कश्मीर में सीजफायर का बेजा फायदा उठा रहे आतंकी, तेज हुए ग्रेनेड हमले

समीर यासिर

ऐसा लगता है कि कश्मीर घाटी में ग्रेनेड हमलों का दौर फिर से लौट गया है. ऐसी स्थिति में यहां के निवासियों के बीच डर और अनिश्चितता का माहौल है. पैदल चलने वालों के लिए भी परेशानी है. इस तरह की घटनाएं कुछ-कुछ 1990 के दशक में कश्मीर के माहौल की याद दिलाती हैं. उस वक्त भी घाटी में इस तरह के हमले काफी बढ़ गए थे.

कश्मीर घाटी में पिछले 28 साल के संघर्ष में ग्रेनेड हमलों के कारण हजारों लोग जख्मी हो चुके हैं और उन्हें अन्य तरह की परेशानी भी झेलनी पड़ी है. और अगर हम पिछले चार दिनों में ग्रेनेड हमलों के बढ़ते ट्रेंड को एक संकेत मानकर विश्लेषण करें तो कहा जा सकता है कि आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों और सड़कों पर ग्रेनेड फेंकने की रणनीति को फिर से अमल में लाना शुरू किया है. साथ ही, ये आतंकवादी नुकसान पहुंचाने की खातिर घटनास्थल पर भी नहीं टिकते.

युद्धविराम में भी आतंकवादियों का हमला जारी

दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में सोमवार को आतंकवादियों ने पुलिस की एक टीम पर ग्रेनेड फेंका. इसमें 12 लोग जख्मी हो गए. जख्मी होने वालों में 4 पुलिसकर्मी और 8 आम नागरिक शामिल हैं. गौरतलब है कि पिछले महीने के मध्य में केंद्र सरकार ने रमजान को ध्यान में रखते हुए एकतरफा युद्धविराम का ऐलान किया था. अगर हम उसके बाद हुए हमलों की बात करें, तो इस हिसाब से युद्धविराम की पहल के बाद इस एक हमले में सबसे ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. पुलिस के एक प्रवक्ता ने सोमवार को बताया, ‘इस विस्फोट में तकरीबन 12 लोगों के जख्मी होने की खबर है. धमाके में एक बच्ची भी गंभीर रूप से जख्मी हुई है, जबकि चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. ‘

शोपियां के निवासी मंजूर अहमद मीरचल ने फोन पर फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘हर कोई अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था. पुलिसकर्मी और आम लोग सड़के के किनारे जख्मी पड़े हुए थे. बाद में उन्हें एक गाड़ी में लादकर अस्पताल ले जाया गया.’

रमजान के बाद से अब तक 14 ग्रेनेड हमले हो चुके हैं

बीते 17 मई (रमजान के शुरू होने पर) को केंद्र सरकार की तरफ से युद्धविराम का ऐलान किए जाने के बाद से हाल तक आतंकवादी की तरफ से सुरक्षा बलों के ठिकानों, पुलिस गश्ती दल और राजनीतिक नेताओं के घरों पर 14 ग्रेनेड हमलों को अंजाम दिया जा चुका है. इन हमलों में दर्जनों आम नागरिक और सुरक्षा बल के जवान घायल हुए हैं. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आतंकवादियों द्वारा इस तरह के और अन्य हमलों का सिलसिला जारी है.

ग्रेनेड हमलों का सिलसिला कायम रहने के कारण नियंत्रण रेखा (एलओसी) के आसपास 8 आतंकवादी समेत 15 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि पूरी कश्मीर घाटी में 50 लोग जख्मी भी हुए. आंकड़ों के मुताबिक, कश्मीर में 2012-2014 की तुलना में 2015-2017 में एनकाउंटर और इस तरह की अन्य गतिविधियों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली. केंद्र सरकार की शांति की पहल के तहत रमजान के मौके पर युद्धविराम का ऐलान किया गया.

युद्धविराम के बारे में गृह मंत्रालय (एचएमओ) के ट्विटर हैंडल के जरिए भी जानकारी दी गई थी. इसमें कहा कहा था, ‘केंद्र सरकार ने रमजान के पवित्र महीने के दौरान सुरक्षा बलों से ऑपरेशन (आतंकवादियों के खिलाफ) को अंजाम नहीं देने का फैसला किया है. अमन पसंद मुसलमानों को शांतिपूर्ण माहौल में रमजान मनाने में मदद करने के लिए इस तरह का निर्णय लिया गया है. गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह (@rajnathsing) ने केंद्र सरकार के इस फैसले के बारे में जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री को भी जानकारी दे दी है.’

युद्धविराम के दौरान हमले को लेकर खुफिया एजेंसियों ने भी जारी किया था अलर्ट

हालांकि, युद्धविराम का ऐलान किए जाने के बाद से कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में 12 आतंकवादी हमले हो चुके हैं. यहां तक कि खुफिया एजेंसियों द्वारा युद्धविराम के दौरान भी बड़े आंतकवादी हमलों के संबंध में अलर्ट भी जारी किेए गए. खुफिया एजेंसियों की आशंका के मुताबिक बीते शुक्रवार को घाटी एक बार फिर चार ग्रेनेड हमलों से दहल उठी. इसके अलावा, इस युद्धविराम के दौरान आतंकवादियों ने 6 हथियार भी छीने हैं और सुरक्षा बलों व अन्य जगहों पर 15 हमलों को भी अंजाम दिया है.

कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबेहारा इलाके में मेन रेड पर आतंकवादियों की तरफ से 23 मई को किए गए ग्रेनेड हमले में कम से कम दर्जनभर लोग जख्मी हो गए. जख्मी लोगों को जब इलाज के लिए श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल लाया गया, तो वहां अफरातफरी मच गई.

सुरक्षा बलों के जवानों के साथ-साथ सेना के ठिकाने पर भी हुआ हमला

जम्मू-कश्मीर में सक्रिय प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने बीते शनिवार को राजधानी श्रीनगर के फतेह कदल और बादशाह चौक इलाके में सुरक्षा बलों पर हुए ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी ली थी. जैश-ए-मोहम्मद के प्रवक्ता के मुताबिक, इस संगठन ने ‘ऑपरेशन बदर’ के तहत फतेह कदल में पहले आतंकी हमले को अंजाम दिया. इस हमले में सुरक्षा बल के कुछ जवान जख्मी हुए थे. प्रवक्ता का कहना था, ‘जैश के काडरों ने बादशाह चौक पर सीआरपीएफ के जवानों को भी निशाना बनाया. इस हमले में भी सुरक्षा बल के कुछ कर्मी जख्मी हुए थे.’

सरकार की तरफ से एकतरफा युद्धविराम के ऐलान के बाद आतंकवादियों द्वारा सबसे बड़े हमले को 28 मई को अंजाम दिया गया. पुलवामा के काकापुरा गांव में आतंकवादियों के हमले में एक सैन्यकर्मी शहीद हो गया. आतंकवादियों ने उस दिन (28 मई) काकापुरा स्थिति सेना के 50 आरआर कैंप पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी थी. सेना ने भी इस फायरिंग का जवाब देना शुरू किया और कुछ देर तक सेना व आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ चलती रही थी. दोनों के बीच फायरिंग में एक आम नागरिक और एक सैन्यकर्मी घायल हो गए थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी शेष पॉल वैद्य ने पिछले हफ्ते कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा ऐलान किया युद्धविराम सफल रहा है और दक्षिणी कश्मीर में भी हालात सुधरे हैं.

डीजीपी ने ट्वीट कर कहा था, ‘रमजान के दौरान युद्धविराम का मामला अब तक सफल रहा है. माननीय प्रधानमंत्री की पहल से कानून-व्यवस्था में सामान्य सुधार लाने में मदद मिली है. हालात (खासतौर पर दक्षिणी कश्मीर) में सुधार हुआ है और यह पहल वैसे परिवारों के लिए भरोसा बहाली उपाय के तौर पर काम कर रही है, जो चाहते हैं कि उनके लड़के फिर से वापस अपने घर लौट जाएं.’

हमलों के कारण शांति पहल को लेकर ठंडा पड़ा उत्साह

पिछले कुछ समय से आतंकवादियों के खिलाफ जोर-शोर से अभियान चलाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने शांति की पहल के तहत इस बार रमजान के दौरान एकतरफा युद्धविराम का ऐलान किया था. हालांकि, इस युद्धविराम के दौरान भी जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है और उनकी तरफ से हिंसा की अन्य घटनाएं हो रही हैं, वैसे में केंद्र सरकार की इस पहल से कई लोगों को अब बहुत उम्मीद नजर नहीं आती.

दक्षिणी कश्मीर के एक सीनियर पुलिस अधिकारी का कहना था कि सरकार की तरफ से युद्धविराम का ऐलान किए जाने के बाद के बाद सुरक्षा बलों ने अपनी गतिविधियों को पोस्ट तक ही सीमित कर दिया है. पुलिस अधिकारी के मुताबिक, साथ ही आतंकवादियों के बारे में सूचना मिलने के बावजूद सुरक्षा बल की तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन के तहत किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है.

अनंतनाग इलाके में पदस्थापित इस पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘ये लोग (आतंकवादी और उससे जुड़े संगठन) इस युद्धविराम का गलत फायदा उठाना चाहते हैं.’ अनंतनाग इलाके में भी पिछले 15 दिनों में कुछ ग्रेनेड हमले हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘यह ऐसी पहल थी, जिसमें उन्हें (आतंकवादियों को) मुख्यधारा में वापस लौटने के बारे में सोचना चाहिए था. हालांकि, ऐसा करने की बजाय वे हम पर ग्रेनेड फेंक रहे हैं.’

 

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