ईडी केस में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर SC में सुनवाई आज; SG जारी रखेंगे अपना पक्ष

नई दिल्‍ली। INX मीडिया हेराफेरी से जुड़े ईडी केस में पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी. ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता आज 11:30 बजे अपना पक्ष जारी रखेंगे. बुधवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिदम्बरम के तरफ से ADM जबलपुर फैसले को कोर्ट के सामने रखा था. SG तुषार मेहता ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग काफी चतुर व्यक्तियों द्वारा ही किया जाता है इसमें आदमी इस प्रकार के अपराध में नही शामिल होता इसलिए अपराध की गंभीरता समझना चाहिए.जबकि ये मामला महज अग्रिम जमानत का है. इस अपराध में मनी ट्रेल को पकड़ना जरुरी होता है, लेकिन इससे जुड़े सबूत इकट्ठा करना काफी मुश्किल काम है.

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सील कवर में रिपोर्ट देते हुए कहा था कि उसको देखकर चिदंबरम की अग्रिम जमानत पर फैसला लें.मनी लॉन्ड्रिंग कभी भी हीट ऑफ द मूवमेंट में नही होती. ये बेहद चालाकी से किया जाता है. ज्यादातर मनी लॉन्ड्रिंग डिजिटल ऑपरेशन की तरह है. ये रेप की तरह मामला नही है कि फोरेंसिक टीम खून का सेंपल कलेक्ट कर सके.ED ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो जांच की प्रगति रिपोर्ट चिदंबरम से साझा नहीं कर सकती.जबतक इस मामले में आरोपपत्र दाखिल नही होता.तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में सबूत बेहद संवेदनशील है लिहाजा इसको चिदंबरम से साझा नही कर सकते.हम मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने वाली ग्लोबल ऐजेंसी के पार्ट है. इंडिया उस अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा है जो मनी लॉन्ड्रिंग पूरी तरह से खत्म करना चाहती है.

तुषार मेहता ने कहा था कि चिदंबरम का तर्क है कि धन का लेन-देन कानून बनने से पहले होने पर लागू नहीं होता लेकिन कानून बनने के बाद भी पैसे का लेन-देन जारी रहा.हमारे पास पैसे के लेनदेन लगातार जारी रसने के पुख्ता सबूत हैं.मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सम्पति को संबंधित विभाग द्वारा अटेच किया जाता है इस मामले में हमनें किया.तुषार मेहता ने कहा कि सिब्बल का कहना है कि अपराध की श्रेणी में आने से पहले यानी कानून बनने से पहले पैसे का लेनदेन हुआ था “ED के हिसाब” सिब्बल ने कहा था कि इसका मतलब ये है कि ये अपराध नहीं है.हमारे पास सबूत है कि कानून बनने के बाद भी पैसे का लेनदेन हुआ.

तुषार मेहता ने कहा था कि ED हमारे पास ये अधिकार है कि हम आरोपी को गिरफ्तार कर सके या हिरासत मैं पूछताछ जरूरी है या नही ये विशेष कोर्ट तय करे. स्पेशल जज को ही ये अधिकार है कि वो PMLA के मामले में कस्टडी से संबंधित मामले में आदेश दे.इस मामले में गिरफ्तारी जरूरी है इसको लेकर हम प्रयाप्त सबूत हमारे पास है. जांच रिपोर्ट और जानकारी सील कवर रिपोर्ट में संबंधित विभाग को दी गई है. इस मामले में हमें कई सबूत मिले है जैसे विदेशों के बैंक से मिली जानकारी.

 

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