आजम खां व प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस, दो हजार करोड़ के दुरुपयोग का आरोप

इलाहाबाद। सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री आजम खां के जौहर विश्वविद्यालय के लिए लगभग दो हजार करोड़ रुपये की सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का आरोप है। इसे लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने आजम खां सहित केंद्र और राज्य सरकार तथा जौहर विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया है। सभी को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अब्दुल सलाम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने पूछा है कि विश्वविद्यालय परिसर, गेस्ट हाउस, झील और कोसी नदी के किनारे सौंदर्यीकरण पर कितना सरकारी धन खर्च किया गया।

इस मामले की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने एसआईटी गठित की है। कोर्ट ने एसआईटी को अपनी जांच जारी रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि विश्वविद्यालय को कुल कितनी जमीन पट्टे पर दी गई है। याची के अधिवक्ता अनिल तिवारी का कहना था कि जौहर विश्वविद्यालय का निर्माण 2005 में प्राइवेट ट्रस्ट के द्वारा कराया गया। आजम खां इसके आजीवन कुलाधिपति हैं। प्रदेश सरकार के प्रभावशाली मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान रामपुर शहर की तमाम सरकारी योजनाओं को विश्वविद्यालय परिसर के भीतर ले लिया गया। इसमें झील, स्टेडियम, वीआईपी गेस्ट हाउस आदि शामिल हैं। कोसी नदी के तट का सौंदर्यीकरण भी सरकारी धन से कराया गया।

10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले करीब 400 एकड़ क्षेत्र के सरकारी निर्माणों को विश्वविद्यालय ने अपने परिसर में शामिल कर लिया है। जन उपयोग के इन निर्माणों तक अब आम आदमी की पहुंच नहीं है। दो करोड़ 28 लाख की लागत से बने सरकारी गेस्ट हाउस का निर्माण पीडब्ल्यूडी ने कराया था। गेस्ट हाउस में अब विश्वविद्यालय की अनुमति से ही रुका जा सकता है। याचिका में यह भी आरोप है कि नदी के किनारे स्थित झील पर विश्वविद्यालय ने कब्जा कर लिया है। इनमें मछली पालन कर कमाई की जा रही है।
सरकार करा रही है जांच

अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि शिकायतों की जांच जिलाधिकारी द्वारा की गई है। पूरे प्रकरण की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है। सरकार इस मसले पर गंभीर है। लोक निर्माण विभाग द्वारा करीब दो हजार करोड़ रुपये के विकास कार्य कराये गये हैं। विश्वविद्यालय ने करीब 1300 एकड़ जमीन अपने परिसर में शामिल की है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। अपर सॉलीसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह का कहना था कि शत्रु संपत्ति (पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा छोड़ी गई जमीन) जो कि सरकार की है, उस पर भी विश्वविद्यालय ने कब्जा कर लिया है।

आजम खां का पक्ष अधिवक्ता कमरूल हसन सिद्दकी और सफदर अली काजमी ने रखा। उनका कहना था कि आरोप निराधार हैं। याची आजम खां से राजनीतिक वैमनस्य रखता है। अधिवक्ता का कहना था कि वह इस मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे। कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा है कि सरकारी संपत्ति पर प्राइवेट संस्था का नियंत्रण कैसे है। इन तमाम योजनाओं पर सरकार का कितना धन खर्च हुआ है।

 

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