकिन 6 टीमों के साथ आईपीएल का पूरा रूप बदल जाएगा। मैच कम हो जाएंगे। लिहाजा कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
3. अजय मेहरा के मुताबिक एक ऑप्शन यह भी हो सकता है कि राज कुंद्रा से अलग हटकर राजस्‍थान रॉयल्‍स के दूसरे शेयर होल्डर्स अलग नाम से आईपीएल में टीम ला सकते हैं। वे अपने प्लेयर्स को रीटेन कर सकते हैं। लेकिन CSK के लिए यह ऑप्शन आजमाना मुश्किल होगा क्योंकि इस टीम का मालिकाना हक एक (इंडिया सीमेंट्स) के पास ही है।
सुप्रीम कोर्ट में बंद लिफाफे में लिखे नाम भी सामने आएं: कीर्ति आजाद
 पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आाजाद ने बताया- मैं चाहता हूं कि क्रिकेट का खेल साफ-सुथरा हो। इस कड़ी में लोढ़ा कमेटी का यह फैसला काफी अहम है। लेकिन इसके साथ सुप्रीम कोर्ट को लिफाफे में सौंपे गए गोपनीय नामों का भी खुलासा होना चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि यह जल्‍द ही होगा।आईपीएल में गड़बड़ी के बारे में बीसीआईआई को पहले से जानकारी थी लेकिन कार्रवाई करने के बजाय मुदग्ल कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार किया गया। क्रिकेट की जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए जिनके पास समय हो। इस खेल में करोड़ों रुपए की हेराफेरी हो रही है।
 जहां तक CSK और RR के खिलाड़ि‍यों का सवाल है तो उनके भविष्य के बारे में फैसला बीसीसीआई को करना है। बीसीसीआई को यह जरूर ध्‍यान रखना चाहिए कि प्लेयर्स का नुकसान न हो। नई टीम बनाई जाएं या फिर इन 50 क्रिकेटर्स का फिर ऑक्शन किया जाए, यह फैसला बीसीसीआई को करना है।
अशोक मल्‍होत्रा को है डर कि कहीं अपील कर बरी न हो जाएं दोषी
पूर्व क्रिकेटर अशोक मल्होत्रा कहते हैं- यह सभी को मालूम था कि मयप्पन और कुंद्रा ने बेटिंग की थी। अब देखने वाली बात होगी कि फैसले को किस हद तक लागू किया जाता है। कई बार देखा गया है कि बाद में लोगों को बरी कर दिया जाता है। इस फैसले से क्रिकेट पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि 20-20 क्रिकेट असली क्रिकेट नहीं है।
 अब गलत काम करने वाले डरेंगे, उनकी गलतफहमियां दूर होंगी
पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन ने बताया- मयप्पन और राज कुंद्रा पर आर्थिक जुर्माना भी लगना चाहिए था। हालांकि, क्रिमिनल केस में अभी फैसला नहीं आया है। लोढ़ा कमेटी का यह फैसला उन लोगों के लिए साफ संकेत है कि जो कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं। पहले ऐसे लोगों को गलतफहमी थी कि वे कुछ भी करें, कभी नहीं फंसेंगे। बहरहाल, बोर्ड को यह चाहिए कि वह आईपीएल की टीमों की संख्या बढ़ाए ताकि चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेटरों का नुकसान न हो।
तीन कारण जो बताते हैं कि लोढ़ा कमेटी के फैसले पर बेशक सख्त अमल होगा
1. पूर्व चीफ जस्टिस की अगुवाई में बनी है यह कमेटी
– आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में 22 जनवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस टीएस ठाकुर की बेंच ने एक पैनल बनाया। इस पैनल के चेयरमैन पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा हैं। जबकि जस्टिस अशोक भान और जस्टिस आरवी रविंद्रन इसके अन्य सदस्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पैनल को बीसीसीआई के एंटी करप्शन कोड और आईपीएल ऑपरेशनल रूल्स के तहत दोषियों की सजा तय करने की जिम्मेदारी दी।
2. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है- कमेटी का फैसला ही फाइनल होगा
सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी के अपने फैसले में कहा था कि लोढ़ा कमेटी का फैसला और ऑर्डर फाइनल होगा। यह बीसीसीआई पर लागू होगा। हालांकि, फ्रेंचाइजी या इंडिविजुअल्स फैसले के खिलाफ जस्टिस ठाकुर की बेंच में अपील कर सकते हैं। अर्जी में उन्हें यह ठोस कारण बताना होगा कि उनकी अपील पर सुनवाई क्यों की जाए? सुप्रीम कोर्ट तभी दखल देगा, जब उसे लगेगा कि इंसाफ के सिद्धांतों से समझौता हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस मामले में संबंधित अदालतों में आपराधिक मामले पहले से ही चल रहे हैं, इसलिए पैनल सिर्फ उन मुद्दों को डील करेगा, जो आईपीएल ऑपरेशन रूल्स और बीसीसीआई के एंटी करप्शन कोड के खिलाफ हो।
3. बोर्ड अपील नहीं कर पाएगा
जानकार मानते हैं कि कमेटी के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई अपील नहीं कर सकता। पूर्व बीसीसीआई चीफ और कानून के जानकार शशांक मनोहर का भी कहना है कि मयप्पन, राज कुंद्रा, चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स पैनल के खिलाफ अपील कर सकते हैं। लेकिन बीसीसीआई के बारे में जो भी सिफारिशें या फैसला आएगा, बोर्ड को वह मानना होगा। बीसीसीआई चेयरमैन जगमोहन डालमिया ने भी मंगलवार को कह दिया कि हम कोर्ट के फैसले का पूरा सम्‍मान करेंगे।
क्या था आईपीएल में सट्टेबाजी का खेल, कैसे खुली थी परतें?
2013 के मई महीने ने आईपीएल को हिलाकर रख दिया। पहले स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में राजस्थान रॉयल्स के तीन क्रिकेटर एस. श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंडिला गिरफ़्तार हुए। इसके बाद सट्टेबाजों के साथ संबंध होने के आरोप में एक्टर विंदू दारा सिंह मुंबई में गिरफ़्तार हुए। कुछ ही दिन बाद एन. श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन को मुंबई पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि सट्टेबाजी का यह खेल कैसे चल रहा था?
 मयप्पन, दारा सिंह और बुकी के बीच 200 बार बात
पुलिस के मुताबिक, मयप्पन अपनी पहुंच का फायदा उठाकर इन्फॉर्मेशन हासिल करते थे। इन्हें सट्टेबाजों तक पहुंचाकर पैसा बनाते थे। दिल्ली पुलिस ने उनके फोन रिकॉर्ड्स खंगाले थे। 2013 के आईपीएल के दौरान मयप्पन, विंदू दारा सिंह और एक बुकी के बीच 200 बार फोन पर बातचीत हुई। शक गहराया। खुलासा हुआ कि मयप्प्न विंदू दारा सिंह के जरिए सट्टेबाजी करते थे।
 राज कुंद्रा भी सट्टेबाजों के संपर्क में थे
राज कुंद्रा राजस्थान रॉयल्स के मालिक हैं। पुलिस के मुताबिक, कुंद्रा और उनके बिजनेस पार्टनर उमेश गोयनका की भूमिका भी कॉल रिकार्ड्स के जरिए सामने आई। कुंद्रा सट्टेबाजों से संपर्क में थे। उन्होंने यह बात कबूली भी थी।
 और सस्पेंस… कौन है दागी-2 और दागी-3
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट में मयप्प्न दागी नंबर-1 थे। रिपोर्ट में कहा गया- मयप्पन होटलों में सट्टेबाजों और दागी-2 और दागी-3 से मिलते थे। इनके नामों का अब तक खुलासा नहीं हुआ है।
इन पर भी उठे थे सवाल
महेंद्र सिंह धोनी : इन्होंने मयप्पन को उत्साही क्रिकेट प्रेमी बताया। लेकिन जांच रिपोर्ट में धोनी का बयान गलत साबित हुआ क्योंकि मयप्पन के खिलाफ शुरुआत में ही सबूत मिल गए थे।
श्रीनिवासन : मयप्पन की गतिविधियों पर पर्दा डालने के आरोप लगे, सबूत नहीं मिले। लेकिन हितों के टकराव का मामला है। हालांकि अभी लोढ़ा कमेटी ने श्रीनिवासन के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है।
 जनवरी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी के अपने फैसले में श्रीनिवासन को तो क्लीन चिट दे दी, लेकिन बतौर बीसीसीआई चेयरमैन उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि श्रीनिवासन को आईपीएल टीम या बीसीसीआई में से कोई एक चुनना होगा। कोर्ट ने यह भी माना कि श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स के अफसर गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स टीम के मालिक राज कुंद्रा सट्टेबाजी में लिप्त रहे हैं। इन दोनों की टीमों का आईपीएल में क्या भविष्य होगा, इसे तय करने के लिए कोर्ट ने एक ज्यूरी भी बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद चर्चा है कि जगमोहन डालमिया को अगला चीफ बनाया जा सकता है।
 सुप्रीम कोर्ट के 130 पन्ने के फैसले की अहम बातें
– श्रीनिवासन के खिलाफ मामले को दबाने के आरोपों की पुष्टि नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, आईपीएल के सीओओ सुंदर रमन के खिलाफ और जांच की जरूरत है।
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस नियम की वजह से श्रीनिवासन टीम के मालिक बने, वह इस मामले में असल विलेन है। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई नियमों के 6.2.4 क्लॉज को खारिज किया, जिससे बीसीसीआई अधिकारी आईपीएल में टीम भी खरीद सकते थे। श्रीनिवासन की वो दलील कन्फ्यूजन पैदा करती है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह इंडिया सीमेंट्स में काफी छोटी हिस्सेदारी रखते हैं। जबकि उनका परिवार सीधे और अप्रत्यक्ष तौर पर इस कंपनी में संलग्न है।
– कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई एक प्राइवेट बॉडी है, लेकिन इसकी फंक्शनिंग पब्लिक है।
– कोर्ट के मुताबिक, मुद्गल कमेटी ने सभी नियमों का पालन किया। कुंद्रा के खिलाफ सभी आरोप साबित हुए।
– सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मुद्गल कमेटी के निष्कर्षों के रिव्यू की जरूरत नहीं है।
– कोर्ट के मुताबिक, राज कुंद्रा की बात मुद्गल कमिटी ने सुनी थी, वे शिकायत नहीं कर सकते।
– श्रीनिवासन का बीसीसीआई बॉस और आईपीएल फ्रेंचाइजी का मालिक होना कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का मामला है।
– कोर्ट के मुताबिक, बीसीसीआई का कोई अफसर कमर्शियल एक्टिविटी में शामिल नहीं हो सकता।
 

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