इस मुस्लिम मुल्‍क को गायों ने ‘खुद्दार’ बनाया, डूबने से बचाया

क़तर। कभी-कभी आफत भी अवसर की जननी बन जाती है. ये बात अरब जगत के बेहद मामूली जनसंख्‍या वाले लेकिन अत्‍यधिक रईस मुल्‍क कतर के ऊपर भी लागू होती है. हालिया दौर में यह मुल्‍क खाड़ी संकट के केंद्र में है. दरअसल पिछले साल अचानक पांच जून को सुन्‍नी देश सऊदी अरब ने अपने सहयोगियों संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन और मिस्र ने कतर पर आतंकवाद के पोषण का आरोप लगाते हुए उससे सभी तरह के राजनयिक, व्‍यापारिक और परिवहन संबंधों को खत्‍म करने का ऐलान कर दिया. उनकी इस घोषणा से दुनिया भौंचक्‍की रह गई. कतर सकते में आ गया.

प्राकृतिक गैसों के मामले में साधन-संपन्‍न यह देश इस कारण परेशान हो गया क्‍योंकि यह दूध के मामले में पूरी तरह से सऊदी अरब पर निर्भर था. वहीं से दूध का आयात होता था लेकिन पाबंदी के कारण यह इस बुनियादी चीज का मोहताज हो गया. कतर ने इसको चुनौती के रूप में लिया. आनन-फानन में 27 लाख आबादी वाले मुल्‍क कतर ने अमेरिका से गायें खरींदीं. नतीजतन पांबदी लगने के एक महीने के भीतर ही अमेरिका के कैलिफोर्निया, एरीजोना और विस्‍कांसिन जैसे प्रांतों से हजारों गायों को कतर पहुंचाया गया. देखते ही देखते 10 हजारों गायों का पहला डेयरी फार्म दोहा से 50 किमी दूर बलाडना नामक जगह पर खोला गया. ये फार्म पूरी तरह से एसी है. यहां गायों का खास ख्‍याल रखा जाता है.

इस फार्म को खोलने के साथ ही यह कतर ने यह लक्ष्‍य रखा था कि जब पड़ोसी अरब मुल्‍कों की पाबंदियों का एक साल पूरा होगा, तब तक ताजा दूध के मामले में कतर पूरी तरह से आत्‍म-निर्भर बन जाएगा. अब पांच जून को इसके एक साल पूरा होने पर कतर पूरी तरह से दूध के मामले में आत्‍म-निर्भर बन गया. कतर के लिए यह बहुत बड़ी बात इसलिए है क्‍योंकि इसको राष्‍ट्रीय गौरव के साथ जोड़कर देखा जाने लगा था.

कतर का संकट
दरअसल पिछले साल ईरान के राष्‍ट्रपति हसन रोहानी के दोबारा इस पद पर चुने जाने के बाद कतर के शासक ने उनको बधाई दी और शिया देश ईरान को क्षेत्र की बड़ी इस्‍लामिक ताकत बताया. कतर की एक समाचार एजेंसी द्वारा प्रकाशित इस खबर के बाद शिया-सुन्‍नी खेमों मे बंटे अरब जगत में सुन्‍नी खेमे का नेतृत्‍व करने वाला सऊदी अरब इससे भड़क गया. ऐसा इसलिए क्‍योंकि सऊदी अरब जैसे सुन्‍नी देश ईरान को इस क्षेत्र में अपना सबसे बड़ा दुश्‍मन मानते हैं.

लिहाजा सऊदी अरब समेत कई मुल्‍कों ने कतर पर आतंकवाद को प्रोत्‍साहन देने, टेरर फंडिंग, क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने जैसे कई आरोप लगाते हुए उससे पूरी तरह से संपर्क समाप्‍त करने की घोषणा कर दी. कतर के प्रसिद्ध न्‍यूज चैनल ‘अल-जजीरा’ की सेवाओं को भी इन देशों से तत्काल रूप से बर्खास्त कर दिया गया. बाद में जब मध्‍यस्‍थता की बात हुई तो सऊदी अरब खेमे ने 13 मांगें रख दीं. इनमें कतर के ईरान से संबंध समाप्‍त करने और अल-जजीरा चैनल को बंद करने की बात कही गई थी. इनको राष्‍ट्रीय संप्रभुता से खिलवाड़ की बात कहते हुए कतर ने इन मांगों को मानने से इनकार कर दिया. नतीजतन इन देशों ने उसको अलग-थलग कर दिया.

 

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