आसाराम के खिलाफ मुख्य गवाह अपहृत राहुल सचान की दर्द ए दास्तान

लखनऊ। आसाराम के खिलाफ मुख्य गवाह रहे राहुल सचान को अब उन लोगों की कतार में खडा किया जा सकता है, जिन्हें पैशाचिक कृत्यों के खिलाफ सच को सच कहने की जोखिम उठाने वाले दूसरे कई गवाहों को मौत के घाट उतार दिया गया है। चूॅकि, राहुल सचान आसाराम का निजी सचिव रहा है, इसलिये उसे उसकी गतिविधियों की राईरत्ती की जानकारी थी। इसीलिये उसे आसाराम के खिलाफ मुख्य गवाह बनाया गया था।

राहुल सचान को आसाराम और उके लडके नारायण साईं के खिलाफ जोधपुर, अहमदाबाद और सूरत की अदालतों में बलात्कार के आरोप में चल रहे तीनों मुकदमे में सबसे महत्वपूर्ण गवाह माना जाता रहा है। जोधपुर कोर्ट में हुए इस प्राणघातक हमले के बाद राहुल सचान इस हद तक भयभीत हो गये थें कि चह पूरी रात सो नहीं पाते थे। सुबह गार्ड के आ जाने के बाद ही वह सो पाते थे। राहुल ने दशकों पहले कानपुर में रहने वाले अपने परिवार से दूरी बना ली थी.वह लखनऊ में एक किराए के मकान में अकेले रहते थे।

इसके पहले आसाराम और नारायण साई के खिलाफ गवाही देने वाले अमृत प्रजापति, अखिल गृप्त और कृपाल सिंह की हत्या कीक जा चुकी है। इनके अलावा, छह अन्य गवाहांें पर भी प्रााणघातक हमले किये गये हैं। राहुल सचान की गुमशुदगी के बाद में पुलिस की जांच में जरा भी प्रगति नहीं हुई है। वह जस की तस है।

इस संबंध में विधि विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल सचान की गवाही के बाद आसाराम के खिलाफ मामला बहुत मजबूत पड जाता। नतीजतन, उसे इसका गभीर खाििजयको आजीवन जेल में सडना पड सकता था। इसीलिये आशंका है कि नवंबर, 2015 में अपहरण कराने के बाद उसकी हत्या करा दी गयी है। फरवरी, 2015 में जोधपुर की अदालत में गवाही देने के बाद इस पर प्राणलेवा हमला किया गया था। उसमें किसी तरह इसकी जान तो बच गयी थी। लेकिन, वह हमला इतना घातक रहा है कि वह आंशिक रूप से विकलांग हो गये थे।

इस हमले के बाद राहुल सचान कई बार यह कह चुका था कि उसकी हत्या एकदम सुनिश्चित है।  उसे कभी भी और कहीं भी मौत के घाट उतारा जा सकता है। उसकी आशंका पूरी तरह सच साबित हुई। इस प्राणघातक हमले के लगभग नौ महीने बाद ही लखनऊ के कैसरबाग बस स्टैशन से उसका अपहरण कर लिया गया। इसके बाद आज तक उसका कहीं कोई पता नही चल रहा है।

इस संबंध में राहुल सचान की गुमशुदगी के बारे में इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दायर मुकदमा लड रहे उनके वकील वेनेेट कैस्टेलिनो का कहना है कि आसाराम के का निजी सविव होने के नाते राहुल सचान को उनकी हर गतिविधि की पूरी जानकारी थी। इसी के चलते जोधपुर और अहमदाबाद में जारी सुनवाई के दौरेान राहुल सचान की गवाही को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा था। इसीलिये राहुल कई बार यह आशंका जता चुके थे कि वह जिंदा नहीं बचेंगे। उन्हें मार डाला जायेगा। इसके बावजूद, उनकी दिली ख्वाहिश रही है कि वह मरने से पहले सभी अदालतों में अपनी गवाही पूरी कर लें।

इसी के मद्देनजर, अगस्त 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दिये गये अपने शपथ पत्र के जरिये उन्होंने अत्यंत मार्मिक गुहार की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि-‘मेेरी जिंदगी हर रोज मेरे हाथों से फिसल रही है। यह सिर्फ इसलिये कि मैं न्याय के पक्ष में खडा रहा, ताकि भविष्य में महिलाओं और नाबालिग लडकियों पर अत्याचार बंद हो सके। इन मामलों में जिस गति से गवाहों की हत्याएं की जा रही है, उसमें मेरी भी मौत एकदम सुनिश्चित है।

पता चला है कि इस गुहार के बाद शीर्ष अदालत ने राहुल सचान को सुरक्षा प्रदान करने के लिये आदेश देे दिया था। लेकिन, उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने उन्हें सिर्फ आठ घंटे के लिये एक गार्ड दे दिया था। लेकिन, उनके मुवक्किल राहुल को इस गार्ड पर भरोसा नहीं था, क्योकि वह अक्सर फोन पर बातें करता रहता था या व्हाट्स अप में व्यस्त रहता था। इसके अलावा और भी कई कारणों से राहुल सचान को उत्तर प्रदेश की पुलिस पर भरोसा नही था। आखिरी दिनों में वह इस हद तक खौफजदा हो गया था कि उसे हर समय यह लगा करता था कि जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो। उसे सबसे ज्यादा अपराधबोध इस बात पर था कि उसने आसाराम के खिलाफ बहुत पहले ही आवाज क्यों नहीं उठायी।

बहरहाल, इलाहाबाद हाइकोर्ट के राहुल की गुमशुदगी के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिये जाने के 11 महीनों के बाद इसकी प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। लेकिन, सीबीआई जांच की हालत यह कि उसमें आज तक कोई प्रगति नहीं हो सकी है। वह जस की तस है। वह आश्रम में आयेेदिन महिलाओं के चीखने की आवाज सुनकर अंदर से बुरी तरह हिल जाया करता था। पूछने पर बताया जाता था कि इन लडकियों को मोक्ष के रास्ते पर ले जाया जा रहा है।

 

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